पाकिस्तान में बाढ़ के कहर के बीच एक मंदिर ने लोगों के लिए मदद के दरवाजे खोले हैं. यहां मंदिर बलूचिस्तान के एक छोटे से गांव में है. जहां 300 के करीब बाढ़ पीड़ितों के खाने और रहने की व्यवस्था की गई है.
कछी जिले के जलाल खान गांव में स्थित बाबा माधोदास मंदिर ऊंचाई पर स्थित है. बाढ़ पीड़ितों ने यहां शरण ले रखी है. नदियों में बाढ़ के कारण गांव का संपर्क टूट गया था. स्थानीय हिंदू समुदाय ने बाढ़ प्रभावित लोगों और उनके पशुओं के लिए बाबा माधोदास मंदिर के दरवाजे खोल दिए। पीड़ितों में अधिकांश मुस्लिम समुदाय के हैं.
स्थानीय लोगों के अनुसार, बाबा माधोदास हिंदू संत थे. जिन्हें मुसलमानों और हिंदुओं दोनों मानते थे. भाग नारी तहसील के इल्तफ बुजदार बताते हैं कि उनके माता-पिता बाबा माधोदास के बारे में कहते थे कि वह ऊंट पर यात्रा करते थे. उन्होंने धार्मिक सीमाओं को पार कर लिया. वह लोगों को जाति और पंथ के बजाय मानवता की दृष्टि से देखते थे.
जलाल खान गांव के अधिकांश हिंदू रोजगार के लिए दूसरे क्षेत्रों में जाकर बस गए हैं. कुछ ही लोग हैं जो अभी यहां रहते हैं और मंदिर की देखरेख करते हैं. 55 वर्षीय रतन कुमार मंदिर की जिम्मेदारी संभालते हैं.
इस मंदिर में सौ से अधिक कमरे हैं. यहां बलूचिस्तान और सिंध प्रांत से हर साल भारी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं. रतन कुमार के बेटे सावन कुमार बताते हैं कि बाढ़ की वजह से कई कमरों को नुकसान पहुंचा है. हालांकि मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित है. मंदिर में 300 के करीब लोगों और उनके पशुओं को शरण दी गई है. इनकी हिंदू परिवारों द्वारा देखभाल भी की जा रही है.
स्थानीय हिंदुओं द्वारा लाउडस्पीकर के जरिए बाढ़ पीड़ितों से शरण लेने के लिए मंदिर में आने का आह्वान किया गया. वहां शरण लेने वालों का कहना है कि मुश्किल घड़ी में सहायता करने के लिए वे स्थानीय समुदाय के ऋणी हैं. बता दें कि पाकिस्तान में आई बाढ़ में लगभग 1,400 लोग मारे गए हैं. फसलें नष्ट हो गई हैं.
मोहनजोदड़ो के खंडहर भी प्रभावित
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, बारिश से 4,500 साल पुराने एक पुरातत्व स्थल को भी नुकसान पहुंचा है. सिंधु नदी के पास दक्षिणी सिंध प्रांत में स्थित और यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल मोहनजोदड़ो के खंडहर भी बारिश के चलते प्रभावित हुए हैं.