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कंगाल हो चुके पाकिस्तान पर महंगाई और वित्तीय घाटे की दोहरी मार

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत खराब है. खजाना खाली है. ऐसे में बढ़ती महंगाई और वित्तीय घाटा की दोहरी मार उसकी कमर और तोड़ने वाली है. वहां के वित्त मंत्री ने खुद यह बात स्वीकार की है.

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बदहाल अर्थव्यवस्था से इमरान खान परेशान (फोटो: PTI)
बदहाल अर्थव्यवस्था से इमरान खान परेशान (फोटो: PTI)

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Pakistan Inflation पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था नाजुक दौर से गुजर रही है. खजाना खाली है और सरकार आईएमएफ से राहत पैकेज के लिए कई बार चिरौरी कर चुकी है. ऐसे में वहां लगातार बढ़ती महंगाई और ऊंचा वित्तीय घाटा (fiscal deficit) सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रही है. पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने खुद यह बात स्वीकार की है और नेशनल एसेंबली से गुहार की है कि इसके लिए कोई रास्ता निकाला जाए.

फरवरी, 2019 में पाकिस्तान की महंगाई दर बढ़कर 8.21 फीसदी तक पहुंच गई है. यह जून 2014 के बाद की सबसे ऊंची महंगाई दर है. जनवरी 2019 में महंगाई दर 7.19 फीसदी थी. फिच सोल्युशंस के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान का वित्तीय घाटा बढ़कर जीडीपी के 6 फीसदी तक पहुंच सकता है. वित्त वर्ष 2017-18 में यह जीडीपी का 5.8 फीसदी था.

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पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने इस बात भी दुखड़ा रोया कि पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सिफारिशों का कितना अनुपालन कर रहा है, इसके लिए भारत ने एक अलग आकलन पेश किया है. उन्होंने कहा कि ग्रोथ मॉडल के ढांचे, संसाधनों को जुटाने, बचत दर बढ़ाने, निवेश को बढ़ावा देने, नौकरियों के सृजन और गरीबी हटाने के लिए योजना बनाने में नेशनल एसेंबली के फाइनेंस कमिटी को सक्रिय भूमिका निभानी होगी.

गौरतलब है कि दिसंबर 2018 तक पाकिस्तान पर कुल बाह्य कर्ज 99 अरब डॉलर का था, जो कि उसकी जीडीपी का 35.8 फीसदी है. इस कर्ज को और खतरनाक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बना रहा है क्योंकि उसके पास विदेशी मुद्रा में महज चंद अरब डॉलर की रकम है. इसके अलावा मौजूदा वित्त वर्ष में पाकिस्तान सरकार का चालू खाता घाटा भी लगभग 8 अरब डॉलर के स्तर पर है. इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान कर्ज के किस टाइम बम पर बैठा हुआ है.

पुलवामा आतंकी हमले पर चौतरफा घिरे पाकिस्तान को एक और झटका लगा है. पेरिस में हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में फैसला लिया गया है कि पाकिस्तान अभी ग्रे लिस्ट में ही बरकरार रहेगा. यानी हाफिज सईद के जमात-उद-दावा पर बैन लगाकर पाकिस्तान जो ग्रे लिस्ट से बाहर आने की कोशिश कर रहा था उसमें वह नाकामयाब रहा है.  

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FATF की ओर से पाकिस्तान को नसीहत भी दी गई है जितना समय मिला है उस दौरान में ही टारगेट को पूरा किया जाए. आपको बता दें कि ये संस्था आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे देशों को आर्थिक मदद मुहैया कराती है.

इस संस्था की तरफ से दी जाने वाली रेटिंग का असर वर्ल्ड बैंक, IMF समेत कई अन्य संस्थाओं पर बढ़ता है. ये संस्थाएं रेटिंग के अनुसार ही किसी देश को कर्ज देती हैं. भारत लगातार दबाव बना रहा था कि पाकिस्तान को FATF में ब्लैकलिस्टेड किया जाए. इसके लिए कई देशों से बात भी की जा रही थी.

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