महंगाई से जूझ रही पाकिस्तान की आम जनता पर आने वाले दिन और मुश्किलें लेकर आने वाले हैं. पाकिस्तान के सामने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने लोन देने को लेकर जो शर्तें रखी हैं, उनमें सब्सिडी खत्म करना भी शामिल है.
IMF की टीम 10 दिनों तक पाकिस्तान में रही लेकिन बेलआउट पैकेज पर किसी तरह की सहमति नहीं बन पाई और वो 10 फरवरी को वापस लौट गई. दोनों पक्षों के बीच राजकोषीय नीति पर चल रहे मतभेद खत्म होने का नाम नहीं ले रहे.
IMF का कहना है कि पाकिस्तान सब्सिडी को कम करे और अपने राजस्व में बढ़ोतरी करे. IMF स्थायी राजस्व उपायों पर जोर दे रहा है, जिसमें जीएसटी को 17 से बढ़ाकर 18% करना, पेट्रोलियम तेल उत्पादों पर जीएसटी लगाना जैसे उपाय शामिल हैं.
मतभेदों को सुलझाने के लिए पाकिस्तानी सरकार और IMF के बीच सोमवार शाम को एक वर्चुअल मीटिंग तय है. इस मीटिंग से पहले रविवार को पाकिस्तान की कैबिनेट ने बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी और सब्सिडी समाप्त करने की योजना को मंजूरी दे दी. द न्यूज ने सोमवार को बताया कि कैबिनेट ने एक संशोधित परिपत्र ऋण प्रबंधन योजना को भी हरी झंडी दे दी है.
पाकिस्तान की कैबिनेट ने बिजली की दरों में बढ़ोतरी को लेकर जो योजना बनाई है, उसके तहत पाकिस्तान की सरकार चार तिमाही में धीरे-धीरे करके बिजली की कीमतों में 7.91 रुपये की बढ़ाएगी करेगी. इस योजना को फिलहाल IMF के सामने पेश किया जाना बाकी है.
योजना के तहत उपभोक्ता आधार टैरिफ जून 2022 में 15.28 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर जून 2023 तक 23.39 रुपये प्रति यूनिट कर दिया जाएगा. सरकार ने मार्च 2023 से निर्यातकों को दी जाने वाली 65 अरब रुपये की बिजली सब्सिडी को समाप्त करने की भी मंजूरी दी है.
सरकार निर्यातकों को बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी वापस लेगी जिससे उसे 51 अरब रुपये मिलेंगे. मार्च 2023 से किसान पैकेज के तहत बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी को भी समाप्त किया जा रहा है. इससे सरकार के खाते में 14 अरब रुपये आएंगे. जून 2023 तक बिजली उपभोक्ताओं से लगभग 250 अरब रुपये की वसूली भी की जाएगी.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार का कहना है कि पाकिस्तान को IMF से समझौते का ड्राफ्ट Memorandum of Economic and Financial Policies (MEFP) मिल चुका है. लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि दोनों पक्ष लंबित मामलों को कब तक सुलझाएंगे.
मित्र देश भी नहीं कर रहे पाकिस्तान की मदद
इधर, पाकिस्तान तेजी से डिफॉल्ट होने की तरफ बढ़ रहा है. तीन फरवरी को खत्म हुए सप्ताह में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 2.91 अरब डॉलर रह गया है. पाकिस्तान को आने वाले महीनों में 9 अरब डॉलर की विदेशी कर्ज की किस्त चुकानी है. अगर पाकिस्तान और IMF के बीच जल्द ही कोई बात नहीं बनी तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी.
अगस्त/सितंबर 2022 में की गई अंतिम आईएमएफ समीक्षा के दौरान, IMF ने कहा था कि पाकिस्तान का केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाकर जून 2023 के अंत तक 16.2 अरब डॉलर करे. लेकिन पाकिस्तान के लिए इस टार्गेट को पाना असंभव लग रहा है. पाकिस्तान के दोस्त सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और चीन भी उसे मदद नहीं दे रहे. इन देशों का कहना है कि अगर पाकिस्तान IMF प्रोग्राम को स्वीकार लेता है तभी वो उसे कर्ज देंगे.
पाकिस्तान में दूध-चिकन मिल रहा इतना महंगा
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज के लिए जारी पाकिस्तान की जद्दोजहद के बीच वहां के लोग बेतहाशा बढ़ती महंगाई से परेशान हैं. दूध की कीमत अचानक 190 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 210 रुपये प्रति लीटर हो गई हैं. एक किलो चिकन जो कुछ दिन पहले 620-650 रुपये किलो मिल रहा था, अब उसकी कीमत बढ़कर 700-780 रुपये किलो हो गया है. पाकिस्तान में मुर्गे-मुर्गियों को खिलाया जाना वाला दाना काफी महंगा हो गया है. 50 किलो के एक दाने के बोरे के लिए 7,200 रुपये देने पड़ रहे हैं. इस कारण पाकिस्तान में चिकन महंगा होता जा रहा है.
पाकिस्तानी अखबार, डॉन के मुताबिक, कराची मिल्क रिटेलर्स एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी वहीद गद्दी ने कहा कि कुछ दुकानदार दूध को बढ़ी हुई कीमत पर बेच रहे हैं. ये दुकान थोक विक्रेताओं और डेयरी किसानों के हैं. उन्होंने कहा कि यदि डेयरी किसानों और थोक विक्रेताओं ने इसी बढ़ी हुई कीमत पर दूध को बेचना जारी रखा तो खुदरा विक्रेताओं को खरीद मूल्य में 27 रुपये प्रति लीटर अधिक देने होंगे. इसके बाद वो दूध के लिए ग्राहकों से एक लीटर दूध के लिए 210 के बजाए 220 रुपये लेने को मजबूर होंगे.