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ओबामा ने अमेरिकी ड्रोन हमलों को ‘न्यायोचित और प्रभावी’ बताया

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विवादास्पद ड्रोन हमलों को आतंकवादियों के खिलाफ आत्मरक्षा के लिए ‘न्यायोचित, प्रभावी और आवश्यक’ करार देते हुए अपनी नई आतंकवाद-निरोधक नीतियों की घोषणा की जिसमें पाकिस्तान जैसे देशों में ड्रोन के इस्तेमाल को सीमित किया गया है.

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बराक ओबामा
बराक ओबामा

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विवादास्पद ड्रोन हमलों को आतंकवादियों के खिलाफ आत्मरक्षा के लिए ‘न्यायोचित, प्रभावी और आवश्यक’ करार देते हुए अपनी नई आतंकवाद-निरोधक नीतियों की घोषणा की जिसमें पाकिस्तान जैसे देशों में ड्रोन के इस्तेमाल को सीमित किया गया है.

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ओबामा ने नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी में आतंकवाद निरोधक नीतियों के खिलाफ भाषण में कहा कि वह ड्रोन के इस्तेमाल को कम करेंगे, गुआंतानामो बे स्थित आतंकी हिरासतगाह बंद करेंगे और अपनी ही युद्धक शक्ति पर नई सीमाएं लगाने की कोशिश करेंगे.

ओबामा ने पहली बार निजी तौर पर यह बात स्वीकार की कि ड्रोन हमलों में विदेशों में रह रहे कई अमेरिकी भी मारे गए हैं लेकिन उन्होंने मानव रहित सशस्त्र विमान ‘ड्रोन’ के इस्तेमाल को महत्वपूर्ण आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए ‘कानूनी’ और बेहद ‘प्रभावी’ हथियार बताया. इस तरह उन्होंने यह संकेत दिया कि उनका प्रशासन आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में ड्रोन का इस्तेमाल जारी रखेगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘हम एक ऐसे संगठन से युद्धरत हैं जिसे यदि हम पहले नहीं रोकते तो वह उतने अमेरिकियों को मार डालेगा जितने को मार सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए यह न्यायोचित है, यह एक ऐसी लड़ाई है जो आत्मरक्षा के लिए और अपने अंतिम उपाय के तौर पर लड़ी जा रही है.’

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ओबामा ने इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने ड्रोन हमलों के लिए एक दिन पहले दिशानिर्देश पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत हमले केवल आतंकवादियों के खिलाफ ही अधिकृत होंगे जो अमेरिकियों के लिए एक ‘सतत और निकटवर्ती खतरा’ है और ये हमले तब ही किए जाएंगे जब इस बात की ‘लगभग निश्चितता’ होगी कि इस हमले में नागरिक नहीं मारे जाएंगे या वे घायल नहीं होंगे.

उन्होंने कहा कि ड्रोन हमलों से होने वाली नागरिकों की मौत उन्हें ‘परेशान’ करती है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह जोखिम आतंकी समूहों से मौजूद उन खतरों के आधार पर संतुलित हो जाना चाहिए, जो खासतौर पर नागरिकों को अपना निशाना बनाते हैं.

उन्होंने कहा, ‘कुछ नहीं करना कोई विकल्प नहीं है.’ ओबामा ने कहा कि अफगानिस्तान से परे अमेरिका सिर्फ अलकायदा और उसके समर्थक बलों को ही निशाना बनाता है और ड्रोनों का इस्तेमाल एक बड़ी मजबूरी है.

ओबामा ने अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए चलाए गए कमांडो अभियान को एक मानक मानने से इनकार करते हुए कहा कि अमेरिका दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करता है.

उन्होंने कहा कि उस तरह के (बिन लादेन को मारने के लिए चलाये गये अभियान जैसे) अभियान मानक नहीं हो सकते. ओबामा ने कहा, ‘पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन के खिलाफ हमारा अभियान मानक नहीं हो सकता. इस मामले में बहुत जोखिम थे. हमारी प्राथमिकता उसे पकड़ने की थी, हालांकि यह संभावना बहुत कम थी. यह तय था कि हमारे लोगों को बाधाओं का सामना करना होगा.’

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उन्होंने कहा, ‘हमने नागरिकों को नहीं मारा और न ही हम एक विस्तृत युद्ध में उलझे. यह हमारे विशेष बलों की बेहतरीन योजना और पेशेवराना व्यवहार का नतीजा था लेकिन यह सब किस्मत पर भी निर्भर करता है. इसे अफगानिस्तान में व्यापक अवसंरचना से सहयोग मिला था.’

उन्होंने अमेरिका को एक दोराहे पर खड़ा बताकर इसकी आतंकवाद-निरोधक रणनीति में बदलाव की भी बात कही. ओबामा ने कहा, ‘हमारी लड़ाई अब एक नए चरण में प्रवेश कर रही है, ऐसे में अमेरिका का आत्मरक्षा का तर्कसंगत दावा इस पूरी चर्चा का अंत नहीं कर सकता. सैन्य विकल्प को वैध या प्रभावी बताने का अर्थ यह कहना नहीं है कि यह विकल्प हर स्थिति में बुद्धिमत्तापूर्ण या नैतिक है. जिस तरक्की ने हमें लगभग आधी दुनिया पर हमले की तकनीक दी है, वह इस शक्ति पर नियंत्रण का अनुशासन भी चाहती है. वरना इसके दुरुपयोग के खतरे को झेलने के लिए तैयार रहना होगा.’

ओबामा ने कहा, ‘इसलिए पिछले चार सालों में मेरे प्रशासन ने आतंकवादियों के खिलाफ हमारी सेनाओं के उपयोग के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने के उद्देश्य से पूरे जोश के साथ काम किया. इस रूपरेखा में स्पष्ट दिशानिर्देश, दूरदृष्टि और जवाबदेही पर जोर दिया गया है. इसे राष्ट्रपति के नीतिगत निर्देशों में शामिल किया गया है जिस पर मैंने हस्ताक्षर किए हैं.’

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ओबामा ने कहा कि अमेरिका के ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ में सशस्त्र ड्रोन एक प्रमुख हथियार बन गया है लेकिन इनके उपयोग के कारण व्यावहारिक तर्कों से परे कई जटिल कानूनी और आचरण वाले मुद्दे उठते हैं कि ड्रोन हमले प्रभावी हैं भी कि नहीं.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘अफगान युद्ध में हमें अपने सैनिकों को तब तक सहयोग करना है जब तक 2014 के अंत तक होने वाला सत्ता हस्तांतरण पूरा नहीं हो जाता. इसका अर्थ है कि हम अलकायदा के ठिकानों और उन ताकतों के खिलाफ ड्रोन हमले जारी रखेंगे जो गठबंधन बलों पर हमलों का समर्थन करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘अगर हमारे पास अकेले आतंकियों को पकड़ने की क्षमता होती है तो अमेरिका ड्रोन हमले नहीं करता. हमारी प्राथमिकता हमेशा से यह रही है कि हम उन्हें पकड़ें, पूछताछ करें और फिर उनके ऊपर अभियोग चलाएं. अमेरिका कहीं भी अपनी मर्जी से हमले नहीं कर सकता.’

ओबामा ने कहा, ‘हमें अपने प्रयासों को ‘आतंकवाद के खिलाफ बंधनरहित वैश्विक युद्ध’ (बाउंडलेस ग्लोबल वार ऑन टेरॅर) नहीं कहना चाहिए बल्कि यह अमेरिका के लिए खतरा बने उन हिंसक चरमपंथियों के विशेष नेटवर्कों को खत्म करने के लिए लक्षित और सतत प्रयासों की सीरीज है. कई मामलों में इसमें दूसरे देशों की भागीदारी भी होगी.’

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गुआंतानामो के मुद्दे पर ओबामा ने कहा कि उन्होंने बंदियों को यमन भेजे जाने पर वर्ष 2010 में रोक लगाई थी जिसे अब वह हटा रहे हैं. यह रोक तब लगाई गई थी जब यह पता चला था कि अंत:वस्त्रों में बम छिपाने वाले उमर फारूक अब्दुलमुतालब को यमन में प्रशिक्षण दिया गया था. उन्होंने कहा कि वह विदेश मंत्रालय में एक नया राजदूत और रक्षा मंत्रालय में एक अधिकारी नियुक्त करेंगे, जो गुआंतानामो के बंदियों के स्थानांतरण पर दूसरे देशों से बातचीत करेंगे. उन्होंने कहा कि वह कुछ बंदियों के स्थानांतरण पर लगी रोक हटा रहे हैं.

ओबामा ने इसे (गुआंतानामो हिरासत केंद्र को) अपने कार्यालय के पहले ही साल बंद करने की बात कही थी. लेकिन उनके ये प्रयास रिपब्लिकन सांसदों के कारण नाकाम हो गए जिन्होंने आतंकवाद के संदिग्धों पर अमेरिका और उन देशों में मुकदमा चलाने का विरोध किया था, जिन देशों ने कुछ बंदियों को लेने से मना कर दिया था. जेल में कुछ बंधक अपनी स्थिति को लेकर विरोध जताते हुए भूख हड़ताल पर हैं.

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