पाकिस्तान अपनी रक्षा प्रणाली में स्टेल्थ क्षमता से युक्त परमाणु सक्षम क्रूज मिसाइलों को शामिल कर रहा है, जो भारत के लिए एक नई चुनौती होगी. इससे खासकर भारत की समुद्री सुरक्षा को गंभीर चुनौतियां मिलेंगी, जो दक्षिण एशिया में रणनीतिक बदलाव का कारण बनेगा.
रक्षा विशेषज्ञ और नई दिल्ली स्थित सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज के प्रतिष्ठित अध्येता सी. उदय भास्कर ने पाकिस्तान के स्वदेशी क्रूज मिसाइल बाबर का जिक्र करते हुए कहा, 'ऐसा लगता है कि पाकिस्तान, चीन के नक्शेकदम पर चलते हुए क्रूज मिसाइलों पर खर्च बढ़ा रहा है.' पाकिस्तान का बाबर मिसाल परमाणु एवं परंपरागत दोनों हथियारों का वहन कर सकता है.
अमेरिकी राज्य, हवाई की राजधानी होनोलुलू स्थित ईस्ट-वेस्ट सेंटर में मंगलवार को भारतीय समुद्री सुरक्षा की चुनौतियों पर एशिया प्रशांत सुरक्षा संगोष्ठी में भास्कर ने कहा, 'पाकिस्तान के इस कदम से क्षेत्र में स्थिरता को खतरा बढ़ा है.'
उन्होंने कहा कि भारत की मुख्य चुनौतियां सीमित संसाधन, जहाज निर्माण क्षमता, समुद्री बुनियादी संरचना तथा बदलता भू-राजनीतिक वातावरण है. दक्षिण एशिया में तेजी से बदलता रणनीतिक वातावरण तथा वश्विक स्तर पर ऐसे प्राकृतिक संसाधनों का विकास, जिस पर किसी का अधिकार नहीं है, भारत के लिए एक अन्य चुनौती है.
भास्कर ने कहा कि आने वाले दशक में अमेरिका, चीन तथा भारत के बीच महत्वपूर्ण त्रिकोणीय रणनीतिक साझेदारी होगी. दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान), ईरान तथा पाकिस्तान के साथ उनके व्यक्तिगत संबंधों से भी क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थितियां प्रभावित होंगी.
उन्होंने कहा कि विश्वसनीय युद्धपोतों का निर्माण भारत के लिए एक अन्य प्रमुख चुनौती है. इसके अतिरिक्त देश की समुद्री सुरक्षा से संबंधित बुनियादी संरचना भी ठोस नहीं है. सुरक्षा की दृष्टि से कमजोर बुनियादी संरचना वाली दुनिया के समुद्री तटों की सूची में भारत के मुंबई तट को 30वें स्थान पर रखा गया है.
भास्कर ने हालांकि यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जागरुकता बढ़ रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दो दशक में समुद्री चुनौतियों से निपटने की भारतीय क्षमता में वृद्धि होगी.