पाकिस्तान की अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने सोमवार को इमरान और उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को साइफर केस में बरी कर दिया. ऑफीशियल सीक्रेट एक्ट के तहत गठित इस्लामाबाद की विशेष अदालत ने जनवरी में साइफर केस में इमरान और कुरैशी को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी.
साइफर केस उस घटना से संबंधित है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ने इस्लामाबाद में एक सार्वजनिक रैली में एक कागज का टुकड़ा दिखाया था. साथ ही दावा किया था कि उस कागज में विदेशी शक्ति द्वारा उनकी सरकार के खिलाफ साजिश का सबूत था, जिसमें अमेरिकी डिप्लोमेट डोनाल्ड लू का जिक्र था, जो साइफर केस के केंद्र में रहे हैं. बाद में मौजूदा सत्ता दलों ने इमरान पर गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के आरोप लगाए थे.
हाई कोर्ट में दी थी फैसले को चुनौती
इमरान खान ने गोपनीय दस्तावेज को अपनी सत्ता गंवाने से दो हफ्ते पहले एक रैली में लहराया था. अप्रैल 2022 में संसद में विश्वास मत खोने के बाद इमरान खान को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. इमरान खान और महमूद कुरैशी दोनों ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी थी.
हाई कोर्ट ने दोनों नेताओं को रिहा करने का आदेश दिया
हाई कोर्ट में याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई कोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया. कोर्ट ने साथ ही उनकी रिहाई का भी आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर वे किसी और केस में आरोपी नहीं हैं तो उन्हें रिहा कर दिया जाए. मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब ने इमरान और कुरैशी के मामले में फैसला सुनाया.
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पाकिस्तान की जांच एजेंसी ने दर्ज किया था केस
साइफर मामला पिछले साल 15 अगस्त को संघीय जांच एजेंसी द्वारा दायर किया गया था, जिसमें इमरान खान और कुरैशी पर मार्च 2022 में वाशिंगटन में पाकिस्तान दूतावास द्वारा भेजे गए केबल को संभालने के दौरान गोपनीयता के कानूनों के उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था.