बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा एक टीवी डिबेट में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ की गई टिप्पणी पर बहुत से इस्लामिक देशों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है. मामले ने राजनयिक स्तर पर भी तूल पकड़ लिया है और कतर, ईरान और कुवैत ने देश में स्थित भारतीय राजदूतों को तलब कर अपनी नाराजगी जाहिर की है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी इस मसले पर भारत की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है. अब यूएई की तरफ से भी इस मामले पर प्रतिक्रिया आई है.
यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) ने भी बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की निंदा करते हुए बयान जारी कर दिया है. सोमवार को यूएई के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, जो व्यवहार नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ है, उसे यूएई खारिज करता है.
UAE condemns statements insulting the Prophet in Indiahttps://t.co/sGtQnTNdbA
— وزارة الخارجية والتعاون الدولي (@MoFAICUAE) June 6, 2022
यूएई ने कहा कि सभी धार्मिक प्रतीकों का सम्मान किया जाना चाहिए और हेट स्पीच को पूरी तरह से हतोत्साहित किया जाना चाहिए.
यूएई के विदेश मंत्रालय ने सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के मूल्यों के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया. बयान में कहा गया कि ऐसी बातों से बचना चाहिए जिससे किसी धर्म के अनुयायियों की भावनाएं भड़कने का खतरा हो.
इंडोनेशिया ने भी की कड़ी निंदा
सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया ने भी पैगंबर मोहम्मद पर बीजेपी नेताओं की अपमानजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की है और इसे अस्वीकार्य बताया है. इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि जकार्ता में भारतीय राजदूत को भी ये संदेश दे दिया गया है.
Indonesia strongly condemns unacceptable derogatory remarks against Prophet Muhammad PBUH by two Indian politicians. This message has been conveyed to Indian Ambassador in Jakarta.
— MoFA Indonesia (@Kemlu_RI) June 6, 2022
मालदीव की भी आई प्रतिक्रिया
मालदीव की संसद में विपक्ष के हंगामे के बाद वहां की सरकार ने भी बयान जारी कर दिया है. मालदीव के विदेश मंत्रालय ने पैगंबर पर नुपुर शर्मा के बयान की निंदा करते हुए मोदी सरकार की कार्रवाई का स्वागत किया है. नुपुर शर्मा की बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता निलंबित कर दी गई है.
इससे पहले, देश का विपक्ष इस मामले की कड़ी निंदा करते हुए सोमवार को एक प्रस्ताव लाया था जो पास नहीं हो सका.
संसद में प्रस्ताव लाने के दौरान प्रस्ताव लाने वाले विपक्षी सांसद एडम शरीफ उमर ने कहा कि इस मसले पर सत्ताधारी पार्टी की चुप्पी चिंताजनक है.
उन्होंने कहा था, 'ये बेहद चिंताजनक है कि मालदीव ने इस्लामिक देश के रूप में पैगंबर मोहम्मद की बदनामी पर एक शब्द भी नहीं कहा है, जबकि भारतीय मुसलमानों, इस्लामी देशों के नेताओं और नागरिकों ने इसका विरोध किया है, कड़े शब्दों में इसकी निंदा की है. कुछ देशों के विदेश मंत्रालयों ने इस मामले पर भारतीय राजदूतों को तलब किया है और कुछ देशों में सोशल मीडिया अभियान शुरू किए गए हैं, जिसमें भारत के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया गया है.'
बांग्लादेश की सरकार ने नहीं दिया मुद्दे को तूल
बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने इस पूरे विवाद पर कुछ नहीं कहा है. मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में पिछले साल दुर्गा पूजा के दौरान जब पंडालों में तोड़फोड़ की घटनाएं हुई थीं तब शेख हसीना ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी लेकिन इस बार कोई बयान अभी तक नहीं आया है.
शेख हसीना ने तब कहा था कि भारत में कुछ ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू प्रभावित हो और वो मुश्किल में पड़ें. भारत की घटनाओं का असर बांग्लादेश के हिंदुओं पर पड़ता है इसलिए भारत को सतर्क रहने की जरूरत है.
उन्होंने कहा था, 'भारत ने हमारी आजादी की लड़ाई में बहुत मदद की है और इसके लिए हम हमेशा उसके कृतज्ञ रहेंगे. लेकिन भारत में भी कुछ ऐसा नहीं किया जाना चाहिए जिसका असर हमारे देश पर पड़े और हमारे देश के हिंदू समुदाय को नुकसान पहुंचे.'
मलेशिया और इराक भी रहे चुप
मलेशिया और इराक की तरफ से अभी तक इस पूरे मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है. मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद भारत विरोधी बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते थे.