आतंकी हाफिज सईद ने तो अपनी रिहाई का जश्न पिछले महीने ही मना लिया था. जब उसके चार साथी लाहौर हाई कोर्ट ने रिहा कर दिए थे. हाफिज सईद का भी रास्ता साफ था. एक महीने में उसे भी बाहर निकालने का पहले ही बंदोबस्त हो चुका था.
हाफिज सईद के वकील ने आजतक को बताया कि पाकिस्तान की सरकार ने कोई सबूत ही पेश नहीं किए. भारत ने हाफिज सईद के खिलाफ जो सबूत पाकिस्तान को दिए थे, उन्हें देखा तक नहीं गया.
अमेरिका की एफबीआई ने मुंबई हमले के केस में जो अपनी जांच की थी, वो भी कोर्ट में नहीं दी गई. 2008 में ही यही हुआ था, जब मुंबई हमले के बाद हाफिज पकड़ा गया था, तब भी उसे छोड़ दिया गया था.
सबूत ना होने और कोर्ट के जरिए हाफिज को बचाकर उसे खुला छोड़ने का बहाना पाकिस्तान बना लेता है. सिर्फ कहने के लिए पाकिस्तान की सरकार लाहौर हाई कोर्ट में हाफिज सईद के खिलाफ केस लड़ रही थी और उसको रिहा करने पर पाकिस्तान की वो मुसीबत भी बता रही थी, जिससे पाकिस्तान कूटनीतिक और वित्तीय मुश्किलों में फंस सकता है. लेकिन कोर्ट में सबूत ना रखकर हाफिज को निकालने का रास्ता भी बना दिया.
फैसले के बाद ये बोला आतंक का आका
वहीं रिहाई के बाद हाफिज सईद ने कहा, 'जजों ने मेरी रिहाई का हुक्म दिया. हुकूमत के जितने कारिंदे, अफसर आकर कह रहे थे कि इनको रिहा नहीं करना, लेकिन जजों ने उनकी नहीं सुनी. लाहौर हाई कोर्ट के तमाम वकीलों ने मेरा साथ दिया. पाकिस्तान की आज़ादी की फतह है. कश्मीर भी आज़ाद होकर रहेगा. कश्मीर की वजह से इंडिया मेरे पीछे पड़ा है. उसकी हर कोशिश बेकार गई.'
पाकिस्तान भी चाहता है कि हाफिज सईद उसकी आतंक की फैक्ट्री फुल स्पीड से चलाता रहे. अब वो 10 महीने बाद फिर यही सब करेगा. वो टीवी पर बैठकर इंटरव्यू देगा. इन 10 महीने में उसने एक राजनैतिक पार्टी भी बना ली है. जमात-उद-दावा किसी दौर में आतंकवादी था अब वो सामाजिक कामों में भी लग गए सियासी काम में भी लग गए.
एक इंटरनेशनल आतंकवादी जिसके सिर पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम है, जिसके संगठन को खुद पाकिस्तान ने कागजों पर बैन किया हुआ है, जो मुंबई जैसे आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड है, फिर भी वो पाकिस्तान का लाडला है.
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान दुनिया से जाकर बोलता है कि हाफिज सईद उसके लिए बोझ है और उसे कुछ वक्त चाहिए. लेकिन वो खुद हाफिज सईद को खुली छूट देता है.