पाकिस्तान आम चुनाव में सुरक्षा के मद्देनजर 3,70,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया गया है. देश के इतिहास में यह चुनाव के दिन अब तक की सर्वाधिक सैन्य तैनाती है. वहीं, पाकिस्तान चुनाव आयोग के 7 लाख कर्मियों के साथ कुल 8 लाख जवान (3.7 लाख सैनिक और करीब 5 लाख पुलिसकर्मी) तैनात किए गए हैं.
पाकिस्तान में चुनाव प्रचार सोमवार आधी रात थम गया. चुनाव प्रचार के दौरान अनेक आंतकवादी हमले हुए. चुनाव अभियान के दौरान हुई आतंकवादी घटनाओं में 3 उम्मीदवारों समेत लगभग 200 लोग मारे गए.
पाकिस्तानी सेना के मुताबिक 25 जुलाई यानी आज वोटिंग के दौरान 85,000 मतदान केन्द्रों पर 3,71,388 सैनिकों को तैनात की गई है. देश के इतिहास में किसी भी चुनाव में यह सैनिकों की सर्वाधिक तैनाती है. इस दौरान 16 लाख कर्मी ड्यूटी पर तैनात किए हैं. लगभग 5 लाख पुलिसकर्मी तैनात हैं, जिनमें 2,02,100 पंजाब और इस्लामाबाद में तथा 1,00,500 पुलिसकर्मी सिंध में तैनात किए गए हैं.
सेना ने एक बयान में कहा, 'देश भर में सैनिकों को तैनात करने का कार्य पूरा हो गया है.' इसमें कहा गया कि सैनिक स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिल कर मतदान के लिए सुरक्षित माहौल बनाएंगे. सुरक्षा बलों ने आगाह किया है कि मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं तथा कुछ उम्मीदवारों की सुरक्षा को गंभीर खतरा है.
गौरतलब है कि देश में चुनाव प्रचार और उम्मीदवारों को निशाना बनाते हुए अनेक आंतकवादी हमले हुए हैं. इनमें बलूचिस्तान प्रांत में 13 जुलाई को हुआ हमला भी शामिल हैं जिसमें 151 लोग मारे गए थे.
सेना को मजिस्ट्रेट की शक्तियां हासिल होने की रिपोर्ट के बाद सेना की भूमिका पर भी प्रश्न उठे हैं. पाकिस्तान के चुनाव आयोग को मतदान केन्द्र के भीतर और बाहर सेना तैनात करने पर आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है.
सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा ने आश्वस्त किया है कि चुनावी ड्यूटी में तैनात सेना के जवान कड़ाई से आचार संहिता का पालन करेंगे. जनरल बाजवा ने यह भी कहा है कि सेना चुनाव में केवल सहायक भूमिका निभाएगी और चुनाव प्रक्रिया ईसीपी के नियंत्रण और प्राधिकार में होगी.