प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अपनी ऐतिहासिक यात्रा पर इजरायल पहुंचे तो उस दौरान वे खुद को 'ऑपरेशन एंटेबे' की चर्चा करने से नहीं रोक सके. इस ऑपरेशन में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाई लेफ्टिनेंट कर्नल नेतन्याहू की मौत हो गई थी. इजरायली सैनिकों ने सन 1976 में युगांडा में बंधक बने अपने नागरिकों को बचाने के लिए इस साहसिक ऑपरेशन को अंजाम दिया था. जिसका अंत 4 जुलाई को ही सन 1976 में हुआ था.
आज से 41 वर्ष पहले 27 जून, 1976 को तेल अवीव से पेरिस के लिए रवाना हुई एक फ्लाइट ने थोड़ी देर एथेंस में रुकने के बाद उड़ान भरी ही थी कि पिस्टल और ग्रेनेड लिए चार यात्रियों ने विमान को अपने कब्जे में लिया. 'पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन फॉर फिलिस्तीन' के आतंकवादी विमान को पहले लीबिया के बेनगाजी और फिर युगांडा के एंटेबे हवाई अड्डे पर ले गए.
युगांडा के तत्कालीन तानाशाह ईदी अमीन भी अपहरणकर्ताओं के समर्थन में थे. अपहरणकर्ताओं ने बंधकों के जान की धमकी देते हुए मांग की थी कि इजरायल, कीनिया और तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी की जेलों में रह रहे 54 फिलीस्तीन कैदियों को रिहा किया जाए. इजरायल ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए 4 जुलाई को कुछ फैंटम जेट लड़ाकू विमानों को सेना के सबसे काबिल 200 सैनिकों के साथ रवाना किया.
इस ऑपरेशन की योजना इस तरह बनाई गई थी कि युगांडा के सैनिकों को लगे कि इन विमानों में राष्ट्रपति ईदी अमीन विदेश यात्रा से वापस लौट रहे हैं. अमीन उन दिनों मॉरीशस की यात्रा पर थे. इजरायली सैनिकों ने युगांडा के सैनिकों की वर्दी पहनी हुई थी.
इजरायली सैनिकों ने हवाई अड्डे पर खड़े युगांडा के लड़ाकू विमान ध्वस्त किए और सभी सात अपहरणकर्ताओं को मार गिराया. पूरे अभियान में इजरायल का सिर्फ एक सैनिक मारा गया. ये इजरायल के मौजूदा पीएम बेंजामिन के भाई लेफ्टिनेंट कर्नल नेतन्याहू थे, जिन्हें एक गोली लगी थी. वे घायल हो गए थे और इजरायल वापस लौटते हुए विमान में ही उनकी मौत हो गई थी.