पाकिस्तान में एक बार फिर हिंसा का दौर शुरू हो गया है. कारण पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान हैं जिन्हें पाकिस्तान पुलिस गिरफ्तार करना चाहती है. वारंट जारी हो चुका है, तीन बार प्रयास भी हुए हैं, लेकिन इमरान हर बार बच निकलते हैं. मंगलवार को इस सियासी फिल्म का कई नाटकीय मोड़ वाला क्लाइमेक्स देखने को मिला जहां पर एक बार फिर पुलिस इमरान को गिरफ्तार करने पहुंची और पूर्व पीएम के समर्थकों ने सुरक्षाबल से दो-दो हाथ कर लिए. पहले चट्टान की तरह अपने नेता के बचाव में खड़े रहे और फिर जमकर उत्पाद मचाया गया. लाठी डंडों के जरिए पुलिस को रोकने की कोशिश हुई. उस वजह से दूसरी तरफ से भी लाठीचार्ज हुआ और आंसू गैस के गोले तक दाग दिए गए. यानी कि जमीन पर तनाव चरम पर रहा, लेकिन इमरान की गिरफ्तारी नहीं हो पाई.
गिरफ्तारी की तलवार और जमीन पर बवाल
असल में जब कोर्ट के आदेश पर इस्लामाबाद पुलिस की एक टीम इमरान खान को गिरफ्तार करने के लिए लाहौर में उनके घर पर पहुंची तो इस दौरान उनके सैंकड़ों समर्थक भी वहां पहुंच गए और इन लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए पुलिस के साथ धक्का मुक्की शुरू कर दी. और इसके बाद तनाव काफी बढ़ गया और पुलिस ने इमरान खान के समर्थकों पर लाठीचार्ज किया. और स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए Water Cannon का भी इस्तेमाल किया. इस हिंसा के बीच इमरान खान ने अपना एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने ये कहा है कि, जेल में उन्हें बन्द करके उनकी हत्या करने की साज़िश रची जा रही है. और इस साज़िश के पीछे पाकिस्तान की मौजूदा सरकार है.
इमरान झुकेंगे..सरेंडर करेंगे या कुछ और?
अब खबर ये है कि इमरान खान शायद पुलिस के सामने सरेंडर नहीं करेंगे. वे किसी भी कीमत पर पुलिस को अपनी गिरफ्तारी नहीं देने वाले हैं. लेकिन पीटीआई नेता महमूद कुरैशी के मुताबिक इमरान कोर्ट के सामने जरूर सरेंडर कर सकते हैं. यानी कि इमरान पुलिस के सामने झुकने के मूड में नहीं हैं. वे सरेंडर कर सकते हैं, लेकिन गिरफ्तारी नहीं देंगे. वैसे ये बवाल क्यों हो रहा है, आखिर इमरान के पीछे क्यों पड़ी है पाकिस्तान पुलिस? इन दो सवालों के जवाब उन दो मामलों में छिपे हैं जिस वजह से इमरान खान की राजनीतिक पारी में अड़चने खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं.
दो सवाल, दो मामले और बुरे फंसे इमरान खान
इमरान खान के ख़िलाफ़ दो मामलों में गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ है. इनमें पहला मामला है- सरकारी तोशाखाने से गिफ्ट चोरी करने का. इमरान ख़ान पर आरोप है कि उन्हें पाकिस्तान का प्रधानमंत्री रहते हुए विदेशी यात्राओं के दौरान, दूसरे देशों के राष्ट्र अध्यक्षों से जो बेश्कीमती तोहफे मिले, उन तोहफो को उन्होंने सरकारी तोशेखाने में जमा नहीं कराया. बल्कि इन Gifts को उन्होंने बेच दिया और ये सारा पैसा उन्होंने अपने पास रख लिया. पाकिस्तान के चुनाव आयोग के मुताबिक़, इमरान खान ने ये Gifts बेच कर कुल 5 करोड़ 80 लाख रुपये की रकम जुटाई. और इन पैसों का उन्होंने अपनी आय में भी कहीं ज़िक्र नहीं किया.
इसके अलावा जब इस्लामाबाद की एक अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई और इस सुनवाई के दौरान समन जारी होने के बाद भी इमरान खान अदालत में पेश नहीं हुए तो अदालत ने उनके ख़िलाफ़ गिरफ्तारी का Warrant जारी कर दिया. और इसी वजह से आज इस्लामाबाद पुलिस की एक टीम उन्हें गिरफ्तार करने के लिए इस समय उनके घर पर पहुंची हुई है. जिस दूसरे मामले में इमरान खान के ख़िलाफ़ गिरफ्तारी का Warrant जारी हुआ है, वो मामला एक महिला जज को धमकी देने का है.
असल में पिछले साल इमरान खान ने अपनी एक रैली के दौरान इस्लामाबाद की सेशन जज जिनका नाम है जेबा चौधरी.. उन्हें धमकी दी थी. और उन्हें ये कहा था कि.. जब उनका समय आएगा तो वो इस महिला जज को देख लेंगे. पाकिस्तान की ये महिला जज वही है जिन्होंने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार हुए इमरान खान की पार्टी के एक बहुत बड़े नेता की रिमांड को कुछ दिन आगे बढ़ाने का फैसला सुनाया था और इस बात से तब इमरान खान काफी नाराज़ हो गए थे. और इसी मामले में अब उनके ख़िलाफ़ गिरफ्तारी का Warrant जारी हुआ है.
बदले की भावना और पाकिस्तान की राजनीति
यहां नोट करने वाली बात ये है कि जिस नेता की गिरफ्तारी को लेकर ये विवाद हुआ, उनका नाम है शहबाज़ गिल और उन्होंने इमरान खान के इस्तीफे के बाद एक इंटरव्यू में पाकिस्तान की सेना को गद्दार बताया था. और इसी के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी. और ये पूरा विवाद हुआ. तो ये वो दो मामले हैं, जिनमें कभी भी इमरान खान गिरफ्तार हो सकते हैं. वैसे वर्तमान में हो रहा ये बवाल असल में पाकिस्तान का राजनीतिक इतिहास भी रहा है जहां पर बदले की भावना से कार्रवाई होती है, सत्ता का दुरुपयोग होता है और कई बार विपक्षी नेताओं को जान से ही मार दिया जाता है.
पाकिस्तान में अब भी बदले की राजनीति का खूब इस्तेमाल होता है. और वहां हर बार सत्ता परिवर्तन के बाद तीन चीज़ें होती हैं. पहला..या तो उस नेता की राजनीतिक हत्या हो जाती है..दूसरा.. उस नेता के ख़िलाफ़ कानूनी मुकदमे दर्ज करके उसे जेल में बन्द कर दिया जाता है. और तीसरा.. या वो नेता खुद देश छोड़ कर भाग जाता है. आज पाकिस्तान में जो कुछ इमरान खान के साथ हो रहा है... वही सबकुछ उन्होंने नवाज़ शरीफ के साथ किया था. और नवाज शरीफ जब प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने यही सलूक परवेज मुशर्रफ के साथ किया था. और उन्हें जेल में डाल दिया था... और इससे पहले जब परवेज़ मुशर्रफ ने सैन्य तख्तापलट करते हुए पाकिस्तान की सत्ता अपने हाथ में ले ली थी तो उन्होंने भी नवाज़ शरीफ को जेल में डाल दिया था. और बाद में उन्हें देश निकाला भी सज़ा सुनाई थी. और बेनजीर भुट्टो के साथ भी यही हुआ था. यानी पाकिस्तान का राजनीतिक इतिहास खूनी इतिहास से भरा हुआ है.
वो देश जहां पीएम नहीं कर पाते अपना कार्यकाल पूरा
वैसे पाकिस्तान के जो प्रधानमंत्री होते हैं, उनका इतिहास भी खासा दिलचस्प है. ये सभी अपने छोटे और विवादित कार्यकाल के लिए जाने जाते हैं. किसी का तख्तापलट कर दिया जाता है तो किसी की हत्या. इसकी शुरुआत तो आजादी के बाद ही कर दी गई थी. 16 अक्टबर 1951 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली ख़ान की एक रैली के दौरान गोली मारकर हत्या की गई, तब उन्हें प्रधानमंत्री बने 4 साल 63 दिन हुए थे. पाकिस्तान में किसी प्रधाममंत्री का ये दूसरा सबसे लम्बा कार्यकाल है. इस सूची में पहले स्थान पर यूसुफ़ रज़ा गिलानी हैं, जो वर्ष 2008 से 2012 के बीच चार साल 86 दिन तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे.
सेना के लम्बे शासन के बाद जब वर्ष 1973 में बेनज़ीर भुट्टो के पिता ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो आम चुनाव में बहुमत से चुन कर आए तो उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की कुर्सी सम्भाली. हालांकि वो भी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरी नहीं कर पाए. और पाकिस्तान की सेना के तत्कालीन प्रमुख.. जनरल ज़िया उल हक़ ने तख्तापलट करके उनकी सरकार गिरा दी. और खुद राष्ट्रपति बन गए. इस दौरान जुल्फीकार अली भुट्टो को जेल में डाल दिया गया और 4 अप्रैल 1979 को उन्हें देशद्रोह के मामले में फांसी दे दी. जनरल ज़िया उल हक़ वर्ष 1988 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे. लेकिन उनकी मौत भी एक विमान दुर्घटना में रहस्मयी परिस्थितियों में हुई थी. इसके बाद पाकिस्तान में लोकतंत्र की बहाली हुई. लेकिन कभी कोई प्रधानमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया. नवाज़ शरीफ़ पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन वो भी कभी अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.