पाकिस्तान के इतिहास में परवेज मुशर्रफ देश के ऐसे पहले सैन्य तानाशाह हो सकते हैं, जिन्हें राष्ट्रद्रोह के आरोप का सामना करना पड़ सकता है.
पाकिस्तान की नई सरकार ने मुशर्रफ के खिलाफ संविधान को निरस्त करने और नवंबर 2007 में इमरजेंसी लगाने के लिए राजद्रोह के आरोप में सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा चलाने का फैसला किया है.
'द न्यूज' अखबार ने एक अनाम संघीय मंत्री के हवाले से कहा कि सरकार मुशर्रफ को राजद्रोह के आरोप में सुनवाई से बचाने के बजाय संविधान और कानून-व्यवस्था की गरिमा बनाए रखने के कदमों का समर्थन करेगी.
मंत्रिमंडल में एक महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने वाले मंत्री ने कहा कि पीएमएल एन प्रमुख नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही संकेत दे दिया था कि वह मुशर्रफ के खिलाफ राजद्रोह के मामले में मुकदमा चलाए जाने का समर्थन करेंगे.
मंत्री ने अखबार से कहा कि पीएमएल-एन सरकार यह तय करेगी कि इस मामले में शीर्ष अदालत का फैसला लागू किया जाए.
इस कानून के तहत गृह सचिव को संविधान के अनुच्छेद-6 और राजद्रोह (दंड) कानून 1973 के तहत संविधान को भंग करने या रद्द करने के मामले में मुशर्रफ के खिलाफ एक शिकायत दर्ज करानी होगी.
नए अटार्नी जनरल मुनीर ए मलिक ने कुछ दिन पहले शरीफ से मुलाकात की थी और मुशर्रफ के खिलाफ अनुच्छेद-6 के तहत मुकदमा चलाने के मामले में सरकार के रुख की जानकारी ली थी.
यह बैठक सुप्रीम कोर्ट में 24 जून को सुनवाई के लिए मामला आने पर सरकार के रुख पर फैसला करने के लिए बुलाई गई थी. कार्यवाहक सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व अटार्नी जनरल इरफान कादिर ने एक बयान में कहा था कि अंतरिम प्रशासन की मुशर्रफ के खिलाफ मुकदमा चलाने में कोई रुचि नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था कि देश की अगली निर्वाचित सरकार को ही इस मामले में फैसला करना चाहिए.
इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि 'चाहे आसमान ही क्यों न गिर जाए', वह मुशर्रफ के खिलाफ संविधान का अनुच्छेद-6 लागू करेगा.
गौरतलब है कि साल 1999 में एक सैन्य तख्तापलट के तहत मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को सत्ता से हटा दिया था और खुद उस पर काबिज हो गए थे.