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पाकिस्तान में इमरान खान का प्रधानमंत्री बनना तय, जादुई आंकड़े से सिर्फ 18 कदम दूर

रुझानों में पिछड़ने के बाद से ही नवाज शरीफ की पार्टी PML(N) की ओर से चुनाव में धांधली का आरोप लगाया गया. नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ ने आरोप लगाया कि ये चुनाव पाकिस्तान के इतिहास के सबसे बेईमानी वाले चुनाव हैं.

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पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया इमरान खान (Getty Images)
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया इमरान खान (Getty Images)

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पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में बुधवार को आम चुनाव के लिए मतदान संपन्न हुआ. मतदान खत्म होने के तुरंत बाद ही पूरे देश में वोटों की गिनती शुरू हो गई. देर रात तक पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) रुझानों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. हालांकि, अभी तक पाकिस्तान की हंग असेंबली बनती हुई दिख रही है.

अभी तक आए रुझानों में PTI 119, PML(N) 60, PPP 35 सीटों पर आगे चल रही है. इसके अलावा 58 सीटों पर अन्य उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. कुल 272 सीटों में 267 सीटों के रुझान अबतक सामने आए हैं. PML(N) के शहबाज शरीफ, PPP के बिलावल भुट्टो, MMA के फजल उर रहमान, जमात ए इस्लामी के सिराज उल हक अपनी-अपनी सीट पर चुनाव हार गए हैं.

शरीफ ने लगाया धांधली का आरोप

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रुझानों में पिछड़ने के बाद से ही नवाज शरीफ की पार्टी PML(N) की ओर से चुनाव में धांधली का आरोप लगाया गया. नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ ने आरोप लगाया कि ये चुनाव पाकिस्तान के इतिहास के सबसे बेईमानी वाले चुनाव हैं. हम इन नतीजों को खारिज करते हैं. उन्होंने कहा कि इमरान खान धोखे से चुनावों में बढ़त बनाए हुए हैं. हमारे कई समर्थकों को मतगणना स्थल से बाहर निकाल दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि मतगणना पर भारी मात्रा में गड़बड़ी की जा रही है.

इस बीच बिलावल भुट्टो की पार्टी पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने मतों की गणना की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है और आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी के एजेंटों को कई निवार्चन क्षेत्रों के मतदान केंद्रों से बाहर किया गया है. आरोपों पर जबाव देते हुए पंजाब के प्रांतीय चुनाव आयुक्त ने कहा कि नेताओं को ऐसे निराधार आरोप लगाने से बचना चाहिए.

सरकार बनाने के लिए 137 सीटों की जरूरत

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं जिनमें से 272 को सीधे तौर पर चुना जाता है जबकि शेष 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं. आम चुनावों में 5 फीसदी से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टियां इन आरक्षित सीटों पर समानुपातिक प्रतिनिधित्व के हिसाब से अपने प्रतिनिधि भेज सकती हैं. हालांकि, वर्तमान में कोई पार्टी तभी अकेले दम पर सरकार बना सकती है जब उसे 137 सीटें हासिल हो जाए.

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पाकिस्तान चुनाव आयोग के मुताबिक, नेशनल असेंबली की 272 जनरल सीटों के लिए 3,459 उम्मीदवार चुनाव लड़े. जबकि 4 प्रांतीय विधानसभाओं- पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा की 577 जनरल सीटों के लिए 8,396 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमायी.

इमरान बनेंगे पीएम?

इमरान के विरोधियों के अनुसार उनकी पार्टी को सेना और खुफिया संस्था 'इंटर-सर्विसिस इंटेलिजेंस' (आईएसआई) का समर्थन प्राप्त है, जिस वजह से कहा जा रहा है कि उन्हें अपने विरोधियों के खिलाफ थोड़ी बढ़त हासिल है. खान का दावा है कि वह देश की अब तक की पारंपरिक राजनीतिक पार्टियों को मात देकर 'नया पाकिस्तान' बनाएंगे.

हाफिज की पार्टी बुरी तरह पिछड़ी

मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बेटा हाफिज तल्हा और दामाद खालिद वलीद भी मैदान में हैं. यह दोनों उन 260 उम्मीदवारों में शामिल हैं, जिन्होंने 2011 में पंजीकृत हुई 'अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक' के उम्मीदवार के रूप में नामांकन किए हैं. हालांकि, एक भी सीट पर हाफिज की पार्टी को ना तो जीत नसीब हुई है और ना ही वह कहीं आगे दिख रही है.

देश के 85,307 मतदान केंद्रों पर सुबह आठ बजे मतदान शुरू हुआ और शाम छह बजे तक जारी रहा. हालांकि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समेत बड़े दलों ने मतदान के समय को एक घंटा बढ़ाने की मांग की थी लेकिन छह बजे मतदान केंद्रों के दरवाजे बंद कर दिए गए.

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जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टियों ने धीमी मतदान प्रक्रिया की शिकायत की और मतदाताओं को अधिक समय देने की मांग की गई, जिसे निर्वाचन आयोग ने खारिज कर दिया.

वोटिंग के दौरान विस्फोट

आम चुनावों के लिए मतदान शुरू होने के कुछ घंटे बाद इस्लामिक स्टेट के एक फिदाइन हमलावर ने बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा के भोसा मंडी इलाके के एक मतदान केंद्र के बाहर विस्फोट में खुद को उड़ा लिया। इस हमले में कई पुलिसकर्मियों सहित 31 लोग मारे गए. पुलिस ने बताया कि चुनाव से जुड़ी हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में 4 लोग मारे गए. कई मतदान केंद्रों के बाहर प्रतिद्वंद्वी पार्टियों के बीच झड़पें हुईं.

पाकिस्तानी संसद के निचले सदन और चार प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों के लिए वोट करने के लिए करीब 10.6 करोड़ लोग वोटर के तौर पर पंजीकृत हैं. पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में यह चुनाव सत्ता का दूसरा लोकतांत्रिक परिवर्तन है.

16 लाख चुनाव कर्मियों की निगरानी में डाले गए वोट

सुचारू मतदान प्रक्रिया के लिए पाकिस्तान चुनाव आयोग ने देश भर में करीब 16 लाख चुनाव कर्मियों को मतदान केंद्रों पर तैनात किया है. सुरक्षा के लिए करीब 4,49,465 पुलिसकर्मियों और 3,70,000 से ज्यादा सैन्यकर्मियों की तैनाती की गई है. मतदान के मद्देनजर आज पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था.

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अफगानिस्तान से सटे पाकिस्तान के रूढ़िवादी कबायली जिले अपर डीर की महिलाओं ने आज पहली बार चुनावों में वोट डाले. 1970 के दशक में पाकिस्तान के पहले आम चुनावों के बाद से अब तक अपर डीर की महिलाएं सांस्कृतिक रूढ़ियों के कारण वोट डालने के अपने अधिकार से वंचित थीं. पाकिस्तान चुनाव आयोग ने कहा था कि उन चुनाव क्षेत्रों में मतदान अमान्य करार दे दिया जाएगा जहां महिलाओं को वोट डालने से रोका जाएगा.

अल्पसंख्यक समुदाय लोग भी वोट डालने से वंचित रहे

एक मीडिया रिपोर्ट में आज कहा गया कि अल्पसंख्यक समुदायों के कुछ लोगों को इस्लामाबाद के एक चुनाव क्षेत्र में वोट नहीं डालने दिया गया. 'डॉन' के मुताबिक, यह घटना इस्लामाबाद के एनए -54 चुनाव क्षेत्र में हुई. अवामी वर्कर्स पार्टी ने शिकायत की कि मतदान केंद्र पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को वोट डालने की इजाजत नहीं दी जा रही थी, क्योंकि मतदान कर्मियों के पास अल्पसंख्यकों के लिए मतदाता सूची नहीं थी.

ट्रांसजेंडर नहीं डाल पाए वोट

एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस ने आज पेशावर में ट्रांसजेंडर पर्यवेक्षकों के एक समूह को मतदान केंद्रों में दाखिल नहीं होने दिया जबकि पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने उन्हें मतदान केंद्रों में जाकर पर्यवेक्षण करने की अनुमति दे रखी थी. दि एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक , 25 ट्रांसजेंडर पर्यवेक्षकों ने चुनाव आयोग से अपनी परेशानी बताई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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लाहौर में कुछ ट्रांसजेंडर वोटरों को वोट डालने से रोके जाने की घटनाएं सामने आईं. पर्यवेक्षकों ने आरोप लगाया कि ट्रांसजेंडर इलेक्शन डे ऑब्जर्वर नाम के उनके संगठन को सुरक्षा बलों ने अफगान कॉलोनी में रोक दिया जबकि उनके पास चुनाव आयोग की ओर से जारी मान्यता कार्ड थे. उन्होंने कहा कि समूचे पेशावर में उन्हें मतदान केंद्रों में प्रवेश नहीं करने दिया गया.

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