अमेरिका में पाकिस्तान के नए राजदूत मसूद खान की नियुक्ति में देरी को लेकर पाकिस्तान अब भारत पर अपनी भड़ास निकाल रहा है. पाकिस्तान का आरोप है कि भारत उसकी छवि को खराब कर रहा है. भारतीय मीडिया में छपी खबरों पर नाराजगी जताते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार ने मंगलवार को कहा कि ये सभी खबरें बेबुनियाद हैं और मसूद खान की नियुक्ति को लेकर अमेरिका में प्रक्रिया चल रही है.
क्या है पूरा मामला?
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने हिजबुल समर्थक मसूद खान को पिछले साल नवंबर में अमेरिका में पाकिस्तान का राजदूत नामित किया था. लेकिन अमेरिका उन्हें राजदूत के रूप में स्वीकारने में काफी वक्त लगा रहा है.
इस मामले को लेकर विवाद तब पैदा हुआ जब एक अमेरिकी सांसद स्कॉट पेरी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को एक चिट्ठी लिखी और कहा कि वो मसूद खान को राजदूत के रूप में स्वीकार न करें.
पत्र में अमेरिकी सांसद ने लिखा, 'मुझे इस बात से प्रेरणा मिली है कि विदेश विभाग ने पाकिस्तान से नए राजदूत के रूप में मसूद खान की मंजूरी पर रोक लगा दी है. मुझे लगता है कि सिर्फ रोक लगाना ही काफी नहीं है. मैं आपसे मसूद खान की नियुक्ति को अस्वीकार करने का निवेदन करता हूं. इस जिहादी सोच के व्यक्ति को अमेरिका में राजदूत बनाने के प्रयास को अस्वीकार करें.'
अमेरिकी सांसद ने पत्र में ये भी लिखा कि मसूद खान ने जिहादी बुरहान वानी सहित हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों की प्रशंसा की है और हिजबुल मुजाहिदीन के खिलाफ प्रतिबंधों के लिए 2017 में अमेरिका के खिलाफ बयान भी दिया है.
पाकिस्तानी अखबारों ने भी छापी ये खबर
पाकिस्तान के अखबारों ने भी इस खबर को प्रमुखता से छापा था. डॉन ने अपनी एक रिपोर्ट में अमेरिकी सांसद के पत्र का जिक्र किया है. हालांकि अखबार ने ये भी लिखा है कि अमेरिका में भारतीय लॉबी इस तरह के पत्रों के पीछे है.
डॉन ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के लोगों का मानना है कि मसूद खान को राजदूत के रूप में स्वीकारने में देरी उनके पिछले पद यानी कश्मीर के प्रेसिडेंट होने को लेकर हो रही है.
कौन हैं मसूद खान?
मसूद खान इससे पहले पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के प्रेसिडेंट रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने कश्मीर विवाद पर पाकिस्तान के मामले को आगे बढ़ाने का काम किया. उन्होंने बीजिंग, द हेग और वाशिंगटन डीसी में पाकिस्तान मिशनों में विभिन्न राजनयिक पदों पर कार्य किया है.
मसूद ने अपनी सेवा के दौरान चीन में राजदूत के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि के रूप में काम किया. वो पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी रहे हैं. उन्हें पाकिस्तान के एक कट्टरपंथी के रूप में देखा जाता है.