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क्या है गिलगित-बाल्टिस्तान फोर्स? जो बन गई इमरान खान की ढाल, पंजाब पुलिस से ले रही लोहा

पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है. पुलिस अब तक इमरान खान को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इस बीच पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने दावा किया कि इमरान खान गिलगित-बाल्टिस्तान पुलिस फोर्स का इस्तेमाल कर गिरफ्तारी से बच रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि गिलगित-बाल्टिस्तान फोर्स को पंजाब पुलिस पर हमले के लिए तैयार किया जा रहा था.

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इमरान खान पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. (फाइल फोटो- AP/PTI)
इमरान खान पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. (फाइल फोटो- AP/PTI)

पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी को लेकर जबरदस्त बवाल हो रहा है. एक ओर पुलिस है जो उन्हें गिरफ्तार करने की हर मुमकीन कोशिश कर रही है, तो दूसरी ओर इमरान खान के समर्थक हैं जो अड़ंगा डाल रहे हैं. 

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इस सारे बवाल के बीच पाकिस्तान की सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने दावा किया कि इमरान खान पंजाब पुलिस को रोकने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान की पुलिस फोर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि गिरफ्तारी से बच सकें.

उन्होंने दावा किया कि गिलगित-बाल्टिस्तान की पुलिस को पंजाब पुलिस पर हमला करने के लिए तैयार किया जा रहा था. इस वजह से तोशखाना मामले में इमरान खान को गिरफ्तार करने की कोशिश नाकाम रही.

इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का दावा है कि जब से शहबाज शरीफ की सरकार बनी है तब से उन पर 80 से ज्यादा केस दर्ज किए जा चुके हैं. फिलहाल इमरान खान पर दो मामलों में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. पहला है- तोशखाना मामला. दूसरा मामला महिला जज को धमकी देने से जुड़ा है.

बहरहाल, मरियम औरंगजेब की ओर से गिलगित-बाल्टिस्तान की पुलिस का इस्तेमाल करने का आरोप लगाए जाने के बाद सरकार ने वहां के आईजी का ट्रांसफर कर दिया है. सरकार ने अब गिलगित-बाल्टिस्तान के आईजी मुहम्मद सईद को हटाकर उनकी जगह डार अली खान खट्टक को जिम्मेदारी सौंप दी है.

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गिलगित-बाल्टिस्तान की पुलिस पर आरोप क्यों?

- मरियम औरंगजेब ने पंजाब पुलिस पर हमला करने और इमरान को गिरफ्तारी से बचाने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान की पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है.

- माना जा रहा है कि मरियम ने ऐसा दावा इसलिए क्योंकि गिलगित-बाल्टिस्तान में इमरान की पार्टी पीटीआई सत्ता में है.

- गिलगित-बाल्टिस्तान की असेंबली में 33 सीटें हैं. नवंबर 2020 में हुए चुनाव में इमरान की पार्टी ने यहां 22 सीटें जीती थीं. खालिद खुर्शीद यहां के मुख्यमंत्री हैं.

क्या है गिलगित-बाल्टिस्तान फोर्स?

- पहले तो ये जानते हैं कि गिलगित-बाल्टिस्तान है कहां? गिलगित-बाल्टिस्तान असल में पाकिस्तान का है ही नहीं, वो भारत का है. ये पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में पड़ता है. 1948 से यहां पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. ये कश्मीर के सबसे उत्तरी भाग में चीन की सीमा से लगा है.

- गिलगित-बाल्टिस्तान पुलिस की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, आजादी से पहले उत्तरी इलाके में दो तरह की पुलिस हुआ करती थी. पहली थी- जम्मू-कश्मीर स्टेट पुलिस और दूसरी थी- गिलगित पुलिस.

- 1935 के बाद उत्तरी इलाके से जम्मू-कश्मीर स्टेट पुलिस को हटा दिया गया. इसके बाद गिलगित पुलिस की ताकत बढ़ाई गई. वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, पहला गिलगित पुलिस स्टेशन (अब सिटी पुलिस स्टेशन) की स्थापना 1915 में हुई थी.

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- 1970 के दशक तक गिलगित-बाल्टिस्तान पुलिस में बहुत ज्यादा जवान नहीं थे. जब जुल्फिकार अली भुट्टो सत्ता में आए तो उन्होंने इस इलाके के पिछड़ेपन में सुधार के लिए काम किए. गिलगित-बाल्टिस्तान में पुलिस विभाग भी बनाया गया. 

- आखिरकार 1972 में जाकर सही तरीके से गिलगित-बाल्टिस्तान पुलिस फोर्स का गठन हुआ. उससे पहले तक यहां गिलगित स्काउट कानून-व्यवस्था संभालती थी. उसी साल गिलगित में एक किराये के घर में ऑफिस खोला गया. मोहम्मद बाबर खान पहले एआईजी बने.

- इस समय गिलगित-बाल्टिस्तान पुलिस के 10 जिलों में 65 थाने हैं. डार अली खट्टक गिलगित-बाल्टिस्तान पुलिस के नए आईजी हैं.

क्या है तोशखाना मामला?

- तोशखाना असल में कैबिनेट का एक विभाग है. यहां पर दूसरे देशों की सरकारों, राष्ट्रप्रमुखों और विदेशी मेहमानों से मिले तोहफों को रखा जाता है. 

- इमरान खान 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे. प्रधानमंत्री रहने के दौरान उन्हें जो तोहफे मिले थे, उन्होंने उन्हें तोशखाना में जमा करवा दिया था.

- लेकिन बाद में इमरान खान ने इन तोहफों को सस्ते दामों में खरीदा और बड़े मुनाफे में बेच दिया. इस पूरी प्रक्रिया को उनकी सरकार ने बकायदा कानूनी अनुमति दी थी. इसे लेकर ही अब इमरान घिरे हुए हैं.

 

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