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पाकिस्तान में विमान को हाइजैक कर भारत ले जाने वाले 3 शख्स को फांसी

पाकिस्तान में आठ कैदियों को गुरुवार को फांसी दे दी गई. खास बात यह है कि इनमें से 3 शख्स को 1998 में एक विमान का अपहरण कर उसे भारत ले जाने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी.

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पाकिस्तान में कुल आठ कैदियों को गुरुवार को फांसी दे दी गई. खास बात यह है कि इनमें से 3 शख्स को 1998 में एक विमान का अपहरण कर उसे भारत ले जाने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी.

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समाचार एजेंसी 'दुन्या न्यूज' के अनुसार, शाहसावर, सबीर व शब्बीर बलूच ने पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) के विमान को बलूचिस्तान प्रांत के तुरबर शहर से 25 मई, 1998 में अपहृत कर लिया था.

PIA विमान संख्या 544 ने पांच विमान कर्मचारियों सहित 33 यात्रियों को लेकर उड़ान भरी थी. अपराधियों ने विमान का अपहरण करने के बाद पायलट को भारत में प्रवेश करने के लिए कहा था. आखिरकार विमान हैदराबाद हवाई अड्डे पर उतारा, जहां अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया था.

तीनों अपराधियों को 20 अगस्त, 1998 को मौत की सजा सुनाई गई थी. शाहसावर और सबीर को हैदराबाद केंद्रीय कारागार में फांसी दी गई, जबकि शब्बीर को कराची केंद्रीय कारागार में फांसी दी गई.

पंजाब प्रांत की अलग-अलग जेलों में तीन कैदियों को फांसी दी गई. जहां तक अन्य कैदियों की बात है, साल 2003 में एक नाबालिग लड़के की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए महमूद को भी कराची केंद्रीय कारागार में फांसी दी गई.

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अकसीर को 1998 में व्यावसायिक विवाद को लेकर एक व्यक्ति की हत्या का दोषी ठहराया गया था. मुहम्मद अशरफ वर्ष 2000 में दोहरे हत्याकांड का दोषी था. आमिर अब्दुल्ला को साल 2000 में एक व्यक्ति की हत्या का दोषी पाया गया था.

खबर पख्तूनख्वा के हरिपुर केंद्रीय कारागार में खुर्रम को फांसी दी गई. वह 1999 में अपने ही एक मित्र की हत्या का दोषी ठहराया गया था.

पाकिस्तान में मृत्युदंड पर हटा चुका है प्रतिबंध
गौरतलब है कि पाकिस्तान में मृत्युदंड पर लगा प्रतिबंध 10 मार्च को हटा लिया गया. 16 दिसंबर, 2014 को पेशावर के एक सैनिक स्कूल में तालिबान आतंकवादियों के हमले के बाद शुरुआत में सिर्फ आतंकवाद से जुड़े मामलों के लिए मृत्युदंड पर लगी रोक को हटाया गया था, लेकिन 10 मार्च को सभी आपराधिक मामलों के लिए मृत्युदंड पर प्रतिबंध हटा लिया गया. पेशावर हमले में 140 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे.

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