बकरीद के मौके पर कुरान जलाए जाने की घटना पर स्वीडिश सरकार ने अपना बयान जारी करते हुए इसे 'इस्लामोफोबिक' कृत्य बताया है. स्वीडिश सरकार का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने मस्जिद के सामने कुरान जलाए जाने की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.
ओआईसी ने बयान जारी करते हुए कहा था कि यह घृणित कृत्य पवित्र कुरान और अन्य इस्लामी मूल्यों, प्रतीकों उसकी पवित्रता का उल्लंघन का प्रयास है. ओआईसी ने कहा था कि सभी देश संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत सार्वभौमिक रूप से सभी लोगों के लिए मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करे.
OIC के इस बयान के बाद स्वीडन सरकार ने स्टॉकहोम सेंट्रल मस्जिद के सामने कुरान जलाने की घटना की निंदा की है और इसे इस्लामोफोबिक कृत्य बताया है. स्वीडिश विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है, स्वीडिश सरकार इस बात को पूरी तरह से जानती है कि स्वीडन में प्रदर्शनों के दौरान कुछ व्यक्तियों के इस्लामोफोबिक कृत्य मुसलमानों के लिए अपमानजनक हो सकता है. हम इन कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं, जो किसी भी तरह से स्वीडिश सरकार के विचारों को प्रदर्शित नहीं करते हैं.
स्वीडिश विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि कुरान या किसी अन्य पवित्र ग्रंथ को जलाना एक घृणित, अपमानजनक और एक स्पष्ट उकसावे वाला कृत्य है. नस्लवाद, जेनोफोबिया और उससे संबंधित किसी भी तरह की असहिष्णुता का स्वीडन या यूरोप में कोई स्थान नहीं है. हालांकि, स्वीडन ने कहा है कि सभी नागरिकों को सभा, अभिव्यक्ति और प्रदर्शन की स्वतंत्रता का संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार प्राप्त है.
OIC ने दी थी कड़ी प्रतिक्रिया
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने गुरुवार को बयान जारी करते हुए कहा था कि यह घृणित कृत्य पवित्र कुरान और अन्य इस्लामी मूल्यों, प्रतीकों और पवित्रता का उल्लंघन का प्रयास है. ओआईसी सभी देशों से अपील करता है कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत सार्वभौमिक रूप से सभी लोगों के लिए मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करे. सभी देश रंग, लिंग, भाषा, धर्म, नस्ल और राजनीतिक भेदभाव के बिना सभी को स्वतंत्र मानव अधिकार प्रदान करे."
सभी सदस्य देश एक साथ आएंः ओआईसी
इस्लामिक सहयोग संगठन ने रविवार को सऊदी अरब में हुई बैठक के बाद बयान जारी करते हुए कहा है कि ओआईसी के सदस्य देश उन देशों को रोकने के लिए एक साथ आएं जो इस्लाम की पवित्र किताब कुरान को जला रहे हैं. महासचिव हिसैन ब्राहिम ताहा के हवाले से ओआईसी ने कहा कि कुरान का अपमान एक समान्य इस्लामोफोबिया की घटना नहीं है.
स्वीडिश पुलिस ने कुरान जलान की दी थी अनुमति
37 वर्षीय सलवान मोमिका ने बकरीद के मौके पर बुधवार को स्टॉकहोम सेंट्रल मस्जिद के सामने कुरान जलाकर प्रदर्शन किया था. स्वीडिश पुलिस ने मोमिका को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा के तहत कुरान जलाने की अनुमति दी थी. अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद मोमिका ने कुरान जलाई थी. हालांकि, स्वीडिश अधिकारियों ने बाद में कहा कि उन्होंने यह जांच शुरू कर दी है कि एक खास समूह के खिलाफ आंदोलन क्यों किया जा रहा है.
10 से ज्यादा मुस्लिम बहुल देशों ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
इराक, कुवैत, तुर्की और मोरक्को सहित दस से ज्यादा मुस्लिम बहुल देशों ने स्वीडन में कुरान जलाए जाने की घटना पर कड़ी प्रतिक्रया दी है.
तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने ट्विट करते हुए लिखा, " ईद-उल-अजहा के मौके पर स्वीडन में हमारी पवित्र किताब कुरान जलाई गई. कुरान के खिलाफ की गई इस घिनौनी हरकत की निंदा करता हूं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह से इस्लाम विरोधी कृत्यों की अनुमति देना अस्वीकार्य है. इस तरह के जघन्य कृत्यों को अनदेखा करना अपराध में सहभागी होने की तरह है."
Mübarek Kurban Bayramı’nın ilk gününde Kutsal Kitabımız Kur’an-ı Kerim’e yönelik #İsveç’te yapılan aşağılık eylemi lanetliyorum!#İslamkarşıtı bu eylemlere ifade özgürlüğü bahanesiyle izin verilmesi kabul edilemez.
— Hakan Fidan (@HakanFidan) June 28, 2023
Bu tarz menfur eylemlere göz yummak suça ortak olmaktır.
वहीं, मोरक्को ने कुरान जलाए जाने के विरोध में अपना राजदूत को वापस बुला लिया है. मोरक्को की सरकारी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोरक्को ने स्वीडन के राजनयिक को तलब किया है और इस घटना को लेकर अपना असंतोष जाहिर किया है. साथ ही इसके विरोध में मोरक्को ने स्वीडन से अपने राजदूत को अनिश्चितकाल के लिए वापस बुला लिया है.
सऊदी के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के घृणित कृत्य को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इन घृणित और बार-बार किए जा रहे कृत्यों को किसी भी औचित्य के साथ स्वीकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे कृत्य स्पष्ट रूप से नफरत और नस्लवाद को उकसाते हैं. ये सहिष्णुता, संयम और चरमपंथ खत्म करने के मूल्यों को आगे बढ़ाने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के विरुद्ध हैं. ऐसे कृत्य नागरिक और देश के बीच के संबंधों में पारस्परिक सम्मान को कम करते हैं.