पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की किस्मत का फैसला आज तय हो जाएगा. पाकिस्तान की संसद में रविवार को अविश्वास प्रस्ताव पेश होने वाला है. अभी तक तो आंकड़े इमरान खान के खिलाफ दिखाई पड़ते हैं, लेकिन उनका मानना है कि वे अंतिम गेंद तक खेलने वाले हैं और किसी भी कीमत पर हार नहीं मानेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस बार कोई चमत्कार होने वाला है या फिर हमेशा की तरह एक और तख्तापलट.
इमरान का सीक्रेट प्लान क्या है?
अब अगर इस सवाल का जवाब इमरान खान से पूछा जाए तो वे तो पूरा विश्वास जता रहे हैं कि वे अपनी सरकार को बचा ले जाएंगे. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि उनके पास एक से ज्यादा प्लान मौजूद हैं. वे कहते हैं कि किसी को भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. एक कप्तान के पास तो हमेशा से ही एक से ज्यादा प्लान रहते हैं. मेरे पास भी एक प्लान है. अल्लाह ने चाहा तो हम जीतने वाले हैं. सदन में मैं उनके प्रस्ताव को हरा दूंगा.
इमरान खान के पास कौन सा ऐसा प्लान है जिसके दम पर वे इतनी बड़ी बातें कर रहे हैं, इस बारे में उनके द्वारा कुछ भी साझा नहीं किया गया है. ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव से पहले एक बार पाकिस्तान में राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है. वैसे अभी के लिए आंकड़ों के मुताबिक इमरान खान की सरकार अल्पमत में दिखाई पड़ रही है.
विपक्ष की क्या स्थिति?
पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली में 342 सदस्य हैं. सरकार बनाने और गिराने के लिए 172 वोटों की जरूरत है. ऐसे में विपक्ष दावा कर रहा है कि उसके पास कम से कम 175 सांसदों का समर्थन है. इमरान खान की बात करें तो उनकी पार्टी के पास पर्याप्त समर्थन नहीं दिख रहा है. अभी PTI के 155, PMLQ के 4, GDA के 3, BAP और AML के 1-1 सांसद हैं. कुल मिलाकर इमरान के पक्ष में अभी 164 वोट हो रहे हैं. विपक्ष के आंकड़ों पर नजर डालें तो PML-N के 84, PPP के 56, MQM-P के 7, MMA के 14 सांसद हैं. PMLQ का एक सदस्य भी विपक्ष के साथ है. इसी तरह BAP के 4 सदस्य विपक्ष के साथ हैं. इनके अलावा BNPM 4, ANP, JI और JWP के 1-1 और 4 निर्दलीय सांसद भी हैं. कुल मिलाकर विपक्ष के पास 177 वोट हैं.
ऐसे में आंकड़ों के खेल में तो इमरान खान पिछड़ते दिख रहे हैं लेकिन जैसी पाकिस्तान की राजनीति है, यहां पर कब क्या हो जाए, ये बता पाना हमेशा मुश्किल रहता है. इमरान खान भी ऐसी ही एक उम्मीद लगाए बैठे हैं. उन्होंने एक इंटरव्यू में इस बात की भी जानकारी दी है कि उनके पास कुल तीन ऑपशन मौजूद थे. या तो वे इस्तीफा दे सकते थे, अविश्वास प्रस्ताव का सामना करते या फिर जल्दी चुनाव करवाते. ये तीनों ही विकल्प उन्हें पाकिस्तान की आर्मी द्वारा दिए गए थे.
अब इमरान खान की माने तो वे सिर्फ और सिर्फ जल्द चुनाव के पक्ष में थे. वे इस्तीफा तो देना ही नहीं चाहते थे और अविश्वास प्रस्ताव को भी स्वीकार नहीं कर रहे थे. लेकिन अब जब उन्हें उस अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है, वे अंतिम गेंद तक खेलने की बात कर रहे हैं. वे पाकिस्तान की आवाम को बताने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्हें सिर्फ वहीं लोग सत्ता से हटाना चाहते हैं जो भ्रष्टाचार का समर्थन करते हैं. एक डॉक्यूमेंट के आधार पर भी वे कह रहे हैं कि उनकी सरकार को गिराने की साजिश की गई है. कहा जा रहा है कि इमरान के हटने से अमेरिका संग पाकिस्तान के रिश्ते ठीक हो जाएंगे.
टाइमलाइन
अब ये तमाम आरोप इमरान खान की तरफ से लगाए गए हैं. लेकिन पिछले कुछ दिनों की राजनीतिक घटनाओं पर नजर डालें तो विपक्ष की तरफ से पूरी तैयारी करने के बाद ये अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है.
8 मार्च- विपक्ष की तरफ से इमरान सरकार के खिलाफ पाकिस्तान नेशनल असेंबली सचिवालय के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया. आरोप लगाया गया कि इस सरकार की वजह से देश में आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
25 मार्च- अविश्वास प्रस्ताव पर होनी थी चर्चा. लेकिन बिना किसी चर्चा के सदन को स्थगित कर दिया गया और विपक्षी दलों ने इसका पुरजोर रूप से विरोध किया.
27 मार्च- पीएम इमरान खान ने इस्लामाबाद में किया शक्ति प्रदर्शन. बड़ी भीड़ के सामने दिया अपना संबोधन. विपक्ष पर लगाया साजिश का आरोप, विदेशी ताकतों का भी किया जिक्र.
28 मार्च- सदन में इमरान खान की सरकार के खिलाफ पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव. पेश करने के साथ ही सदन को फिर स्थगित कर दिया गया.
2 अप्रैल- पीएम इमरान खान ने अपने सभी समर्थकों से एकजुट होने को कहा. हिंसा से ज्यादा एकजुटता पर दिखाया जोर.
यहां पर ये भी जानना जरूरी है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी PML-N का कहना है कि उनकी ओर से शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे. अगर पूरा विपक्ष इसका समर्थन कर जाता है तो उन्हें किसी भी कीमत पर अपने पक्ष में 172 वोट करने होंगे.