पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद खस्ता हालात से गुजर रही है, देश पर पड़े इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए पाकिस्तान कई तरह की कटौतियों में लगा हुआ है, जिसका मकसद देश को दिवालिया होने से बचाना है.
इसी बीच ये खबर आई थी कि पाकिस्तानी सेना रक्षा बजट में कटौती कर देश की मदद करेगी. अब ये कहा गया है कि पिछले साल के रक्षा बजट में कोई तब्दीली न करते हुए इस साल का रक्षा बजट वही रखा जाएगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान सरकार साल 2019-20 के लिए वार्षिक बजट पेश करेगी.
पिछले कई सालों से पाकिस्तान के रक्षा बजट में बढ़ोतरी हो रही थी लेकिन इस बार इसे स्थिर रखने का फैसला किया गया है. अंतर-सेवा सार्वजनिक संबंध (ISPR)ने ये घोषणा की है कि इस साल का रक्षा बजट पिछले साल के समान ही रखा जाएगा. प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि सेना के कहने पर रक्षा बजट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
प्रधानमंत्री इमरान खान ने की सेना का सराहना
पाकस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ईद से पहली रात ट्वीट कर कहा था कि हमारे आर्थिक हालात खराब है और कई मोर्चों पर सुरक्षा की चुनौतियों से जूझ रहे हैं, इसके बाद भी सेना ने अगले वित्त वर्ष के दौरान रक्षा व्यय में स्वैच्छिक कटौती का फैसला किया है, जिसकी मैं सराहना करता हूं. इसके साथ ही इमरान ने इस कटौती के पैसे का इस्तेमाल कबीलाई क्षेत्रों और बलूचिस्तान के विकास के लिए करने को कहा था.
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने भी ट्वीट किया था कि सालभर के लिए रक्षा बजट में स्वैच्छिक कटौती सुरक्षा की बिनाह पर नहीं की गई है. हम सभी तरह के खतरों से निपटने में सक्षम हैं. यह महत्वपूर्ण है कि हम कबीलाई क्षेत्रों और बलूचिस्तान के विकास में भागीदार बन रहे हैं. बता दें कि पाकिस्तान का 2018-19 वित्तीय वर्ष का रक्षा बजट लगभग 1.1 खरब (पाकिस्तानी रुपये) था. जिसमें पहले के मुकाबले 21 फीसदी की वृद्धि देखी गई थी.
आईएमएफ का बेलआउट पैकेज है वजह!
एक तरफ पाक सेना द्वारा रक्षा बजट में बढ़ोतरी न करने पर सराहना की जा रही है वहीं, दूसरी तरफ देश की खस्ता हालत के चलते पाकिस्तानी सेना के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं है जो अफगानिस्तान, ईरान और भारत की सीमाओं पर बड़े पैमाने पर तैनात है. बजट में कटौती की वजह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ 6 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज को भी माना जा रहा है.
जिसमें आईएमएफ बेलआउट पैकेज के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि, मुद्रास्फीति में वृद्धि और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये का अवमूल्यन शामिल है. बता दें कि 11 जून को होने वाली नेशनल असेंबली से पहले फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस द्वारा वार्षिक बजट (2019-20) पेश करने की उम्मीद है.