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Oppenheimer: अमेरिका का वो प्रोजेक्ट जिसने पूरी दुनिया में मचाया था तहलका! कौन था उसके पीछे?

अमेरिका ने अपना पहला परमाणु परीक्षण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 16 जुलाई 1945 को किया था. इस परमाणु परीक्षण के पीछे वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर थे जिन्हें परमाणु बम का जनक माना जाता है. अमेरिका के पहले परमाणु बम परीक्षण का कोड नाम 'ट्रिनिटी' था.

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परमाणु बम के जनक रॉबर्ट जे. ओपेनहाइमर (Photo- AP)
परमाणु बम के जनक रॉबर्ट जे. ओपेनहाइमर (Photo- AP)

ब्रिटिश-अमेरिकी फिल्ममेकर क्रिस्टोफर नोलन की हालिया फिल्म 'ओपेनहाइमर' दुनिया भर में इस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बन गई है. फिल्म भौतिक वैज्ञानिक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर पर आधारित है जिन्हें परमाणु बम का जनक कहा जाता है. फिल्म में ओपेनहाइमर का किरदार आयरिश अभिनेता किलियन मर्फी ने निभाया है.

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कहा जाता है कि जब 16 जुलाई, 1945 को ओपेनहाइमर ने 'ट्रिनिटी टेस्ट' यानी परमाणु बम का पहला विस्फोट देखा तब उनके मुंह से बरबस ही गीता का श्लोक निकल आया था. उन्होंने कहा था, 'अब मैं काल बन गया हूं, जो दुनिया का नाश करता है.'

ओपेनहाइमर ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मैनहट्टन प्रोजेक्ट में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे परमाणु युग की शुरुआत हुई. इसी प्रोजेक्ट के तहत तैयार किए गए परमाणु बम का सफल परीक्षण जुलाई 1945 में किया गया जिसका कोड नेम ट्रिनिटी था.

क्या था मैनहट्टन प्रोजेक्ट?

अमेरिकी सरकार का यह प्रोजेक्ट आधिकारिक तौर पर जून 1942 से अगस्त 1947 तक चला. ओपेनहाइमर इस प्रोजेक्ट में सबसे अहम वैज्ञानिक थे. प्रोजेक्ट में उनके साथ काम करने वाले जेरेमी बर्नस्टाइन ने अपनी जीवनी, 'अ पोट्रेट ऑफ ऐन एनिग्मा' में लिखा कि अगर ओपेनहाइमर न होते तो कोई और शख्स परमाणु बम की कल्पना को साकार नहीं कर सकता था.

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उन्होंने लिखा, 'अगर ओपेनहाइमर प्रोजेक्ट के निदेशक नहीं होते तो मेरा विश्वास है कि नतीजा चाहे कुछ भी होता, विश्व युद्ध बिना परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के भी खत्म हो जाना था.' 

जनवरी 1942 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट ने परमाणु बम के निर्माण की मंजूरी दी थी. मंजूरी के बाद जून में आर्मी कोर ऑफ इंजीनियर्स मैनहट्टन जिले की औपचारिक रूप से स्थापना की गई थी.

जनरल लेस्ली ग्रोव्स थे प्रोजेक्ट लीडर

तत्कालीन अमेरिकी सेना ब्रिगेडियर जनरल लेस्ली ग्रोव्स मैनहट्टन प्रोजेक्ट को लीड कर रहे थे. सितंबर में ग्रोव्स ने अमेरिका के राज्य टेनेसी के पूर्वी हिस्से में स्थित ओक रिज को यूरेनियम संवर्धन के लिए एक गुप्त स्थान के रूप में मंजूरी दे दी. संवर्धित यूरेनियम का इस्तेमाल परमाणु बम बनाने के लिए किया जाना था.

नवंबर 1942 में ग्रोव्स ने न्यू मैक्सिको शहर में स्थित लॉस अलामोस प्रयोगशाला को परमाणु बम के विकास और निर्माण के लिए एक गुप्त स्थान के रूप में वैज्ञानिकों को दे दिया. ओपेनहाइमर 1943 से 1945 तक इस प्रयोगशाला के निदेशक रहे.

दिसंबर 1942 तक, दुनिया का पहला प्रायोगिक परमाणु रिएक्टर शिकागो पाइल (सीपी-1) अपने निर्माण के बेहद करीब पहुंच चुका था. 1943 में, ग्रोव्स ने वाशिंगटन में हैनफोर्ड नामक जगह को प्लूटोनियम के उत्पादन के लिए एक गुप्त जगह के रूप में मंजूरी दे दी. प्लूटोनियम परमाणु बम बनाने के लिए एक अहम तत्व है. 

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उसी साल नवंबर तक, दुनिया का पहला बड़े पैमाने का परमाणु रिएक्टर- 'एक्स -10 ग्रेफाइट रिएक्टर' लगभग तैयार हो गया था.

प्रोजेक्ट में लाखों लोगों ने किया काम, खर्च हुए अरबों

अमेरिकी सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मैनहट्टन प्रोजेक्ट में एक लाख 30 हजार से अधिक लोगों ने काम किया था और प्रोजेक्ट का कुल खर्च दो अरब डॉलर था.

हालांकि, परमाणु बम का परीक्षण अभी हुआ भी नहीं था कि 12 अप्रैल 1945 को राष्ट्रपति रूजवेल्ट का निधन हो गया. उनके निधन के अगले ही दिन इस गुप्त प्रोजेक्ट की जानकारी उनके उत्तराधिकारी हैरी ट्रूमैन को दी गई.

जब आया परमाणु धमाके का समय...

सालों की मेहनत के बाद आखिरकार 16 जुलाई 1945 को वो पल आ ही गया जब दुनिया में पहली बार परमाणु बम का परीक्षण किया गया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, परमाणु परीक्षण के दिन ओपेनहाइमर बेहद तनाव में थे, वो बेहद थके हुए थे और रात में वो ठीक से सो भी नहीं पाए थे.

ओपेनहाइमर ने इस प्रोजेक्ट में खुद को इतना खपा दिया था कि उनका शरीर बेहद दुबला-पतला हो गया था. तीन सालों तक प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहने के बाद पांच फुट दस इंच लंबाई वाले ओपेनहाइमर का वजन घटकर महज 52 किलो रह गया था. वो खूब सिगरेट पीते थे जिस कारण कई बार उन्हें टीबी का रोग भी लग चुका था.

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धमाके से ठीक पहले ओपेनहाइमर तनाव के कारण सांस तक नहीं ले पा रहे थे

ओपेनहाइमर की जीवनी, 'अमेरिकन प्रोमेथियस' लिखने वाले काई बर्ड और जे शेर्विन ने लिखा कि परमाणु परीक्षण का दिन ओपेनहाइमर की जिंदगी के सबसे निर्णायक क्षणों में से एक था.

जीवनी में लिखा गया है, 'जैसे-जैसे धमाके का समय पास आ रहा था, ओपेनहाइमर का तनाव बढ़ता जा रहा था, उस वक्त वो ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहे थे.'

परीक्षण के लिए तैयार किया गया परमाणु बम 21 किलोटन टीएनटी का था जिसके फटने के बाद इतने तेज झटके लगे जिसे 160 किलोमीटर तक लोगों ने महसूस किया.

परमाणु परीक्षण जब सफल रहा तब ओपेनहाइमर की सारा तनाव फुर्र हो गया और वो जैसे सातवें आसमान पर थे.

इस परीक्षण के एक महीने से भी कम समय में अमेरिका ने अपने इस विनाशकारी हथियार का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध में अपने विरोधी जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर किया जिसमें लाखों की संख्या में लोग मारे गए. अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को 'लिटिल मैन' नामक परमाणु बम जापान के शहर हिरोशिमा पर और 'फैट बॉय' नामक परमाणु बम नागासाकी शहर पर गिराया जिससे जापान दहल उठा. 

इस कामयाबी पर ओपेनहाइमर की खुशी का ठिकाना नहीं था. उनकी जीवनी में उनके एक साथी ने बताया कि जब वो अपनी इस कामयाबी का ऐलान कर रहे थे तब उन्होंने कसकर अपनी मुट्ठी बांध ली थी और अपने हाथों को हवा में उछाल रहे थे. 

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'मुझे लगता है, मेरे हाथ खून से रंगे हैं'

हालांकि, बाद में ओपेनहाइमर परमाणु बम विस्फोट से हुए विनाश को लेकर बेहद दुखी रहने लगे थे. एक बार उन्होंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन से कहा था, 'मिस्टर प्रेसिडेंट, मुझे महसूस होता है कि मेरे हाथ खून से रंगे हुए हैं.' ट्रूमैन ने उनकी आत्मग्लानि को कम करने की कोशिश में कहा था, 'हाथ मेरे भी खून से रंगे हुए हैं, इसकी जिम्मेदारी मुझे लेने दें.' 

जब ओपेनहाइमर पर लगे देश से गद्दारी और जासूसी के आरोप

अमेरिकी सरकार को ओपेनहाइमर पर रूस को खुफिया जानकारी देने का भी शक था क्योंकि रूस ने प्रोजेक्ट मैनहट्टन में सेंधमारी कर ली थी. हालांकि, वो उच्च स्तर की जानकारी हासिल करने में असफल रहा था.

ओपेनहाइमर रूसी एजेंसियों के टॉप टार्गेट थे. रूस चाहता था कि ओपेनहाइमर के जरिए मैनहट्टन प्रोजेक्ट की महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर ले लेकिन ऐसा हो नहीं सका. रूस की खुफिया रिपोर्टेस के मुताबिक, तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति जोसेफ स्टालिन के स्पाई चीफ इस बात से बेहद गुस्से में रहा करते थे कि वो ओपेनहाइमर को अपने साथ शामिल नहीं कर पाए.

हालांकि, इस बीच अमेरिकी सरकार को यह शक जरूर हो गया कि प्रोजेक्ट से जुड़े दूसरे कुछ वैज्ञानिकों के साथ ओपेनहाइमर भी रूस की मदद कर रहे हैं लेकिन यह कभी साबित नहीं हो पाया कि ओपेनहाइमर रूसी जासूस हैं.

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ओपेनहाइमर परमाणु बम से हुई तबाही देखने के बाद उससे अधिक ताकतवर हाइड्रोजन बम बनाने के अमेरिका सरकार के फैसले के खिलाफ हो गए. इसे लेकर अमेरिकी सरकार ने उन पर जांच बिठा दी. साल 1954 में अमेरिकी सरकार ने उनकी सुरक्षा मंजूरी भी छीन ली. उन पर देश से गद्दारी का धब्बा
लग गया जो उनकी मौत के 55 सालों बाद मिटा. अमेरिका की सरकार ने 2022 में ओपेनहाइमर की वफादारी पर मुहर लगाते हुए उनका सिक्योरिटी क्लीयरेंस बहाल कर दिया था.

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