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पूर्वी लद्दाख में पेट्रोलिंग और LAC विवादों को सुलझाने पर बीजिंग में अहम बैठक, NSA अजीत डोभाल पहुंचे चीन

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच आज बीजिंग में होने वाली वार्ता खासतौर से भारत-चीन सीमा विवादों के समाधान पर केंद्रित है. ये वार्ता लद्दाख में पेट्रोलिंग शुरू करने और एलएसी के विवादित क्षेत्रों के समाधान की दिशा में एक अहम हो सकती है.

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चीनी विदेश मंत्री वांग यी, एनएसए अजीत डोभाल
चीनी विदेश मंत्री वांग यी, एनएसए अजीत डोभाल

भारत और चीन के बीच सीमा विवादों को सुलझाने के लिए बीजिंग में एक अहम बैठक आयोजित की जा रही है. यह बैठक इसलिए भी खास है क्योंकि पांच साल बाद दोनों देशों के बीच पहली बार स्पेशल रिप्रजेंटेटिव्स की मीटिंग होगी. इसके लिए अपनी टीम के साथ एनएसए अजीत डोभाल बीजिंग पहुंच गए हैं. बुधवार यानी आज के लिए यह मीटिंग शेड्यूल है, जिसमें पूर्वी लद्दाख में सीमा पर पेट्रोलिंग और एलएसी उल्लंघनों को लेकर बातचीत होगी.

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इन वार्ताओं का आयोजन तब हो रहा है जब दोनों देशों ने डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने के फैसले को एक समझौते के रूप में लागू किया है. दोनों तरफ से  को-ऑर्डिनेटेड पेट्रोलिंग की भी शुरुआत की गई है. इस बीच आजतक को सरकारी सूत्रों से जानकारी मिली थी कि आखिर बातचीत कैसी रही. मसलन, दोनों देशों में कॉर्प्स कमांडरों की 21 राउंड की बैठकों के अलावा डिप्लोमेटिक लेवल पर भी कई दौर में बातचीत की गई है.

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भारत ने झुकने से किया इनकार, अपना स्टैंड रखा सख्त

दोनों देशों में कमांडर लेवल की बातचीत के दौरान कई बार गतिरोध के हालात भी पैदा हुए. इस दौरान डिप्लोमेटिक बातचीत की गई, लेकिन पिछले चार सालों के दरमियान हुई बातचीत में भारत ने किसी भी लेवल पर झुकने से इनकार किया. डेपसांग और देमचोक में पेट्रोलिंग को लेकर भारत का रुख स्पष्ट रहा.

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2020 के स्टेटस को बनाए रखने पर भारत का जोर

भारत ने चीन को स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि अप्रैल 2020 की स्थिति तक लौटना ही समाधान की दिशा में पहला कदम होगा. पिछले कुछ सालों में वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती शक्ति और खासतौर से जी20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन ने चीन पर दबाव डाला, जिससे चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा. जी20 के अलावा ब्रिक्स, एससीओ और क्वाड में भी भारत की अहमियत ने चीन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.

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75% विवादों को सुलझा लिया गया है - जयशंकर

मौजूदा हालात में भारत अपनी सैन्य और राजनयिक स्थान को बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. बीते पांच सालों में भारत की तरफ से लद्दाख में जो सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण किया गया है, उसे तत्काल हटाना संभव नहीं है. इसके साथ, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने सेंट पीटर्सबर्ग में उच्च स्तरीय वार्ता की, जिसमें सीमा के बचे हुए विवादों के समाधान की दिशा में तेजी से कोशिश करने और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर सहमति बनी. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का भी कहना है कि इस क्षेत्र के 75% मुद्दे हल हो चुके हैं और जल्द ही पूरी तरह समाधान की उम्मीद है. यह वार्ता भारत-चीन संबंधों को स्टेबल करने की दिशा में एक अहम कदम है.

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