ब्रिटेन के दो प्रमुख सिख संगठनों ने अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए 1984 में हुई भारतीय सेना की कार्रवाई में ब्रिटेन की संलिप्तता की गहन जांच कराने की मांग की है.
बीबीसी के मुताबिक सिख फेडरेशन यूके और ब्रिटिश सिख काउंसिल ने एक खुला पत्र के जरिए दलील दी है कि ऐसे कई गंभीर सवाल हैं जो आज तक अनुत्तरित हैं. सिख फेडरेशन यूके के प्रवक्ता दबिंदरजीत सिंह ने कहा कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने सैनिक हमले के बारे में संसद को गुमराह किया है.
ब्रिटेन के मंत्रिमंडल सचिव की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए हेग ने इस महीने के शुरू में संसद में इस बात की पुष्टि की कि भारत सरकार ने कार्रवाई शुरू करने से पहले सलाह मांगी थी. अपनी रिपोर्ट में मंत्रिमंडल सचिव जेरेमी हेवूड ने कहा है कि ब्रिटेन ने भारत को दी गई अपनी सलाह में कहा था कि सिखों के पवित्रतम स्थल पर कार्रवाई अंतिम उपाय होना चाहिए और हताहतों की संख्या कम करने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
हेग ने ब्रिटेन के सांसदों से कहा कि भारत सरकार का अभियान 'सुझाए गए उपाय से भटक गया' और 'हेलीकॉप्टर समर्थित' कोई प्रयास अमल में नहीं लाया गया. सिंह ने कहा कि इस विषय पर हर किताब में कहा गया है कि वास्तव में हेलीकॉप्टर का हमले के लिए इस्तेमाल किया गया. 4, 5 और 6 जून 1984 को हेलीकॉप्टर का हमले के लिए प्रयोग किया गया.
उन्होंने कहा कि संसद में जो कुछ कहा गया है, उसके लिहाज से विभिन्न स्तरों की जटिलताएं उठ खड़ी होती हैं. इससे पहले सामने आए वर्गीकृत दस्तावेज में कहा गया है कि तत्कालीन मार्गेट्र थैचर सरकार स्वर्ण मंदिर पर की गई कार्रवाई की योजना बनाने में शामिल थी. यह खुलासा पिछले महीने हुआ था.