पाकिस्तान में पेशावर हाईकोर्ट के दो-सदस्यीय बेंच ने 100 से अधिक अफगान म्यूजिशियन की जबरन निर्वासन की प्रक्रिया को रोकते हुए शहबाज शरीफ सरकार को दो महीने में उनके शरण के मामलों का निपटारा करने का आदेश दिया है. जस्टिस वकार अहमद की अगुवाई में बेंच ने शुक्रवार को दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया.
याचिकाकर्ता हशमतुल्लाह ने अदालत के सामने यह दलील दी कि उनके कस्टमर अफगानिस्तान से हैं, लेकिन तालिबान सरकार के आने के बाद उन्होंने पाकिस्तान का रुख किया क्योंकि उन्हें अफगानिस्तान में जान का खतरा था.
पाकिस्तान सरकार जबरन निर्वासित नहीं कर सकती!
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान में अपना रोजगार खो दिया और अब पाकिस्तान में भी उन्हें अलग-अलग तरह की प्रताड़नाओं और जबरन निर्वासन की धमकियों का सामना करना पड़ता है. इसे उन्होंने मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया. उन्होंने तर्क दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत पाकिस्तानी सरकार उन्हें जबरन निर्वासित नहीं कर सकती है.
शरण की मांग को दो महीने में निपटाने का आदेश
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील मुम्ताज अहमद और संघीय सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सहायक अटार्नी जनरल राहत अली नकवी अदालत में मौजूद थे. च ने मामलों को निपटाते हुए संघीय सरकार या उसके नामित अधिकारियों को अफगान म्यूजिशियन की शरणार्थी याचिकाओं का दो महीने के भीतर निपटारा करने का निर्देश दिया. इसके अलावा अदालत ने आदेश में कहा कि अफगान म्यूजिशियन संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के साथ शरण के लिए आवेदन भी कर सकते हैं.
यह भी पढ़ें: 'खाना है या ओढ़ना है', पाकिस्तान का ये शख्स बना रहा 12 फुट 'कंबल के आकार' की रोटी, देखें वीडियो
अफगान म्यूजिशियंस को अदालत से मिली राहत
बेंच के आदेश के मुताबिक, अगर उनके मामले दो महीने के भीतर नहीं सुलझते हैं, तो संघीय आंतरिक सचिव को उन्हें एक नीतिगत ढांचे के तहत पाकिस्तान में अस्थायी रूप से रहने की अनुमति देनी चाहिए. यह फैसला उन म्यूजिशियंस के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, जो पहले से ही असुरक्षा और उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, और उनके सुरक्षित भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है.