पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि बीमार पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ को अपना शेष जीवन गरिमा के साथ बिताने के लिए वतन लौटने में ‘‘कोई बाधा नहीं’’ होनी चाहिए. परवेज मुशर्रफ पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया था और संविधान को निलंबित करने के लिए 2019 में मौत की सजा दी गई.
साल 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन करने वाले मुशर्रफ की वतन वापसी पर रक्षा मंत्री ने शनिवार को ट्वीट किया. ख्वाजा आसिफ ने लिखा, 'जनरल मुशर्रफ के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उनके घर लौटने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए. पिछली घटनाओं को इस संबंध में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. अल्लाह उन्हें स्वास्थ्य दे और वे जीवन के इस हिस्से में गरिमा के साथ अपना समय बिता सकें.'
वतन वापसी पर शहबाज सरकार में पहला बयान
पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार के किसी मंत्री ने पहली बार परवेज मुशर्रफ की वतन वापसी पर कोई बयान दिया है. सोशल मीडिया पर मुशर्रफ की मौत की अफवाह फैलने के बाद उनके परिवार ने ट्विटर के जरिए जानकारी दी थी कि वो वह वेंटिलेटर पर नहीं थे, लेकिन पिछले तीन सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे. एक दुर्लभ बीमारी एमिलॉयडोसिस से पीड़ित हैं और मुश्किल चरण से गुजर रहे हैं, जहां से स्वस्थ होना मुश्किल है. उनके लिए दुआ करें.
डॉन अखबार ने बताया कि रिटायर्ड जनरल की बीमारी 2018 में सामने आई जब ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग ने घोषणा की कि वह दुर्लभ बीमारी एमाइलॉयडोसिस से पीड़ित हैं. Amyloidosis एक दुर्लभ बीमारी है, जो शरीर के अंगों में एक असामान्य प्रोटीन बनने के कारण होती है और इसके चलते शरीर के अंग सामान्य तरीके से काम नहीं कर पाते हैं.
2016 से पाक नहीं लौटे मुशर्रफ
बता दें कि 30 मार्च, 2014 को मुशर्रफ पर संविधान को निलंबित करने का आरोप लगाया गया था. 17 दिसंबर, 2019 को एक विशेष अदालत ने मुशर्रफ को उनके खिलाफ राजद्रोह के मामले में मौत की सजा सुनाई थी. बाद में मौत की सजा को पलट दिया गया. पूर्व सैन्य शासक ने इलाज के लिए मार्च 2016 में दुबई के लिए देश छोड़ दिया था और तब से पाकिस्तान नहीं लौटे हैं.