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सनसनीखेज खुलासा: 9/11 हमले के एक साल बाद ही पकड़ा गया था लादेन!

पाकिस्‍तान की एक खुफिया रिपोर्ट लीक हो गई है, जिसमें अल-कायदा के तत्‍कालीन सरगना ओसमा बिन लादेन की जिंदगी और मौत के बारे में कई सनसनीखेज खुलासे किए गए हैं. इस रिपोर्ट में लादेन के परिवार समेत करीब 200 गवाहों के बयान हैं.

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ओसामा बिन लादेन
ओसामा बिन लादेन

पाकिस्‍तान की एक खुफिया रिपोर्ट लीक हो गई है, जिसमें अल-कायदा के तत्‍कालीन सरगना ओसामा बिन लादेन की जिंदगी और मौत के बारे में कई सनसनीखेज खुलासे किए गए हैं. इस रिपोर्ट में लादेन के परिवार समेत करीब 200 गवाहों के बयान हैं.

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अंग्रेजी अखबार डेली मेल के मुताबिक ऐबटाबाद आयोग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि लादेन का परिवार अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हमले के कुछ दिनों बाद ही पाकिस्तान में दाखिल हुआ था, जबकि ओसामा 2002 में पेशावर पहुंचा. यह रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई, लेकिन इसके कुछ अंश मीडिया में आए हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक 2002 या 2003 के दौरान एक मौके पर जब लादेन अपने सुरक्षा गार्ड इब्राहिम अल-कुवैती और उसकी पत्‍नी मरियम के साथ बाजार जा रहा था तो वह पुलिस के हत्‍थे चढ़ने ही वाला था, लेकिन बच निकला. मरियम ने बयान में कहा है, 'लादेन जिस कार में बैठा था वह काफी तेज स्‍पीड से सड़क पर भाग रही थी कि तभी पुलिसवालों ने उसे रोक लिया. लेकिन लादेन ने झट से पूरे मामले को सुलझा लिया और पुलिसवालों ने हमें जाने दिया.' अभी यह साफ नहीं है कि कार कौन चला रहा था.

लादेन के एक रिश्‍तेदार के मुताबिक, 'शेख (लादेन) अकसर काउब्‍वॉय हैट पहनता था ताकि अमेरिकी ड्रोन उसे पहचान ना पाएं. यही वजह है कि पाकिस्‍तान सरकार उसे कभी पहचान नहीं पाई और जब तक अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने उसे मारने का आदेश नहीं दिया तब तक वह वहां आराम से रह रहा था.'

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ऐबटाबाद आयोग की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि अपनी जिंदगी की आखिरी रात में वह अपनी छोटी बीवी अमल के साथ बेडरूम में था.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका पर हमले के मामले में खालिद बिन अतास को सबसे पहले गिरफ्तार किया गया. साल 2002 में हुई यह गिरफ्तारी सबसे पहली सफलता थी.

अतास ने कुवैत में पैदा हुए पाकिस्तानी नागरिक अहमद अली कुवैती की पहचान की थी. कुवैती ओसामा का दाहिना हाथ और संदेशवाहक था. इस तक पहुंचकर ही अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के लोग ओसामा तक पहुंचे थे.

मई, 2011 में ऐबटाबाद में अमेरिका के विशेष सुरक्षा बलों की कार्रवाई में ओसामा मारा गया था. रिपोर्ट के अनुसार कुवैती तक पहुंचने के प्रयास में जुटी सीआईए ने 2009 से 2010 के बीच पाकिस्तान को चार फोन नंबर दिए, हालांकि उसने इसका खुलासा नहीं किया कि ये नंबर किसके हैं.

ज्यादातर समय ये फोन बंद रहते थे. आईएसआई ने इस मामले के संदर्भ और फोन नंबर के मालिक की पहचान जाने बिना ही सीआईए को लंबे समय तक अंधेरे में रख रखा था.

ऐबटाबाद जांच आयोग की रिपोर्ट में कुवैती के बारे में कहा गया है कि आयोग ने पाया कि वह अक्तूबर-नवंबर 2001 में उस वक्त ओसामा के परिवार के साथ था जब वे लोग कराची में दाखिल हुए थे. इसमें कहा गया है, 'साल 2002 में जब ओसामा का परिवार पेशावर पहुंचा तो कुवैती उनके साथ था. 2002 के मध्य में ओसामा भी परिवार के साथ आ गया.' पेशावर से ये लोग स्वात चले गए जहां खालिद शेख मोहम्मद भी उनके पास गया था.

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कुवैती के साथ उसका भाई अबरार भी ओसामा के साथ था. ये सभी लोग 2005 तक हरिपुर में रहे थे. बाद में ये लोग कुवैती की योजना के मुताबिक ऐबटाबाद पहुंचे. यहीं पर ओसामा और उसका परिवार रहने लगे.

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