दुनियाभर में कोरोना संकट के बीच ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका पहले वैक्सीन निर्माता बने जिन्होंने मंगलवार को एक वैज्ञानिक मैगजीन में अंतिम चरण के क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे प्रकाशित किए. इसे कोरोना वायरस के इलाज के लिए सुरक्षित और प्रभावी दवाओं का उत्पादन करने के लिए वैश्विक दौड़ में अहम बाधा को पार करने जैसा माना जा रहा है.
एक समाचार एजेंसी के अनुसार प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संबंधी पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन ने पुष्टि की है कि वैक्सीन औसतन 70 प्रतिशत मामलों में कारगर है. यह रिपोर्ट वैक्सीन को लेकर चल रहे सकारात्मक घटनाक्रमों के दौरान आई है. इससे उम्मीद है कि वैक्सीन से महामारी पर रोक लगाने में मदद मिलेगी.
फिलहाल, ब्रिटेन मंगलवार को वैक्सीनेशन शुरू करने वाला पहला देश बन गया, जिसने पिछले सप्ताह सामान्य उपयोग के लिए मंजूरी देने के बाद Pfizer-BioNTech के वैक्सीन का उपयोग किया.
बहरहाल, ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के निदेशक प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि लैंसेट में प्रकाशन से पता चलता है कि डेवलपर्स पारदर्शी रूप से डेटा साझा कर रहे थे. महामारी के प्रकोप को कम करने के लिए वैक्सीन की एक श्रृंखला की आवश्यकता होगी.
देखें: आजतक LIVE TV
एंड्रयू पोलार्ड ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि यह वास्तव में डेवलपर्स के बीच प्रतियोगिता नहीं हो सकती है, यह वायरस के खिलाफ प्रतिस्पर्धा में होना है. अध्ययन से पता चलता है कि वैक्सीन की दो खुराक काफी असरकारक रही जबकि जिन्हें पहले आधी और फिर बाद में एक पूरी खुराक दी गई थी उसमें यह अनुपात 90 प्रतिशत रहा. इससे पहले AstraZeneca और ऑक्सफोर्ड के वैक्सीन पर सवाल उठे थे.