मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले का मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी फिलहाल जेल से रिहा नहीं होगा. कोर्ट ने आतंकी लखवी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
पाकिस्तान सरकार ने इससे पहले लखवी की सशर्त जमानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. आतंकी लखवी ने भी एक अन्य मामले में उसे मिली दो दिनों की हिरासत को चुनौती दी है. पाकिस्तान सरकार ने अपनी याचिका में कोर्ट को बताया कि लखवी को जमानत देते समय हाईकोर्ट ने सरकार की तरफ से जिरह नहीं सुनी थी.
सोमवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश नुरूल हक कुरेशी की अध्यक्षता वाली कोर्ट ने लखवी को सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. उससे जमानत राशि (सिक्योरिटी बांड) के रूप में दस लाख रुपये जमा करने के लिए कहा गया था.
वहीं इसके एक दिन बाद अपरहण के एक मामले में इस्लामाबाद की एक कोर्ट ने उसे दो दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. इससे पहले, 18 दिसंबर को लखवी को इस्लामाबाद की एक आतंक रोधी अदालत (एटीसी) ने गिरफ्तारी के बाद जमानत दे दी थी, हालांकि संघीय सरकार ने लोक व्यवस्था कानून का हवाला देते हुए अदियाला जेल में उसकी हिरासत अवधि बढ़ा दी थी.
गौरतलब है कि लखवी उन सात लोगों में शामिल है, जिनपर आरोप है कि उन्होंने 26/11 मुंबई हमलों को अंजाम देने की साजिश रची और इसके लिए आतंकवादियों की मदद की. मुंबई हमले में कथित संलिप्तता के लिए छह अन्य लोग- हम्माद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, युनस अंजुम, जमिल अहमद, मजहर इकबाल और अब्दुल मजीद- अदियाला जेल में बंद हैं, जिनपर सुनवाई चल रही है.
हमले के वक्त माना जाता है कि लखवी प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा का कार्यवाहक प्रमुख था, जिसपर भारत ने साजिश रचने का आरोप लगाया है. जरार शाह के साथ लखवी ने कथित तौर पर मुंबई हमले की साजिश रची थी. इस हमले में 166 लोगों मारे गए थे, जबकि 300 लोग घायल हुए थे.
इसी बीच, लखवी ने उसे दो दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के फैसले को चुनौती दी थी. लखवी के वकील रिजवान अब्बासी ने एक जिला और सत्र कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि भारत के दबाव की वजह से झूठे मामले में एफआईआर दर्ज की गई.