पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया के खुलासे पर पाकिस्तान ने प्रतिक्रिया दी है. पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने अजय बिसारिया की किताब की निंदा करते हुए कहा है कि इस किताब में फरवरी 2019 में हुए घटनाक्रम को भारत के पक्ष में नैरेटिव बनाने की कोशिश की गई है. भारत के अधिकारी इस किताब से सीना ठोकने की कोशिश कर रहे हैं.
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने कहा है कि जैसे-जैसे भारत में लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है. यह आश्चर्य की बात नहीं है कि पाकिस्तान को कोसने वाली और सैन्यवादी कहानी भारत में फैलाई जा रही है.
अजय बिसारिया ने अपनी किताब Anger Management: The Troubled Diplomatic Relationships Between India And Pakistan में पुलवामा हमले, बालाकोट एयरस्ट्राइक और कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र किया है.
आधी रात को पीएम मोदी से की थी बात करने की कोशिश
किताब में 'कत्ल की रात' टॉपिक में अजय बिसारिया ने खुलासा किया है कि बालाकोट के एयरस्ट्राइक के बाद भारतीय मिसाइल हमले के डर से पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान डर गए थे. ऐसे में स्थिति को संभालने के लिए उन्होंने आधी रात को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की कोशिश की थी.
अजय बिसारिया ने अपनी किताब में लिखा है कि वर्धमान के पकड़े जाने के बाद भारत में मौजूद पाकिस्तान के हाई कमिश्नर सोहेल महमूद ने मुझसे फोन पर बात की. उन्होंने कहा कि इमरान खान पीएम मोदी से बात करना चाहते हैं. हमने दिल्ली संपर्क किया और फिर महमूद को बताया कि पीएम मोदी अगले कुछ घंटे उपलब्ध नहीं है. उसके बाद महमूद ने मुझे फोन नहीं किया.
दरअसल, 27 फरवरी 2019 को अभिनंदन वर्धमान ने एक पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया था. लेकिन इस दौरान उनके जेट पर पाकिस्तानी मिसाइल लग गई. जिसके बाद पाकिस्तान ने इंडियन एयरफोर्स के फाइटर पायलट अभिनंदन वर्धमान को पकड़ लिया था और उन्हें नहीं छोड़ने की बात कही थी. लेकिन आखिर में डरकर पाकिस्तान बातचीत करने के लिए तैयार हो गया.
तनाव कम करने के लिए पाकिस्तान ने चीन से मांगी थी मदद
पूर्व राजनयिक अजय बिसारिया ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि भारत द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने के बाद, नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तनाव कम करने के लिए कई देशों ने अपने विशेष दूत भेजने की पेशकश की थी. चीन ने भी सुझाव दिया था कि वह तनाव कम करने के लिए दोनों देशों में अपने उप मंत्री भेज सकता है, लेकिन भारत ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था.