पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. उन्होंने 79 साल की उम्र में दुबई के अस्पताल में आखिरी सांस ली. परेवज मुशर्रफ ने ही भारत के साथ करगिल युद्ध की पूरी प्लानिंग की थी. खास बात ये कि इस प्लानिंग की भनक तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी नहीं लगी थी.
करगिल युद्ध में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान में तख्ता पलट हुआ और नवाज शरीफ को कुर्सी से बेदखल कर दिया गया. सत्ता से दूरी बनाने के सालों बाद नवाज शरीफ ने बताया कि कैसे पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर मुद्दा सुलझने नहीं दिया.
पाकिस्तान में एक अखबार के राजनीतिक संपादक रहे सुहैल वड़ाएच ने नवाज शरीफ से बातचीत पर किताब ‘गद्दार कौन’ लिखी है. इस किताब में नवाज शरीफ ने सुहैल को बताया कि मुझे करगिल के बारे में कुछ नहीं बताया गया. मुझे वाजपेयी के टेलीफोन से पता चला था कि हमारी सेना करगिल में लड़ रही है.
शरीफ ने कहा... बताइए हमारी भारत से बातचीत चल रही थी और मेरे पीठ पीछे करगिल पर चढ़ाई कर दी गई. हमें करीब पांच महीने बाद बताया गया. फिर यह कहा गया कि सेना खुद आक्रमण में शामिल नहीं, केवल जिहादी-मुजाहिदीन लड़ रहे हैं. जब करगिल वॉर हुआ तो पूरी नॉर्दन लाइन इनफेंट्री उड़ गई. तब मैंने मुशर्रफ से पूछा कि आप ने तो कहा था कि किसी फौजी की जान नहीं जाएगी तो वह बोले भारतीय सेना कार्पेट बॉम्बिंग कर रही है. जब भारत बमबारी करता था तो मोर्चों के ऊपर कुछ नहीं होता था. लोगों के सिर उड़ जाते थे.
नवाज शरीफ के मुताबिक, परवेश मुशर्रफ, जनरल अजीज जो चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ थे, जनरल महमूद जो नॉर्दर्न जोन की कमान संभाले थे, जावेद हसन जो नॉर्दर्न जोन के डिवीजन कमांडर थे- इन चारों के अलावा किसी को भी करगिल ऑपरेशन की भनक तक नहीं थी. प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, रक्षा सचिव, नेवल चीफ, चीफ एयर स्टाफ, किसी को इस ऑपरेशन की जानकारी नहीं थी.
तब रात डेढ़ बजे क्लिंटन ने अटल साहब को फोन किया
नवाज शरीफ बताते हैं कि जब युद्ध छिड़ा तो कुछ दिन बाद मुशर्रफ मेरे पास आए और बोले मामला काफी बिगड़ गया है. हमारी चोटियां भारत के कब्जे में जा रही हैं. मुझ पर समस्या का समाधान निकालने का दबाव बनाने लगे. तब मैंने सोचा अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से बात की जाए. वही दोनों देशों के बीच युद्ध विराम करा सकते हैं, नहीं तो पाकिस्तान बहुत कुछ खो देगा.
मैं क्लिंटन से मिलने अमेरिका गया. उनसे युद्ध रुकवाने के लिए कहा. उन्होंने रात डेढ़ बजे वाजपेयी साहब से फोन पर बात की. उन्होंने बताया कि नवाज शरीफ यहां हैं. मैंने शरीफ से कहा था कि हम जंग रुकवाने के लिए तैयार हैं. जवाब में भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा- जंग पाकिस्तान ने शुरू की है. उसकी इच्छा है तो वह बंद करे, हमें कोई परवाह नहीं.
सजा देने की बजाय मुशर्रफ को इनाम दे दिया
नवाज शीरफ ने बताया कि करगिल युद्ध छेड़ने पर पाकिस्तान दुनिया के निशाने पर था. उसे आलोचनाओं का सामना करना पड़ा रहा था. युद्ध छेड़ने के फैसले पर उसकी बदनामी हो रही थी. युद्ध रुकने के बाद मुशर्रफ मुझे गालियां देते थे. मुशर्रफ एंड कंपनी ने सेना में संदेश दिया कि वह कश्मीर लेने गए थे लेकिन नवाज शरीफ ने उन्हें रोक दिया.
किताब के मुताबिक, इन सब के बाद भी नवाज शरीफ ने परवेज मुशर्रफ पर कार्रवाई करने के बजाए उन्हें ज्वॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. उन्होंने कहा कि मुशर्रफ, करगिल फोबिया के शिकार हो गए थे. उन्हें लग रहा था कि उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की पोजीशन से हटाकर चेयरमैन बना दिया जाएगा. उनकी जगह किसी नए को आर्मी चीफ बनाया जाएगा लेकिन मैंने सब कुछ भुला दिया. इतनी बड़ी गलती के बाद भी मैंने उन्हें माफ कर दिया.