ओमान के सुल्तान ने देश के संविधान में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है. ओमान की सरकारी न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ओमान में संविधान संशोधन के जरिए पहली बार क्राउन प्रिंस की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है यानी अब सऊदी अरब की तरह ओमान में भी एक क्राउन प्रिंस होगा. इसके अलावा, सरकार के कामकाज में और पारदर्शिता लाने के मकसद से भी संविधान में कुछ बदलाव किए गए हैं.
ओमान के पूर्व सुल्तान कबूस बिन सैद की मौत के एक साल बाद संविधान में बदलाव किया जा रहा है. सुल्तान कबूस बिन सैद ने ओमान को मध्य-पूर्व की शिया-सुन्नी की लड़ाई और राजनीतिक मतभेद से दूर रखते हुए आधुनिकता की राह पर ले जाने की कोशिश की थी. कहा जा रहा है कि संविधान में संशोधनों के बाद ओमान की खाड़ी के शाही शासन वाले मुल्कों के साथ करीबी और बढ़ेगी. इसके साथ ही, भविष्य में उत्तराधिकार को लेकर किसी भी तरह का संकट भी पैदा नहीं होगा.
ओमान में उत्तराधिकारी को लेकर रहस्य
ओमान के पूर्व सांस्कृतिक मंत्री सुल्तान हैतम बिन तारिक अल पिछले साल सुल्तान कबूस की मौत के बाद सत्ता में आए थे. सुल्तान कबूस हैतम के चचेरे भाई भी थे. जब सुल्तान कबूस की मौत हुई तो उनके उत्तराधिकारी को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया था. सुल्तान ने अपने उत्तराधिकारी का नाम एक सील्ड चिठ्ठी में लिखा था और ये सील्ड लिफाफा मस्कट के राजमहल में रखा गया था.
हालांकि, अब संविधान में बदलावों के बाद उत्तराधिकार को लेकर कोई रहस्य कायम नहीं रहेगा. ओमान में अब क्राउन प्रिंस का पद भी होगा. अरब के खाड़ी देशों में भी क्राउन प्रिंस की नियुक्ति की जाती है. सऊदी अरब में किंग सलमान के उत्तराधिकारी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान हैं.
हालांकि, सोमवार को हुई घोषणा में इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि ओमान का क्राउन प्रिंस कौन होगा या उसकी जिम्मेदारियां क्या होंगी.
सुल्तान हैतम ने पिछले एक साल में कई मंत्रालयों को गठित किया है और उनका नाम बदला है. कुवैत यूनिवर्सिटी में इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर बद्र अल-सैफ ने एसोसिएट प्रेस एजेंसी से कहा, "ये बहुत ही क्रांतिकारी कदम है. सुल्तान हैतम ने पहले एक साल तक सारी चीजें समझीं और अब वो अपनी छाप छोड़ रहे हैं. ओमान के संविधान (बेसिक लॉ) को बहुत हल्के में नहीं बदला जाता है."
सुल्तान की डिक्री के जरिए एक कमिटी भी गठित की गई है जो सरकारी अधिकारियों के प्रदर्शन की निगरानी करेगी.
डिफॉल्टर बनने के कगार पर ओमान
ओमान पर फिलहाल डिफॉल्टर होने का खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है. पिछले साल, ओमान का कर्ज उसकी जीडीपी के करीब 60 फीसदी के बराबर पहुंच गया था.
इसी महीने, ओमान की सरकारी न्यूज एजेंसी ने बताया था कि साल 2021 में बजट घाटा 5.7 अरब डॉलर तक हो सकता है. इसकी भरपाई के लिए सरकार और कर्ज ले सकती है. ओमान के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत भी आने वाले वक्त में और कमजोर होने की आशंका है.
ओमान भी प्रतिदिन करीब 10 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है. तेल उत्पादन करने वाले बाकी देशों की तरह उसकी अर्थव्यवस्था पर भी तेल की गिरती कीमतों का बुरा असर पड़ा है. कोरोना वायरस की महामारी और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों पर जोर की वजह से पूरी दुनिया में तेल की मांग में और कमी आई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि ओमान की अर्थव्यवस्था में पिछले साल 10 फीसदी की गिरावट आई है. बाकी खाड़ी देशों की तुलना में ये गिरावट सबसे ज्यादा है.