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पाकिस्तान के साथ-साथ इस बार चीन भी निशाने पर... NSA डोभाल ने दोनों देशों को ऐसे घेरा

एनएसए अजीत डोभाल ने एससीओ बैठक को संबोधित करते हुए बिना चीन का नाम लिए दो टूक कहा कि संगठन के सदस्यों को क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए. साथ ही आसपास के क्षेत्रों में एकतरफा सैन्य श्रेष्ठता के मंसूबों को छोड़ देना चाहिए. 

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एनएसए अजीत डोभाल
एनएसए अजीत डोभाल

भारत की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) की बैठक हुई. पाकिस्तान और चीन के प्रतिनिधि वर्चुअली तरीके से इस बैठक में शामिल हुए. भारत के एनएसए डोभाल ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए पाकिस्तान की मौजूदगी में आतंकवाद का मुद्दा उठाया. 

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बैठक में डोभाल ने कहा कि किसी भी तरह का आतंकवाद अंतररष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. सभी देशों को आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिद के प्रस्तावों सहित काउंटर टेररिज्म प्रोटोकॉल के प्रति अपने दायित्व को पूरा करना है. आतंकवाद की कोई भी गतिविधि, चाहे उसके पीछे जो भी वजह हो, यह अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में अनुचित है. यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है.

डोभाल की चीन को दो टूक

एनएसए अजीत डोभाल ने एससीओ बैठक को संबोधित करते हुए बिना चीन का नाम लिए दो टूक कहा कि संगठन के सदस्यों को क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए. साथ ही आसपास के क्षेत्रों में एकतरफा सैन्य श्रेष्ठता के मंसूबों को छोड़ देना चाहिए. 

उन्होंने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इस तरह की पहल पारदर्शी होनी चाहिए. हमें सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए. उनका यह बयान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के लगातार विरोध के बीच आया है. 

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उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने और आईएनएसटीसी के ढांचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने की प्रतिबद्धता जताई. 

बता दें कि उत्तर दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर भारत से रूस के बीच का कॉरिडोर है, जो ईरान से होकर गुजरता है. इस कॉरिडोर का उद्देश्य भारत और रूस के बीच ट्रांसपोर्ट की लागत को कम करना है. 7200 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर में सड़कें, रेल और समुद्री रास्ता शामिल है.यह कॉरिडोर सेंट्रल एशिया और ईरान के जरिए भारत और रूस को जोड़ता है.

एससीओ के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) की बैठक के बाद एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक होगी. इसके बाद चार से पांच मई को गोवा में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक होगी. बता दें कि साल 2017 में एससीओ से जुड़ने के बाद भारत पहली बार इसकी मेजबानी कर रहा है. इससे पहले वाराणसी में हुई एससीओ के पर्यटन मंत्रियों की बैठक में भी पाकिस्तान ने शिरकत की थी. 

क्या है एससीओ?

SCO की स्थापना 15 जून 2001 में की गई थी. इसकी स्थापना सदस्य देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य सहयोग को बढ़ावा देने के मकसद से की गई थी. संगठन के सदस्यों में रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. इसके साथ ही चार देश पर्यवेक्षक देश हैं, जिनमें अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया शामिल हैं. एससीओ की बैठक हर साल आयोजित की जाती है. फिलहाल भारत एससीओ का अध्यक्ष है.

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