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आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान ने किया झूठा दावा, अब ग्रे सूची में ही रहेगा

इस सूची से खुद को बाहर निकालने के लिए आवश्यक 15 वोट हासिल करना बहुत मुश्किल है. इस तरह से उसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (PTI)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (PTI)

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  • PAK को लेकर नीदरलैंड के एक थिंक-टैंक ने ऐसा माना
  • एफएटीएफ की अगले सप्ताह पेरिस में होनी है बैठक
नीदरलैंड के एक थिंक-टैंक का मानना है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की अगले सप्ताह पेरिस में होने वाली बैठक में एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) की तीखी नाराजगी के बाद भी पाकिस्तान के ग्रे सूची में बने रहने की संभावना है. यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने कहा, 'इस बात में संदेह है. पाकिस्तान वास्तव में एफएटीएफ की आवश्यकताओं का पालन करने के प्रति गंभीर नहीं है.'

15 वोट हासिल करना मुश्किल

ईएफएसएएस ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से झूठे दावे किए गए हैं कि उसने आतंकवाद को प्रायोजित करने पर लगाम कसी है. कहा गया कि पाकिस्तान निश्चित रूप से ग्रे सूची में बना रहेगा, क्योंकि उसके द्वारा इस सूची से खुद को बाहर निकालने के लिए आवश्यक 15 वोट हासिल करना बहुत मुश्किल है. इस तरह से उसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

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ईएफएसएएस ने कहा, 'अगर पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करने और अपने नकली मुद्रा कारखानों व नेटवर्क के माध्यम से इसे आर्थिक मदद देने के अपने इसी रास्ते पर रहता है तो उसकी स्थिति और भी खराब हो जाएगी.'

थिंक-टैंक ने कहा, 'पाकिस्तानी अधिकारियों ने एपीजी को उन उपायों से अवगत कराया, जिनके बारे में उसका दावा है कि उन्होंने संदिग्ध लेन-देन और गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने का काम किया है. इसके अलावा पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने अवैध संगठनों और समूहों की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है. उसे हालांकि एपीजी को समझाने में बहुत कम सफलता मिली.'

2 अक्टूबर को जारी की गई थी रिपोर्ट

दरअसल, एपीजी द्वारा पाकिस्तान के लिए तैयार की गई म्यूचुअल इवॉलुशन रिपोर्ट (एमईआर) दो अक्टूबर को जारी की गई थी. यह 228 पेज की रिपोर्ट पाकिस्तान द्वारा प्रदान की गई जानकारी पर आधारित है. साथ ही पिछले साल अक्टूबर में एपीजी मूल्यांकन टीम द्वारा क्षेत्र का दौरा भी किया गया था.

क्या है ग्रे लिस्ट?

जी-7 देशों की पहल पर एफएटीएफ की स्थापना 1989 में हुई थी. इस संगठन में 37 सदस्य हैं, जिसमें भारत भी शामिल है. इसका मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने में नाकाम देशों की रेटिंग तैयार करना है. एफएटीएफ ऐसे देशों की दो लिस्ट तैयार करता है. पहली लिस्ट ग्रे और दूसरी ब्लैक होती है. ग्रे लिस्ट में शामिल होने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से आर्थिक मदद मिलने में मुश्किल होती है. वहीं, ब्लैक लिस्ट में आर्थिक सहायता मिलने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है.

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