पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को राहत मिल गई है. इमरान शुक्रवार को एंटी-टेररिज्म कोर्ट में पेश हुए. कोर्ट ने उन्हें लाहौर में एक शीर्ष सैन्य कमांडर के आवास पर हमले सहित तीन मामलों में उनकी अग्रिम जमानत की अवधि 13 जून तक के लिए बढ़ा दी है. इमरान आज कड़ी सुरक्षा के बीच आतंकवादी रोधी अदालत (ATC) लाहौर के समक्ष पेश हुए. 70 वर्षीय खान ने एक बार फिर से कहा कि उनकी जान को गंभीर खतरा है.
इस दौरान पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष भी पीटीआई कार्यकर्ता जिले शाह की हत्या के मामले में अपनी जमानत बढ़ाने के लिए लाहौर हाईकोर्ट के समक्ष पेश हुए. कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत 6 जून तक बढ़ा दी है.
एजेंसी के मुताबिक अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि जस्टिस एजाज अहमद बुट्टर ने सवाल किया कि वह (इमरान) लाहौर कॉर्प्स कमांडर हाउस पर हमले से संबंधित मामले की जांच में शामिल क्यों नहीं हो रहे हैं? इस पर इमरान ने जवाब दिया कि उनकी जान पर खतरा मंडरा रहा है.
अधिकारी ने कहा कि उन्होंने (खान) बताया कि उन्होंने जांचकर्ताओं से एक वीडियो लिंक के माध्यम से जांच में शामिल होने की अनुमति देने का अनुरोध किया था, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया था. न्यायाधीश ने उन्हें जांच में शामिल होने का निर्देश दिया और उनकी अग्रिम जमानत 13 जून तक बढ़ा दी.
9 मई को आखिर पाकिस्तान में हुआ क्या था?
दरअसल, 9 मई को पूरे पाकिस्तान में तब हिंसा भड़क उठी थी. जब इमरान खान को भ्रष्टाचार के एक मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही बोर्ड (एनएबी) द्वारा गिरफ्तार किया गया था. हालांकि इमरान खान को दो दिन बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था. 9 मई की तबाही के दौरान रावलपिंडी में सैन्य मुख्यालय सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठान और सरकारी इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं, जिसे पाकिस्तान के इतिहास में "ब्लैक डे" कहा गया है.
हिंसा के दौरान पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के 100 से अधिक वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया था, जिसमें 10 से अधिक लोग मारे गए थे. हालांकि, खान ने कहा था कि हिंसा में 25 से अधिक पीटीआई कार्यकर्ता मारे गए और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने पूरे पाकिस्तान में 10,000 से अधिक पीटीआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. उनमें से 4,000 पंजाब से हैं.