राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चीन की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए दलाई लामा से मुलाकात की. व्हाइट हाउस ने कहा कि यह मुलाकात पुरानी परंपराओं को बरकरार रखने के लिए हुई है और इसका बीजिंग के साथ वॉशिंगटन के संबंधों से कोई लेना-देना नहीं है.
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्ने ने संवाददाताओं से शुक्रवार को कहा कि ओबामा और अमेरिका के दौरे पर आए तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा, अमेरिका-चीन संबंधों के रचनात्मक और सकारात्मक महत्व पर सहमत हुए हैं.
उन्होंने कहा कि ओबामा ने फरवरी 2010 और जुलाई 2011 में दलाई लामा से मुलाकात की थी और डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के राष्ट्रपति 1991 से ही ऐसा करते आए हैं. चीन ने हर मुलाकात पर नाराजगी जाहिर की है.
कार्ने ने कहा कि और वास्तव में हम चीन के साथ रचनात्मक संबंध के लिए कटिबद्ध हैं, जिसके तहत हम क्षेत्रीय और वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए साथ काम कर रहे हैं. ओबामा की दलाई लामा के साथ मुलाकात ओवल ऑफिस की जगह व्हाइट हाउस के मैप रूम में हुई, जहां वह आम तौर पर विदेशी नेताओं से मिलते हैं.
ओबामा की तिब्बती धर्मगुरु और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा के साथ मुलाकात को पूर्व की अन्य मुलाकातों के विपरीत मीडिया से दूर रखा गया था. दलाई लामा भी बिना संवाददाताओं से मुखातिब हुए ही व्हाइट हाउस से रवाना हो गए.
लेकिन कार्ने का कहना है कि इसका भी चीन की आपत्ति से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने धार्मिक और सांस्कृतिक नेता के रूप में दलाई लामा से मुलाकात की पुरानी परंपरा को बरकरार रखा है.
क्या व्हाइट हाउस ने चीन को इस बारे में पूर्व में कोई जानकारी दी थी, कार्ने ने कहा कि मैं आपको बता सकता हूं कि विभिन्न स्तर पर चीन के साथ हमारा संवाद जारी है. एक अन्य प्रश्न के जवाब में कार्ने ने कहा कि अमेरिका दलाई लामा के बीच के रास्ते का समर्थन करता है, यानी चीन में तिब्बत का न तो पूरी तरह विलय और न आजादी.
उन्होंने कहा कि अमेरिका तिब्बत को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का हिस्सा मानता है और तिब्बत की आजादी का समर्थन नहीं करता. गौरतलब है कि चीन ने शुक्रवार को दलाई लामा से मुलाकात न करने की अपील ओबामा से की थी.