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पाक सेना ने माना, भारत नहीं, देसी उग्रवाद पाक के लिए खतरा

पाकिस्तानी सेना ने अपनी सोच में बदलाव करते हुए इस सिद्धांत को माना है कि भारत की बजाय पाकिस्तान के लिए देश में ही पैदा हुए उग्रवादी संगठन बड़ा खतरा हैं. दशकों से भारत के खिलाफ चली आ रही पाक सेना की सोच में बदलाव आया है.

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पाकिस्तानी सेना
पाकिस्तानी सेना

पाकिस्तानी सेना ने अपनी सोच में बदलाव करते हुए इस सिद्धांत को माना है कि भारत की बजाय पाकिस्तान के लिए देश में ही पैदा हुए उग्रवादी संगठन बड़ा खतरा हैं. दशकों से भारत के खिलाफ चली आ रही पाक सेना की सोच में बदलाव आया है.

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अमेरिकी नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में शामिल होने के 11 वर्ष बाद पाकिस्तान की सेना ने अपनी सामरिक प्राथमिकताओं में पहली बार बदलाव किया है. सेना ने अपने नए सिद्धांत में देश के कबाइली इलाकों और पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रहे छापेमार युद्ध और उग्रवादी संगठनों द्वारा किए जा रहे बम विस्फोटों को सबसे बड़ा खतरा बताया है. मीडिया में गुरुवार को आई खबरों में नए सैन्य सिद्धांत के हवाले से लिखा गया है कि अशांत कबाइली क्षेत्रों में तालिबान लड़ाकों की गतिविधियां और देश के मुख्य शहरों में सरकारी भवनों आदि पर निरंतर हो रहे आतंकवादी हमले सुरक्षा के लिए ‘वास्तविक खतरा’ हैं.

इस मुद्दे पर सुरक्षा अधिकारियों से बात करने वाले वरिष्ठ पत्रकारों ने जानकारी दी कि यह सैन्य सिद्धांत सेना की सामरिक प्राथमिकताओं और क्षमताओं की समीक्षा का हिस्सा है. नए सिद्धांत को चार वर्ष के अंतरात पर हाल ही में प्रकाशित किया गया है. करीब 200 पन्नों के इस नए सिद्धांत में हालांकि औपचारिक रूप से भारत पर ध्यान केन्द्रित रखने की अपनी नीति में बदलाव की बात नहीं कही गई है.

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अब तक भारत ही था टारगेट

लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाश प्राप्त) तलत मसूद जैसे सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह महत्वपूर्ण बदलाव है. उनका कहना है कि अफगानिस्तान के साथ जुड़ी पश्चिमी सीमा पर लगातार चल रही अशांति ने सेना की प्राथतिकताओं में बदलाव को प्रेरित किया है. मसूद ने कहा कि नए सैन्य सिद्धांत के प्रकाशन से पहले तक हमेशा भारत को ही पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की तैयारियां और हथियार हमेशा भारत के लिए ही थे, लेकिन पहली बार पड़ोसी देश ने स्वीकार किया है कि वास्तविक खतरा देश में ही पश्चिमी सीमाओं पर पैदा हो रहा है.

मसूद का मानना है कि पाकिस्तान की सेना अब गैर-पारंपरिक संघर्ष और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान तथा उसके सहयोगियों द्वारा सीमाओं पर पैदा किए जा रहे खतरों पर ध्यान देगी. मीडिया में आई खबरों के अनुसार, सिद्धांत में पहली बार ‘गैर-पारंपरिक संघर्ष’ पर नए अध्याय का समावेश किया गया है. किसी विशेष संगठन का नाम लिए बगैर सिद्धांत में ऐसे संघर्ष में लिप्त समूहों और तत्वों का उल्लेख किया गया है. सिद्धांत में हाल ही में अफगानिस्तान की सीमा से लगे क्षेत्रों में सीमा पर से हो रहे हमलों का भी जिक्र किया गया है. उसमें कहा गया है कि कुछ समूह और तत्व पाकिस्तान के अस्तित्व को नुकसान पहुंचाने के लिए कबाइली इलाकों और शहरी क्षेत्रों में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं.

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