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कश्मीर में मोदी सरकार के इस कदम पर मुस्लिम देशों की कड़ी प्रतिक्रिया

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के सचिवालय ने सिलसिलेवार ट्वीट कर बताया कि भारत का यह प्रयास जम्मू कश्मीर के जनसांख्यिकीय ढांचे को बदलने और कश्मीरी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है.

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इस्लामिक सहयोग संगठन
इस्लामिक सहयोग संगठन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों का उल्लंघन
  • कश्मीर के डेमोग्राफ को बदलने का प्रयास

इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के सचिवालय ने जम्मू कश्मीर के चुनावी क्षेत्रों के परिसीमन के प्रयासों को लेकर कड़ी आपत्ति जाहिर की है.

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आईओसी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा कि भारत का यह प्रयास जम्मू कश्मीर के जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफी) ढांचे को बदलने और कश्मीरी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है.

आईओसी ने कहा, परिसीमन की यह प्रक्रिया चौथे जिनेवा कन्वेंशन सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानून का सीधा उल्लंघन है. 

ओआईसी सचिवालय ने जम्मू कश्मीर पर अपने पुराने रुख, इस्लामिक समिट और ओआईसी के विदेश मंत्रियों की परिषद के फैसलों का जिक्र करते हुए कश्मीरियों के आत्म संकल्प के अधिकारों को लेकर उनके साथ एकजुटता जाहिर की.

ओआईसी ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय विशेष रूप से यूएन सुरक्षा परिषद से इस तरह की परिसीमन प्रक्रियाओं के गंभीर नतीजों को लेकर तत्काल संज्ञान लेने को कहा.

इससे पहले ओआईसी के स्वतंत्र स्थाई मानवाधिकार आयोग (आईपीएचआरसी) ने जम्मू कश्मीर के चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन के प्रयासों को लेकर भारत सरकार की कड़ी निंदा की थी. 

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आयोग ने बयान जारी कर इसे ओआईसी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार एव मानवीय कानूनों का भी उल्लंघन बताया था. 

ओआईसी के मानवाधिकार आयोग का कहना है कि यह चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए जम्मू कश्मीर के चुनावी डेमोग्राफ और डायनैमिक्स को बदलने का नापाक प्रयास है ताकि कश्मीर में अपनी पसंद की कठपुतली सरकार को सत्ता सौंपी जा सके.

आयोग ने कहा कि इन खुराफाती कदमों का उद्देश्य प्रदेश के भीतर मुस्लिम आबादी को अल्पसंख्यक आबादी में तब्दील करना और प्रदेश के लोगों के खुद फैसले लेने के अधिकारों में अड़चन पैदा करना है.

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