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जाधव पर PAK का अड़ियल रुख जारी, 18वीं बार राजनयिक मदद की अपील ठुकराई

उन्होंने दावा किया कि कुलभूषण जाधव आतंकी गतिविधियों के लिए बलूचिस्तान में आए थे. वह गिरफ्तार के दौरान भारतीय नौसेना में कार्यरत थे. लिहाजा कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच की इजाजत देने का सवाल ही नहीं उठता है.

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कुलभूषण जाधव
कुलभूषण जाधव

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भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की फटकार के बाद भी पाकिस्तान की हेकड़ी जारी है. रविवार को उसने जाधव से भारतीय राजनयिक को मिलने की इजाजत देने से फिर से इनकार कर दिया. यह 18वीं बार है, जब पाकिस्तान ने जाधव तक कांसुलर एक्सेस की भारत की अपील को ठुकराया है. पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान में भारत कथित रूप से आतंक फंडिंग और गतिविधियों में शामिल है.

उन्होंने दावा किया कि कुलभूषण जाधव कथित तौर पर आतंकी गतिविधियों के लिए बलूचिस्तान में आए थे. वह गिरफ्तार के दौरान भारतीय नौसेना में कार्यरत थे. लिहाजा कुलभूषण जाधव तक राजनयिक पहुंच की इजाजत देने का सवाल ही नहीं उठता है. इससे पहले अंतरराष्ट्रीय अदालत ने 18 मई को 46 वर्षीय जाधव की फांसी पर रोक दिया था. जाधव की मौत की सजा के खिलाफ भारत ने आठ मई को आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था. दरअसल, पाकिस्तान में जाधव को कथित जासूसी के मामले में फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल ने मौत की सजा सुनाई थी. इसका भारत कड़ा विरोध कर रहा है और जाधव तक कांसुलर एक्सेस के लिए 18 बार अपील कर चुका है.

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हालांकि पाकिस्तान अभी तक इसकी अनुमति नहीं दे रहा है. अंतरराष्ट्रीय अदालत ने भी पाकिस्तान के इस कदम को गलत बताया है. पाकिस्तान को भारत चेतावनी भी दे चुका है कि अगर जाधव की 'पूर्वनियोजित हत्या' को अंजाम दिया गया, तो द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है. पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने जाधव को पिछले वर्ष तीन मार्च को अपने अशांत बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया था. आरोप है कि वो उस वक्त ईरान से वहां प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे. हालांकि भारत का कहना है कि ईरान से जाधव का अपहरण किया गया. जहां नौसेना से सेवानिवृत होने के बाद वह कारोबार कर रहे थे.

 

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