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Exclusive: नदी नालों में बहती हैं अस्थियां...पाकिस्तान के सैकड़ों हिंदू परिवार की क्या है मजबूरी?

सैकड़ों हिन्दुओं के अस्थि कलश विसर्जन का एक मामला पाकिस्तान के करांची शहर के एक मात्र हिन्दू श्मशान घाट में दिखने को मिल रहा है. जहां 200 से ज्यादा हिन्दुओं की अस्थि कलश एक लॉकर रूम में बंद है. परिवार वाले इन्हें भारत आकर हरिद्वार के गंगा में विसर्जित करना चाह रहे हैं.

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पाकिस्तान के हिंदू परिवार की मजबूरी (फोटो- आजतक)
पाकिस्तान के हिंदू परिवार की मजबूरी (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मजबूर हैं पाक के सैकड़ों हिंदू परिवार
  • नदी-नाले में बहा देते हैं अस्थियां
  • कई बार शवों को दफनाते भी हैं हिंदू परिवार

मृत्यु जीवन का अटल सत्य है. सभी धर्म में मृत्यु के बाद मृतकों को आखिरी पड़ाव तक पहुंचाने के लिए परंपराओं के अनुसार कर्मकांड होते हैं. खासकर हिंदू धर्म में इन परंपराओं का विशेष महत्व होता है. पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की बदनसीबी यह है कि वहां मरने वाले हिंदु धर्म के लोगों को ठीक से कर्मकांड भी नसीब नहीं हो रहा है. वहां दाह संस्कार के बाद हिन्दुओं की रखी गई अस्थियां, श्मशान घाटों के लॉकर रूम में सालों से बंद हैं. मृतकों के रिश्तेदार अस्थियों को हरिद्वार आकर गंगा में विसर्जित करना चाहते हैं. लेकिन उन्हें हिंदुस्तान आने के लिए वीजा नहीं मिल पा रहा है.

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सैकड़ों हिन्दुओं के अस्थि कलश विसर्जन का एक मामला पाकिस्तान के करांची शहर के एक मात्र हिन्दू श्मशान घाट में दिखने को मिल रहा है. जहां 200 से ज्यादा हिन्दुओं की अस्थि कलश एक लॉकर रूम में बंद है. परिवार वाले इन्हें हरिद्वार के गंगा में विसर्जित करना चाह रहे हैं. लेकिन इन्हें वीजा नहीं मिल पा रहा है. 

इनमें से कुछ अस्थि कलश 2010 की तो कोई 2011 की है. कुछ 2012 की है, कुछ 5 साल पुरानी तो कुछ हाल-फिलहाल की है. ये सभी अस्थि कलश उन हिन्दुओं के हैं जिन्होंने मरने से पहले अंतिम इच्छा व्यक्त करते हुए अपने परिवार वालों से उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने की इच्छा जताई थी. 

वीजा नहीं मिलने के कारण ये अस्थि कलश श्मशान के लॉकर रूम में नष्ट हो रहे हैं. इसलिए कुछ लोग इन अस्थियों को मजबूरी में अपने आस पास के छोटे-मोटे नदी या नालों में बहा रहे हैं. करांची के रहने वाले अशोक कुमार चंदनानी बताते है कि उनकी दादी की अस्थि सालों से श्मशान घाट में रखी हैं. वह सरकार से अपील कर रहे हैं कि गरीब लोग बार बार वीज़ा नहीं लगा सकते. इसलिए वीजा की प्रक्रिया को आसान किया जाए. जिससे श्मशान में रखे अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया जा सके. 

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वहीं करांची में रहने वाले हिन्दू समुदाय के राजेश भीखा और राजो, जिनकी मां और मौसी का निधन 2010 और 2011 में हुआ था. उनकी अस्थियां आज 10 साल बाद भी करांची के श्मशान घाट के लॉकर रूम में रखी हुई है. इनका कहना है कि मेरी मां की आखिरी इच्छा थी कि उनकी अस्थियां हरिद्वार में विसर्जित हों, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके. लेकिन वीजा में जटिल प्रक्रिया के कारण हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. हम सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वीजा प्रक्रिया में नरमी बरतें.

इस मामले पर कराची के प्रसिद्ध पंचमुखी हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी रामनाथ मिश्र महाराज (श्मशान घाट की देख रेख करते हैं)  ने आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू अपने सनातन परंपरा के अनुसार अपने मृत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए हरिद्वार में ही उनका अस्थि विसर्जन और संस्कार करना चाहते हैं, लेकिन हरिद्वार के लिए वीजा नहीं मिल पा रहा है और ये अस्थियां सालों से कराची के श्मशान घाट में रखी जा रही हैं.

 

रामनाथ मिश्र आगे बताते हैं कि वो पांच साल से लगातार कई बार वीजा के लिए प्रयास कर रहे हैं. लेकिन हर बार सुरक्षा कारणों का हवाला देकर वीजा के आवेदन को खारिज कर दिया जाता है. मैं भारत और पाकिस्तान सरकार से हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि यहां सालों से रखी अस्थियों पर विचार करें और संबंधित लोगों-परिजनों को हरिद्वार जाने का वीजा दें. जिससे यहां रखे 200 अस्थि कलश को गंगा में विसर्जित करते हुए विधि विधान से उनका संस्कार किया जा सके.  

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हालांकि पुजारी रामनाथ मिश्र महराज इससे पहले भी दो बार साल 2011 और 2016 में पाकिस्तान में रहने वाले सैकड़ो हिन्दुओं के अस्थियों को हरिद्वार के गंगा नदी में विसर्जित कर चुके हैं. लेकिन इधर पिछले 5 साल से रखी हुई अस्थियों के विसर्जन कार्य के लिए हिंदुस्तान आना चाहते हैं. 

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इस मसले पर इमरान खान सरकार की सत्ताधारी पार्टी से पाकिस्तान नेशनल अस्सेम्ब्ली के सदस्य एवं पाकिस्तान हिन्दू कौंसिल के मुखिया डॉ. रमेश वंकवानी असहाय नजर आ रहे हैं. उन्होंने आजतक को बताया कि पाकिस्तान में लगभग 80 लाख हिन्दू समुदाय के लोग रहते हैं. अभी सिर्फ कराची के श्मशान में 200 से ज्यादा हिन्दुओं की अस्थियां रखी हुई हैं. पिछले महीने मेरे बड़े भाई का निधन हो गया था. उनकी भी अस्थियां मेरे पास हैं. उसे लेकर मुझे खुद भी हरिद्वार जाना है विसर्जन करने, लेकिन उसके लिए वीजा की सुविधा होनी चाहिए.

कराची के एकमात्र श्मशान घाट में कई पीढ़ियों से काम करने और इन अस्थियों की देखभाल करने वाले मोहम्मद परवेज ने आजतक को बताया कि इस श्मशान घाट में 2010 से लेकर अब तक सैकड़ो अस्थियां यहां रखी हुई हैं. मेरी दोनों देशों के सरकारों से अपील है कि इनके परिजनों को वीजा दिया जाए. जिससे इन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जा सके.

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पाकिस्तान के लोगों को भारत में और भारत के लोगों को पाकिस्तान में वीज़ा मिलना हमेशा से मुश्किल भरा रहा है. लेकिन पिछले कुछ सालों में दोनों देश के बीच जारी तनाव के बीच पाकिस्तान में रहने वालों हिन्दुओं के परिवारों के लिए अपने प्रियजनों की अंतिम इच्छा पूरा करना असंभव सा लगता है. पाकिस्तान में रहने वाले कई हिन्दू परिवार, परंपरा के साथ समझौता करते हुए शवों को जलाते नहीं बल्कि उन्हें दफनाते देते हैं. 

 

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