पाकिस्तान के चुनाव में धांधली हुई है या नहीं, यह मुद्दा देश की अलग-अलग अदालतों के सामने है. इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ द्वारा समर्थित नेता धांधली के आरोप लगा रहे हैं. नवाज और बिलावल भुट्टो की पार्टी भी चुनाव में धोखाधड़ी के दावे कर रही हैं और अदालतों का दरवाजा खटखटाया है. लाहौर हाई कोर्ट ने इस संबंध में दायर 18 याचिकाओं को खारिज कर दिया. इस बीच धांधली-धोखाधड़ी के विरोध में दो राजनीतिक दलों ने अपनी जीती सीटें त्यागने का फैसला किया है.
जमात-ए-इस्लामी पार्टी के वरिष्ठ नेता हाफिज नईमुर रहमान ने सिंध प्रांत में अपनी सीट त्याग दी, जो उन्होंने गुरुवार के चुनावों में जीती थी. उन्होंने साथ ही बताया कि संबंधित सीट पर पीटीआई समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी. सिंध प्रांत के पीएस-129 निर्वाचन क्षेत्र से 26,296 वोटों से उनकी जीत का ऐलान किया गया था. नईमुर रहमान ने कहा कि उन्होंने 8 फरवरी के चुनावों के दौरान कई निर्वाचन क्षेत्रों में कथित धांधली को उजागर करने के लिए यह कदम उठाए हैं.
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पीटीआई कैंडिडेट ने हासिल की थी जीत
हाफिद रहमान ने कहा, ''पीटीआई समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार ने उस सीट से जीत हासिल की और मैं उसका फायदा नहीं उठा सकता." उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं ने धोखाधड़ी के आरोपों के बीच मतगणना की जांच की और पाया कि पीटीआई समर्थित उम्मीदवार की जीत थी.
रहमान ने दावा किया कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सैफ बारी ने उनकी टीम की गणना के मुताबिक जीत हासिल की थी. साथ ही दावा किया नई काउंटिंग के हिसाब से उन्हें 31000 नहीं बल्कि 11000 वोट मिले थे.
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दो विधानसभा सीटों को खाली करने का ऐलान
एक अन्य घटना में ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रमुख पीर सिबगतुल्ला शाह रशीदी ने कराची में पार्टी के परिणाम में हेरफेर का हवाला देते हुए सिंघ विधानसभा की दो सीटें खाली करने का ऐलान किया है. कथित धांधली की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ''हम कोई चैरिटी सीटें नहीं लेंगे.'' साथ ही उन्होंने कहा कि वह इस चुनाव को अस्वीकार करते हैं.
पाकिस्तान में पीटीआई कार्यकर्ताओं का विरोध
दोनों दलों की तरफ से धांधली के आरोपों पर मुहर लगाते हुए यह ऐलान ऐसे समय में किए गए हैं, जब देशभर में पीटीआई और विभिन्न दलों के नेता-कार्यकर्ता विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. 8 फरवरी को आम चुनावों के बाद से, पीटीआई, जमात-ए-इस्लामी (जेआई) पार्टी, तहरीक-ए-लब्बैक (टीएल), और जमीयत उलेमा इस्लाम (जेयूआई) दावा कर रहे हैं कि कई राष्ट्रीय चुनावों में उनके उम्मीदवारों को जानबूझकर हराया गया है और इसलिए वे चुनाव परिणाम स्वीकार नहीं करते.