पाकिस्तान के बदतर आर्थिक हालत और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पाकिस्तान पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने बड़ा बयान दिया है. अब्बासी ने कहा कि वर्तमान में देश के हालात ऐसे हैं जिससे सैन्य तख्तापलट होने की भी संभावना है. उन्होंने कहा कि देश में संवैधानिक संकट है जिससे लोगों को परेशानी हो रही है.
उन्होंने सभी हितधारकों से आपस में बातचीत शुरू करने का आग्रह किया. अब्बासी ने कहा कि पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान, पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, इन तीन अहम लोगों को फिर से बातचीत शुरू करनी चाहिए. अब्बासी ने अराजकता की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समाज और संस्थाओं के बीच टकराव और बढ़ा तो फिर ऐसी स्थिति में सेना बागडोर संभाल सकती है.
सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी के एक वरिष्ठ नेता अब्बासी ने अगस्त 2017 से मई 2018 तक पाकिस्तान के 21वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. एक टेलीविजन शो के दौरान उन्होंने कहा कि अगर सिस्टम विफल हो गया या सरकार और संवैधानिक संस्थाओं के बीच टकराव बढ़ता गया तो फिर मार्शल लॉ की हमेशा संभावना बनी रहेगी. 64 वर्षीय नेता ने कहा, 'पाकिस्तान में इसी तरह की स्थितियों में कई बार लंबे समय तक मार्शल लॉ लगा है.'
हालांकि, पीएमएल-एन नेता ने उम्मीद जताई कि सेना मार्शल लॉ लगाने के विकल्प पर विचार नहीं कर रही है. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि वे उस पर विचार कर रहे हैं, लेकिन जब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा होगा, तो ऐसी स्थिति में देश की सेना दखल दे सकती है.' उन्होंने कहा कि यदि सेना ने सत्ता अपने हाथ में ले ली तो इससे कुछ अच्छा होने की बजाय स्थिति और बिगड़ जाएगी.
उन्होंने कहा, 'राजनीतिक व्यवस्था ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है. हर राजनीतिक दल आज 12 महीने से सरकार में है, लेकिन उन्होंने अब तक कुछ नहीं किया है. यह वास्तव में गहरा संकट है.' अब्बासी ने कहा, 'वास्तव में, मैं कहूंगा कि पाकिस्तान ने पहले कभी इससे गंभीर आर्थिक और राजनीतिक हालात नहीं देखे हैं. अगर आप बड़ी कुर्सियों पर बैठे हैं और आपकी सोच छोटी है तो फिर कुछ नहीं हो सकता है...जिस तरह जज बन रहे हैं, उनका आप रिकॉर्ड देखें. उन्होंने कहा कि सब कुछ खुले माहौल में होना चाहिए. '
उन्होंने कहा कि नेता हों या जनरल हो. सब मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार हैं. अब्बासी ने मौजूदा न्यायिक व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए खहा कहा, 'देश का संविधान बना और उसकी स्पिरिट बहुत अच्छी थी लेकिन हमने उस पर अमल नहीं किया इसे और ट्विस्ट कर दिया. अपनी तरह का यह एक क्लासिक केस है कि मुल्क में जज कैसे बनते हैं. इसके लिए आप पिछले 15-20 साल के केस देख सकते हैं. जजों ने नेताओं को रबर स्टांप बना दिया. दुनिया का कोई ऐसा मुल्क नहीं है जहां जज खुद को नियुक्त करते हैं.'