पाकिस्तान की एक अदालत ने शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 37 साल पुराने एक 'रिश्वत' मामले में बरी कर दिया. यह मामला देश के एक प्रमुख मीडिया हाउस मालिक को 'रिश्वत' के रूप में 'कीमती सरकारी भूमि' हस्तांतरित करने से संबंधित था.
अदालत का यह फैसला नवाज शरीफ के छोटे भाई और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली संघीय सरकार द्वारा राजनेताओं पर लगे आजीवन प्रतिबंध हटाने के लिए कानून में महत्वपूर्ण संशोधन करने के कुछ दिनों बाद आया है.
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य ठहराया था. वर्ष 2018 में 'पनामा पेपर्स' मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नवाज को जीवन भर सार्वजनिक पद संभालने के लिए अयोग्य ठहराया था.
अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि लाहौर की एक अदालत ने तीन बार के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को लाहौर में जंग/जियो मीडिया समूह के मालिक मीर शकील-उर-रहमान को 54-कनाल (6.75 एकड़) कीमती सरकारी भूमि के अवैध हस्तांतरण से संबंधित मामले में बरी कर दिया है. यह भूमि करीब 37 साल पहले तब दी गई थी, जब नवाज शरीफ पंजाब के मुख्यमंत्री थे.
अधिकारी के मुताबिक, जज राव अब्दुल जब्बार ने नवाज शरीफ को तब बरी कर दिया, जब देश के भ्रष्टाचार-रोधी निकाय (राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो) ने अदालत को सूचित किया कि उसके कानून (शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार द्वारा) में हाल के संशोधनों के बाद मामला उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.
अदालत इस मामले में मीर शकील-उर-रहमान को पहले ही बरी कर चुका है. सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के वरिष्ठ नेता नवाज शरीफ नवंबर 2019 से ब्रिटेन में स्व-निर्वासन में रह रहे हैं.