अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी जीत के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान सामने आया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका पुराने दोस्त और पार्टनर हैं. प्रवक्ता ने यह भी कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के नए अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने से पाकिस्तान के चीन के साथ संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
पीटीआई के मुताबिक मुमताज जहरा बलूच ने कहा कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति-चुनाव ट्रंप को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में उनके चुनाव पर बधाई दी. बलूच ने साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा, "अमेरिका के साथ हमारे संबंध दशकों पुराने हैं और हम सभी क्षेत्रों में पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों को और मजबूत और व्यापक बनाने की उम्मीद करते हैं."
यह पूछे जाने पर कि क्या ट्रंप के चुनाव से पाकिस्तान-चीन संबंधों पर असर पड़ेगा, उन्होंने कहा कि बीजिंग के साथ इस्लामाबाद के संबंध सदाबहार, रणनीतिक और देश की विदेश नीति में स्थिरता का स्रोत हैं. यह संबंध दुनिया भर के घटनाक्रमों से अप्रभावित रहा है. इसलिए हमें इस संभावना पर विचार करने की भी आवश्यकता नहीं है कि यह संबंध किसी अन्य देश में किसी घरेलू घटनाक्रम से प्रभावित होगा."
उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान में चीनी नागरिकों, परियोजनाओं और संस्थानों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
यह पूछे जाने पर कि क्या ट्रंप पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं और मौजूदा सरकार पर भी उनका दबाव हो सकता है, उन्होंने कहा कि यह अटकलबाजी वाली रिपोर्टिंग है. पाकिस्तान और अमेरिका परस्पर सम्मान, परस्पर विश्वास और एक-दूसरे के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करने के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाते रहेंगे.
कश्मीर मुद्दे पर फिर उगला जहर
कश्मीर मुद्दे पर बोलते हुए बलूच ने कहा कि कश्मीर के लिए पाकिस्तान की स्थिति सर्वविदित है और उसने बार-बार इस बात को रेखांकित किया है कि जम्मू-कश्मीर के लोग ही इसका भविष्य तय करेंगे क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवादित क्षेत्र है. भारत को यह समझना चाहिए कि वह बलपूर्वक हथकंडों के माध्यम से कश्मीरी लोगों की वास्तविक आकांक्षाओं को दबा नहीं सकता. उसे कश्मीर के लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों में निहित आत्मनिर्णय के उनके अविभाज्य अधिकार का सम्मान करना चाहिए.
भारत की फटकार के बाद आई प्रतिक्रिया
बता दें कि बलूच का यह बयान टप्पणी भारत द्वारा पाकिस्तान पर झूठ और मिथ्या प्रचार करने व संयुक्त राष्ट्र मंच का उपयोग अपने विभाजनकारी, राजनीतिक एजेंडे के लिए करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दा उठाने के बाद की गई आलोचना के बाद आई है. भारत ने कहा था कि किसी भी तरह की गलत सूचना और भ्रामक जानकारी से जमीनी स्तर पर तथ्य नहीं बदलेंगे. भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा.
संक्षिप्त जानकारी के दौरान, बलूच ने कहा कि पाकिस्तान 15 नवंबर को मनाए जाने वाले गुरु नानक की आगामी जयंती के लिए सिख तीर्थयात्रियों का स्वागत करने के लिए उत्सुक है. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान और भारत के बीच धार्मिक तीर्थयात्रियों का आदान-प्रदान 1974 के द्विपक्षीय प्रोटोकॉल के तहत होता है जो अभी भी चालू है. हम महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों पर पाकिस्तान आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा प्रदान करना जारी रखेंगे.”
बाकू में दोंनों देशों के PM की मुलाकात पर कही ये बात
अगले हफ्ते अजरबैजान के बाकू में जलवायु सम्मेलन के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच किसी बैठक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “इस समय, बाकू में भारत के प्रधानमंत्री के साथ कोई द्विपक्षीय बैठक तय नहीं की जा रही है.”
उन्होंने जेल में बंद कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के स्वास्थ्य की खबरों के बारे में भी बात की, जो भूख हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा, "हम भारतीय अधिकारियों से मलिक को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा प्रदान करने और उन्हें तुरंत रिहा करने का आग्रह करते हैं."