पुलवामा हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की सीमा में 70 किलोमीटर घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. भारत की इस जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. जहां मंगलवार को दिन भर इस्लामाबाद में बैठकों का दौर चला, तो वहीं बुधवार को प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल कमांड अथॉरिटी की मीटिंग बुलाई है. पाकिस्तान की राष्ट्रीय रक्षा समिति की बैठक के बाद सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल हसन गफूर ने चेतावनी दी है कि इस्लामाबाद का जवाब चौंकाने वाला और अलग तरीके का होगा. लेकिन दक्षिण एशियाई देशों में जारी संघर्ष पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के पास सीमित विकल्प मौजूद हैं.
पारंपरिक युद्ध लड़ने स्थिति में नहीं है पाक
इंस्टीट्यूट ऑफ कन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट के कार्यकारी निदेशक अजय साहनी का कहना है कि पाकिस्तान पारंपरिक युद्ध लड़ने की स्थिति में नहीं है. सबसे पहले पाकिस्तान, परसेप्शन मैनेजमेंट के मोर्चे पर अपने देश के लोगों यह बताने में कामयाब रहा है कि भारत की कार्रवाई में जान-माल की कोई क्षति नहीं हुई. जहां तक जवाबी कार्रवाई की बात है तो पाकिस्तान के पास सीमित विकल्प मौजूद हैं. अजय साहनी का मानना है कि पाकिस्तान मोर्टार और आर्टिलरी फायरिंग बढ़ाएगा और अपने देशवासियों को बताएगा कि उसने भारत को काफी नुकसान पहुंचाया.
इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस (IDSA) से जुड़े पूर्व वायुसेना अधिकारी अजय लेले का भी यही मानना है कि आने वाले दिनों में संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं बढ़ेंगी.
प्रॉक्सी वॉर में वृद्धि के भी विकल्प सीमित
पाकिस्तान ने दशकों से अपनी सेना के इतर आतंकी गुटों की संसाधनों से मदद कर सीधी लड़ाई के बजाय भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर छेड़ रखा है. ऐसे में पाकिस्तानी सेना और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई सीमा पार से आतंकी गतिविधियां बढ़ा सकते हैं. अजय लेले का मानना है कि भारत द्वारा पुलवामा हमले के जवाब में की गई कार्रवाई को देखते हुए पाकिस्तान इस तरह का कोई काम नहीं करेगा, जिससे भारत को इससे भी बड़ी जवाबी कार्रवाई के लिए सोचना पड़े. इसलिए आतंकवाद के मोर्चे पर फिलहाल पाकिस्तानी सेना और आईएसआई इंतजार करो और देखो की रणनीति पर काम करेगी.
वायुसेना की कार्रवाई
भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तानी वायुसेना भी इस तरह के विकल्प पर विचार कर सकती है. हालांकि भारतीय वायुसेना के हमले में पाकिस्तान के बेगुनाहों या सेना के किसी जवान की क्षति नहीं हुई है, बल्कि भारत ने पाक आधारित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है. लिहाजा सवाल उठता है कि पाकिस्तान अपनी वायुसेना का इस्तेमाल किस पर करेगा? अजय लेले जो खुद वायुसेना के अधिकारी रहे हैं, उनका मानना है कि पारंपरिक युद्ध न होने की सूरत में हवाई हमला चौंकाने के लिए किया जाता है. चूंकि भारत ने कहा है कि उसने गैर-सैन्य कार्रवाई की है, लिहाजा पाकिस्तान अपनी वायुसेना का इस्तेमाल किस तरीके से करेगा यह देखना होगा.
जबकि अजय साहनी का मानना है कि पाकिस्तान की वायुसेना की ताकत भारत के बराबर तो नहीं लेकिन उसकी दो तिहाई जरूर है. उसके हथियार भी नए हैं. अजय साहनी का मानना है कि पाक वायुसेना भारतीय सीमा में दाखिल हुए बिना हमला कर सकती है, उसकी क्षमता है. साहनी का कहना है कि भारतीय वायुसेना भी पाक सीमा में दाखिल हुए बिना इस हमले को अंजाम दे सकती थी. लेकिन पाकिस्तान में दाखिल होने के पीछे यह संदेश देना था कि भारत आपकी सीमा में भीतर तक घुसकर सूक्ष्मता से हमला कर सकता है.
कुटनीतिक मोर्चे पर भारत की घेरेबंदी
पुलवामा हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान की चौतरफा निंदा हुई थी. भारत ने अपनी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान की सीमा में पाक अधिकृत कश्मीर के आगे खैबर पख्तूनख्वा में घुसकर बालाकोट में हमला किया है. अजय लेले का मानना है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी संप्रभुता पर हमले का हवाला देगा. यह भी हो सकता है कि पाकिस्तान कुछ दिनों के लिए कुछ भी न करे और भारत पर युद्ध छेड़ने का आरोप लगाए. मंगलवार को अबूधाबी में इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी की बैठक में भारत की कार्रवाई की निंदा की गई है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपनी प्रेस वार्ता में कहा था कि उन्होंने ओआईसी देशों के प्रतिनिधियों से बात भी की थी.
यहां गौर करने वाली बात यह है कि भारत ने पाकिस्तानी सेना को निशाना नहीं बनाया, बल्कि आतंकी ठिकानों पर प्रहार किया है. ऐसे में पाकिस्तान को इस मोर्चे पर भी सहानुभूति मिलने की उम्मीद कम है. क्योंकि जो काम भारत ने किया अंतरराष्ट्रीय समुदाय वही काम पाकिस्तान को अपने मुल्क में करने को कहता रहा है. लिहाजा अब पूरा फोकस संयुक्त राष्ट्र की तरफ शिफ्ट होने की उम्मीद है, जहां सुरक्षा परिषद में भारत ने जैश के मुखिया मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा है. लेकिन चीन का वीटो भारत की राह में रोड़े अटका रहा है.
लिमिटेड मिलिटरी स्ट्राइक
रक्षा विशेषज्ञ अजय साहनी का कहना है कि पाकिस्तान के पास सीमित दायरे में सैन्य स्ट्राइक करने के विकल्प खुले हैं. ऐसे में भारत को कुछ नुकसान पहुंचाकर पाकिस्तान शांत हो सकता है. इस स्थिति में गेंद भारत के पाले में होगी कि अब वो इस मामले को कितना आगे तक बढ़ाना चाहता है. अजय साहनी का मानना है कि आज की परिस्थिति में सैन्य अनिवार्यता और राजनीतिक अनिवार्यता का घालमेल हो गया है. विशुद्ध सैन्य अनिवार्यता की स्थिति में आक्रामकता की स्थिति को आंका जा सकता है, लेकिन जब इसमें राजनीतिक अनिवार्यता शामिल हो जाए, तो यह आंकना मुश्किल हो जाता है आक्रामकता का पैमान क्या होगा. सीमा के दोनों तरफ ऐसी ही स्थिति है.