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आतंकी हाफिज सईद के करीबियों को कोर्ट से राहत, रद्द की गई सजा

जेयूडी के इन नेताओं को आतंकवाद विरोधी अधिनियम 1997 के तहत दोषी ठहराया गया था. जिसके बाद दोनों नेताओं ने लाहौर हाई कोर्ट में अपनी सजा को चुनौती दी थी.

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आतंकी वित्तपोषण मामले में हाफिज के करीबियों को मिली थी सजा
आतंकी वित्तपोषण मामले में हाफिज के करीबियों को मिली थी सजा

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  • दो वरिष्ठ नेताओं की सजा को किया निलंबित
  • आतंकवाद विरोधी अधिनियम 1997 के तहत था दोषी
पाकिस्तान की एक अदालत ने गुरुवार को आतंकवादी-वित्तपोषण के एक मामले में जमात-उद-दावा के दो वरिष्ठ नेताओं की सजा को निलंबित करते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. अब्दुल रहमान मक्की और अब्दुस सलाम, इन्हें 2008 में हुए मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का करीबी सहयोगी माना जाता है.

लाहौर की आतंकवाद-रोधी अदालत (एटीसी) ने अब्दुल रहमान मक्की और अब्दुस सलाम को इससे पहले जून महीने में आतंकी वित्तपोषण के लिए एक साल कैद की सजा सुनाई थी. एटीसी ने इसके अलावा दोनों नेताओं पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था. हालांकि दोनों नेताओं ने पैसे नहीं भरे जिसके बाद उन्हें अतिरिक्त छह महीने की जेल का आदेश दिया गया था.

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आतंकी संगठन जमात उद दावा (जेयूडी) के इन नेताओं को आतंकवाद विरोधी अधिनियम 1997 के तहत दोषी ठहराया गया था. जिसके बाद दोनों नेताओं ने लाहौर हाई कोर्ट में अपनी सजा को चुनौती दी थी. अदालत के एक अधिकारी ने बताया, ''लाहौर हाई कोर्ट ने आज (गुरुवार) अब्दुल रहमान मक्की और अब्दुस सलाम की एक-एक साल की सजा को निलंबित कर दिया और जमानत पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है."

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असजद जावेद गुरल और वहीद खान की दो सदस्यीय खंडपीठ ने गुरुवार को उनकी याचिका पर सुनवाई की और बचाव तथा अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद उसने मक्की और सलाम की याचिका स्वीकार कर ली और एटीसी की सजा को स्थगित करने का आदेश दिया. इसके साध ही पीठ ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का भी आदेश दिया है.

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बता दें, एटीसी के फैसले के अनुसार, दोनों नेताओं को आतंकवाद के वित्तपोषण का दोषी पाया गया था. जिसके बाद से दोनों लाहौर की कोट लखपत जेल में अपनी सजा काट रहे हैं. इन नेताओं पर धन इकट्ठा करने और प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा संगठन को वित्तीय मदद देने का दोष सिद्ध हुआ था. जिसके बाद एटीसी ने वित्तपोषण के माध्यम से एकत्र किए गए धन से बनाई गई संपत्ति को जब्त करने का भी आदेश दिया था.

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