अगर आप भी बोतलबंद पानी पीते हैं तो यह खबर आपको हिलाकर रख देगी. कारण, एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि एक लीटर बोतलबंद पानी में औसतन लगभग 2.4 लाख प्लास्टिक के टुकड़े हो सकते हैं. कोलंबिया यूनिवर्सी के शोधकर्ताओं ने अमेरिका में बेचे जाने वाले बोतलबंद पानी के तीन लोकप्रिय ब्रांडों का विश्लेषण किया, जिसमें 100 नैनोमीटर आकार तक के प्लास्टिक कणों को मापा गया.
पीटीआई के मुताबिक इस स्टडी में उन्होंने प्रत्येक लीटर में लगभग 1.1-3.7 लाख प्लास्टिक के टुकड़े पाए. इसमें 90 प्रतिशत नैनोप्लास्टिक्स और बाकी माइक्रोप्लास्टिक्स शामिल है. ये स्टडी जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुई है.
बता दें कि हाल के वर्षों में मिट्टी, पीने के पानी, भोजन और यहां तक कि पोलर आइस में भी माइक्रोप्लास्टिक मौजूद होने की जानकारी सामने आई है. माइक्रोप्लास्टिक तब बनती है जब बड़े प्लास्टिक टूटकर धीरे-धीरे छोटे टुकड़ों में बंटते हैं. ये प्लास्टिक मनुष्यों और अन्य प्राणियों के अंदर जाने के लिए अपना रास्ता खोज लेते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर संभावित प्रभाव पड़ता है.
शोधकर्ताओं को एक अन्य प्रकार का प्लास्टिक मिला जो पॉलियामाइड था. इसमें एक प्रकार का नायलॉन, पॉलियामाइड PET से भी अधिक मात्रा में पाया गया. नायलॉन प्लास्टिक फाइबर से बना हो सकता है जो बोतलबंद होने से पहले पानी को शुद्ध करता है. अन्य सामान्य प्लास्टिक जो उन्हें मिले वे पॉलीस्टाइनिन, पॉलीविनाइल क्लोराइड और पॉलीमिथाइल मेथैक्रिलेट थे. ये सभी विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग किए जाते हैं. हालांकि, शोधकर्ताओं ने जिन सात प्लास्टिक प्रकारों की खोज की, वे बोतलबंद पानी के नमूनों में पाए गए सभी नैनोकणों का लगभग 10 प्रतिशत ही थे.
शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि बाकी क्या थे. उन्होंने लिखा, परिणामों ने साधारण प्रतीत होने वाले पानी के नमूने के अंदर जटिल कण संरचना का संकेत दिया. स्टडी के लिए, शोधकर्ताओं ने उत्तेजित रमन स्कैटरिंग माइक्रोस्कोपी नामक एक तकनीक विकसित की जिसमें विशिष्ट अणुओं को प्रतिध्वनित करने के लिए एक साथ दो लेजर के साथ सैंपल्स की जांच करना शामिल था. फिर उन्होंने डेटा का विश्लेषण और व्याख्या करने के लिए एल्गोरिदम का उपयोग किया. टीम अब बोतलबंद पानी के अलावा आगे की चीजों पर भी स्टडी करने जा रही है.