पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान का राजनीतिक करियर ही 'फिनिश' करने की तैयारी चल रही हैं. पाकिस्तान में उनकी मुश्किलें खत्म होती नहीं दिख रही है. पहले तो चुनाव आयोग ने उनकी संसद की सदस्यता खत्म कर दी, लेकिन अब इमरान पर फंदा और भी कस दिया गया है. पाकिस्तान चुनाव आयोग ने उन्हें पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (PTI) के चेयरमैन पद से भी हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
चुनाव आयोग ये कदम तोशखाना मामले में उन्हें संसद सदस्यता से अयोग्य करार देने के बाद उठाने जा रहा है. बता दें कि पीटीआई के कर्ता-धर्ता इमरान खान ही हैं, उन्होंने ही खून-पसीने से इस पार्टी को सींचा है और पाकिस्तान में एक राजनीतिक दल के रूप में खड़ा किया है. अगर इमरान खान को सचमुच पीटीआई के अध्यक्ष पद से हटा दिया जाता है तो ये उनके लिए राजनीतिक करियर शायद सबसे बड़ा झटका होगा. क्योंकि तब उन्हें पार्टी का नेतृत्व किसी और शख्स के हाथ में सौंपना पड़ेगा.
पाकिस्तान के अखबार डॉन के अनुसार इस बाबत इमरान खान को नोटिस दिया गया है, और मामले की सुनवाई के लिए 13 दिसंबर तारीख तय की गई है.
वहीं पाकिस्तान तहरीक इ इंसाफ के पदाधिकारियों का कहना है कि कोई भी कानून किसी भी सजायाफ्ता को राजनीतिक दल का पदाधिकारी बनने से नहीं रोकता है.
अनुच्छेद 63 के तहत नवाज गए, 62 की वजह से इमरान पर तलवार
हालांकि, 2018 में, सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने चुनाव अधिनियम के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था कि संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के तहत अयोग्य घोषित किया गया व्यक्ति किसी राजनीतिक दल का नेतृत्व नहीं कर सकता है. यानी कि वो पार्टी का चेयरमैन नहीं रह सकता है.
बता दें कि इसी फैसले की वजह से अनुच्छेद 62 (1) (F) के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के बाद पीएमएल-एन के प्रमुख के रूप में नवाज शरीफ की विदाई का रास्ता साफ हो गया.
गौरतलब है कि तोशखाना विवाद में पाकिस्तान चुनाव आयोग ने इमरान खान को वहां के संविधान की धारा 63 (i) (p) के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया था. इस अनुच्छेद में 'झूठा विवरण देने और गलत जानकारी' देने पर सदस्यों की सदस्यता को खत्म करने का प्रावधान है.
बता दें कि इसी साल अप्रैल में इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव गंवाने के बाद पीएम पद भी छोड़ना पड़ा था.
क्या है तोशखाना का विवाद
जिस तोशखाना विवाद की वजह से इमरान खान ने अपनी संसद की सदस्यता गंवाई और जिसकी वजह से पीटीआई के अध्यक्ष पद पर तलवार लटक रही है वो विवाद आखिर है क्या ये हम आपको बताते है.
पाकिस्तान के कानून के अनुसार प्रधानमंत्री को विदेश से मिलने वाले तोहफों को तोशखाने में जमा करना पड़ता है. इस तोशखाने की स्थापना 1974 में की गई थी. इस तोशखाने में उपहार का मूल्यांकन होता है. इसके बाद ही इस उपहार को कोई रख सकता है.
सरकारी अधिकारियों को प्राप्त होने वाले किसी भी उपहार की जानकारी देनी पड़ती है, लेकिन उनके पास एक सीमा होती है जिसके नीचे उन्हें पूरे मूल्य का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं होती है. बड़े तोहफों को तोशखाना भेज दिया जाता है. हालांकि जिसे गिफ्ट मिला होता है वो उस गिफ्ट को उसके वास्तविक मूल्य 50 फीसदी पर तोशखाना से वापस खरीद सकता है.
इमरान खान पर आरोप है कि उन्हें जो उपहार विदेशों से मिले थे उसे उन्होंने बेहद कम कीमत पर तोशखाना से खरीद लिया. एजेंसी के अनुसार इमरान को पहले जो तोहफे मिले थे तोशखाना में उनकी कीमत 108 मिलियन पाकिस्तानी रुपये लगाई गई थी. लेकिन इमरान ने उन्हें 21.5 मिलियन में खरीद लिया.
चर्चा में रही प्रिंस सलमान की 20 लाख डॉलर की घड़ी
इमरान को तोहफे में मिली उस महंगी घड़ी की काफी चर्चा हुई थी जो उन्हें सऊदी प्रिंस सलमान ने बतौर गिफ्ट दिया था. इस घड़ी की कीमत 20 लाख डॉलर बताई जाती है. दुबई में कारोबार करने वाले एक पाकिस्तानी बिजनेसमैन उमर फारूक जहूर ने दावा किया था कि उसने अपने एक दोस्त फराह के जरिये इमरान खान से इस घड़ी को एक बड़े सौदे में खरीदा था. लेकिन बार बार विवाद के ये बिजनेसमैन इस घड़ी को सऊदी प्रिंस को वापस करना चाहता है. इस सौदे के सामने आने के बाद इमरान की बड़ी किरकिरी हुई थी.