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2010 में अलकायदा के साथ संपर्क में थे नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ

न्यूयॉर्क के फेडरल कोर्ट में अमेरिकी अभियोग पक्ष के वकील की ओर से पेश किए गए पत्रनुमा दस्तावेज ने अहम खुलासा किया है. इस दस्तावेज के मुताबिक पाकिस्तान के शीर्ष नेता और पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भाई शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान की ताकतवर खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 2010 की गर्मियों में अलकायदा के साथ एक सीक्रेट शांति समझौता किया था.

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न्यूयॉर्क के फेडरल कोर्ट में अमेरिकी अभियोग पक्ष के वकील की ओर से पेश किए गए पत्रनुमा दस्तावेज ने अहम खुलासा किया है. इस दस्तावेज के मुताबिक पाकिस्तान के शीर्ष नेता और पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 2010 की गर्मियों में अलकायदा के साथ एक सीक्रेट शांति समझौता किया था.

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यह पत्र मारे गए अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के कमरे में मिला था, इसके मुताबिक पाकिस्तान अलकायदा के नंबर तीन नेता अल-मसरी तक पहुंचा था. इस दस्तावेज के मुताबिक अलकायदा उस समय भारत के खिलाफ अपने अभियान को फैलाने की शुरुआत कर रहा था. इस आशय की खबर अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने प्रकाशित की है.

अमेरिकी स्पेशल फोर्सेस को यह पत्र ओसामा बिन लादेन के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान एबटाबाद में मिला. यह दस्तावेज अभियोग पक्ष की ओर से पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक आबिद नासीर के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान पेश किया गया. नासीर को 2013 में ब्रिटेन से प्रत्यर्पित कर अमेरिका लाया गया था, उस पर टेरर सेल की अगुवाई करने का आरोप है, जिसने मैनचेस्टर और न्यूयॉर्क में बड़े बम धमाके करने की योजना बनाई थी.

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अभियोजन पक्ष ने पत्र के माध्यम से कोर्ट को बताया कि बिन लादेन को इस बात की पूरी जानकारी थी और यह अलकायदा के विदेशी मामलों के प्रमुख अब्दिरीजाक अब्दी सालेह की ओर से दी जाती थी. सालेह को 'सालेह द सोमाली' के नाम से भी जाना जाता है.

दस्तावेज के मुताबिक अलकायदा और पाकिस्तान के बीच 2010 की गर्मियों में समझौता हुआ. अलकायदा के मैनेजर अतिया अब्द अलरहमान ने बिन लादेन को जून 2010 में बताया कि हाफिज के समय से ही पाकिस्तान के दुश्मन हमारे साथ और तहरीक-ए-तालिबान (हकीमुल्लाह) के साथ पत्र व्यवहार कर रहे हैं. अमेरिकी अभियोजक ने कोर्ट को बताया कि हाफिज, अल-मसरी का कोड नाम है. वही हकीमुल्लाह तहरीक-ए-तालिबान का पूर्व मुखिया है. उसका पूरा नाम हकीमुल्लाह महसूद है.

रहमान ने इसके साथ ही बिन लादेन को यह भी बताया कि पंजाब के सीएम शाहबाज शरीफ ने एक मैसेज भेजकर इशारा दिया है कि पंजाब सरकार हमारे साथ समझौता करना चाहती है और सामान्य रिश्तों को दोबारा बहाल करने को तैयार है. इसके साथ ही पंजाब में लंबे समय तक अभियान नहीं चलाना चाहती.

इसके अलावा दस्तावेज कहता है कि अलकायदा को एक मैसेंजर भी मिला था जो कि आईएसआई नेता शुजा, शाह और अन्य की ओर से पत्र लेकर आया था. संभावना जताई गई है कि यह संदर्भ लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा के लिए था, जो उस समय आईएसआई का प्रमुख था.

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जनरल पाशा के बारे में माना जाता है कि ओसामा बिन लादेन के एबटाबाद में होने की कथित रूप से उसे जानकारी थी. हालांकि इस आरोप को शुजा पाशा ने खारिज कर दिया था. इसके अलावा उस पर 26/11 के साजिशकर्ताओं के साथ जुड़े होने के भी आरोप हैं. इन सबके बारे में डेविड कोलमेन हेडली ने अमेरिकी एजेंसियों को जानकारी दी थी.

इस सीक्रेट शांति समझौते में रहमान ने बिन लादेन से कहा, पाकिस्तान ने हमें सूचना दी है कि 'वे (पाकिस्तान सरकार) अलकायदा को पूरी छूट देने के लिए तैयार हैं, क्योंकि हमारी लड़ाई मुख्य तौर पर अमेरिकियों के खिलाफ है.'

अफगानिस्तान के जिहादी नेटवर्क के मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी ने अलकायदा की ओर से इस समझौते को अंजाम देने में दूत की भूमिका निभाई थी, जबकि पाकिस्तान की ओर से यह भूमिका हरकत-उल-मुजाहिद्दीन के चीफ फजल उर रहमान खलील ने निभाई थी. खलील एक छद्म आतंकी कमांडर है, जो इस्लामाबाद में खुलेआम घूमता रहता है.

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