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पाकिस्तान में हिंसा के बीच नई सरकार के गठन के लिए आज चुनाव होने जा रहा है. इमरान खान के जेल में होने की वजह से मुख्य मुकाबला नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) और बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि नवाज शरीफ इस दौड़ में सबसे आगे हैं और वह चौथी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ सकते हैं. इसकी बड़ी वजह सेना का उन्हें मिल रहा बेतहाशा समर्थन है.
पाकिस्तान की सेना ने 'प्रोजेक्ट इमरान' के बाद नवाज शरीफ पर दांव लगाया है. नवाज शरीफ की जीत सुनिश्चित होने के पीछे पाकिस्तान की सेना की गुडबुक में उनका सबसे ऊपर होना है. सेना की इमरान खान से तल्खियां बढ़ी हुई हैं, जिस वजह से पाकिस्तान में नवाज शरीफ का सिलेक्शन पक्का माना जा रहा है.
पाकिस्तान के बड़े-बड़े पत्रकार टीवी पर ये खुलकर कबूल कर रहे हैं कि नवाज शरीफ एक बार फिर पीएम आवास लौट रहे हैं. शरीफ को पांच साल पहले करोड़ों रुपये की हेराफेरी के मामले में दोषी करार देने के नाम पर चुनाव लड़ने से रोका गया था. उन्हें पाकिस्तान की अदालत उम्रकैद से लेकर 10 साल तक की सजा सुना चुकी है लेकिन फिर भी नवाज शरीफ को थाल में परोसकर पाकिस्तान देने का फैसला किया जा चुका है.
भारत के लिए क्या कह रहे हैं पीएम पद के दावेदार शरीफ?
पाकिस्तान के हर चुनाव में भारत बड़ा मुद्दा रहा है. नवाज शरीफ भारत से दोस्ती को अपने ट्रंप कार्ड की तरह पेश करते रहे हैं. वे जनता को याद दिला रहे हैं कि उनकी ही सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक पाकिस्तान आए थे. लेकिन सवाल ये है कि नवाज शरीफ चुनावों में भारत का कार्ड क्यों खेल रहे हैं? क्या कश्मीर पर भारत के कड़े रुख के बावजूद वो भारत की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहते हैं?
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नवाज शरीफ भारत से रिश्ते ठीक करना चाहते हैं, लेकिन क्यों? इसका पहला जवाब है, हिंदुस्तान की तरक्की, जिसकी चमक को पाकिस्तान के लोग भी कबूलते हैं. मानते हैं कि भारत से अब दोस्ती में ही फायदा है. यही वजह है कि जनता की आवाज को सुनते हुए शरीफ ने लंदन से लौटने के बाद से ही भारत को लेकर सुर नरम किए हुए हैं. ताकि भारत से दोस्ती के पुराने इतिहास को दिखाकर अपनी सियासी ताकत को मजबूत किया जा सके.
नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने अपने घोषणापत्र में भारत को 'शांति का संदेश' देने का वादा किया है. हालांकि इसमें ये शर्त भी रखी है कि भारत को कश्मीर का विशेष दर्जा लौटाना होगा.
भारत से रिश्तों में तल्खी को लेकर इमरान पर फोड़ा ठीकरा
नवाज पाकिस्तान के मौजूदा हालात का ठीकरा इमरान के सिर फोड़ रहे हैं. उनका कहना है कि इमरान की वजह से ही हिंदुस्तान से रिश्ते बिगड़े और पाकिस्तान की जनता को महंगाई की आग में झोंक दिया गया. दोनों देशों के बीच व्यापार 2019 से बंद है. पुलवामा हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्ज छीन लिया और वहां से आयात होने वाले सामानों पर कस्टम ड्यूटी 200 फीसदी तक बढ़ा दी. इसके बाद जब भारत सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दी तो उससे बौखलाकर पाकिस्तान ने कारोबार पर रोक लगा दी.
चुनाव के लिए कितना तैयार पाकिस्तान?
पड़ोसी मुल्क में होने वाले चुनाव के मद्देनजर देशभर में लगभग 650,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. चुनाव में देश के 12.85 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने अफगानिस्तान और ईरान के साथ लगने वाली सीमाओं को सील कर दिया है. पोलिंग अधिकारियों के निरीक्षण में 90 हजार से अधिक मतदान केंद्रों पर मतदान सामग्री पहुंचाई गई.
मतदान सुबह आठ बजे शुरू हो जाएगा और शाम पांच बजे तक जारी रहेगा. इसके मद्देनजर देशभर में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई है ताकि लोग बिना किसी रोक-रुकावट के वोट डाल सकें.
चुनाव आयोग ने देशभर में कुल 90,7675 पोलिंग बूथ तैयार किए हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं के लिए 25,320 बूथ, महिलाओं के लिए 23,952 और अन्य के लिए 41,402 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. आयोग का कहना है कि 44 हजार पोलिंग स्टेशन सामान्य हैं जबकि 29,985 को संवेदनशील क्षेत्रों में हैं. वहीं, 16,766 अत्यिधक संवेदनशील हैं.
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कहां सबसे ज्यादा मतदाता?
पाकिस्तान में संसदीय चुनावों के साथ-साथ प्रांतीय चुनाव भी होंगे. पंजाब में सबसे ज्यादा सात करोड़ 32 लाख से ज्यादा मतदाता हैं. इसके बाद सिंध में दो करोड़ 69 लाख से अधिक मतदाता, खैबर पख्तूनख्वा में दो करोड़ 19 लाख से ज्यादा और बलूचिस्तान में 53 लाख 71 हजार से ज्यादा मतदाता हैं. वहीं, इस्लामाबाद में दस लाख से अधिक मतदाता हैं.
पाकिस्तान चुनाव आयोग के मुताबिक, नेशनल असेंबली की दौड़ में कुल 5121 से ज्यादा उम्मीदवार आमने-सामने हैं. इनमें 4807 पुरुष, 312 महिलाएं और दो ट्रांसजेंडर हैं. चार प्रांतीय असेंलबी में होने वाले चुनावों में कुल 12,695 उम्मीदवार दौड़ में हैं जिनमें 12,123 पुरुष, 570 महिलाएं और दो ट्रांसजेंडर हैं.
नेशनल असेंबली की कुल 336 सीटों पर चुनाव होंगे. इन सीटों पर 266 उम्मीदवार वोटिंग से चुने जाएंगे. वहीं, असेंबली की 70 सीटें आरक्षित हैं. इनमें से 60 महिलाओं के लिए जबकि 10 गैर मुस्लिमों के लिए आरक्षित हैं. चुनाव जीतने वाली पार्टियां के अनुपात के आधार पर ये सीटें आवंटित की जाएंगी.
चार प्रांतीय विधानसभाओं पर गठजोड़
पाकिस्तान के चार प्रांतों में कुल 749 सीटें हैं, जिनमें से 593 सीटों पर चुनाव होंगे. चुनाव आयोग ने कम से कम तीन सीटों पर चुनाव में देरी कर दी. इनमें से दो सीटें खैबर पख्तूनख्वा और एक पंजाब में है. इन चार प्रांतों में कुल 132 सीटें महिलाओं और 24 अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं.
अब देखना दिलचस्प होगा कि नवाज शरीफ पर सेना का दांव कितना कारगर साबित होता है. इस चुनाव से बिलावल भुट्टो के राजनीतिक भविष्य की रूपरेखा भी तय होगी और इमरान खान का सियासी सफर भी.