पाकिस्तान में शहबाज शरीफ का दौर शुरू हो चुका है. वे पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री बन गए हैं. लेकिन इस सब के बावजूद भी मुल्क में राजनीतिक अस्थिरता साफ देखने को मिल सकती है. नई सरकार का गठन तो हुआ है लेकिन पूर्व पीएम इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ इसका पुरजोर विरोध कर रही है. अब पार्टी ने ये भी फैसला कर लिया है कि वो विदेशी साजिश वाले मामले में होने वाली संसदीय जांच का बहिष्कार करने वाली है.
हाल ही में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ ने अपनी पार्टी की एक बैठक की थी. उस बैठक की अध्यक्षता इमरान खान कर रहे थे. मीटिंग में फैसला लिया गया कि पार्टी सरकार द्वारा शुरू की गई संसदीय जांच में सहयोग नहीं करने वाली है. उनकी स्पष्ट मांग है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक कमेटी का गठन किया जाए और फिर वो टीम इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करे. इस बारे में पार्टी कार्यकर्ता फारूक हबीब कहते हैं कि शहबाज शरीफ खुद उस साजिश में शामिल थे, इसी वजह से जब पिछली सरकार ने इस मामले की जांच शुरू की थी, उनकी तरफ से कोई सहयोग नहीं किया गया.
फारूक हबीब ने आरोप लगाया कि ये एक तथ्य है कि पिछली सरकार को पैसों के दम पर विदेशी ताकतों की मदद से गिराया गया. उनकी तरफ से उस चिट्ठी का भी जिक्र किया गया जिसमें कहा गया था कि अगर इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव फेल हुआ तो पाकिस्तान को इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे. अब इमरान खान की पार्टी कह रही है कि वो जनता के बीच में भी इस साजिश के बारे में बताएगी. उन्हें पूरा विश्वास है कि पाकिस्तान की आवाम एक बाहर से लाई गई सरकार को स्वीकार नहीं करेगी.
पार्टी के मुताबित 23 अप्रैल को वो एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं. उस रैली में एक ऐसा ऐलान किया जाएगा कि सभी हैरान रह जाएंगे. अभी के लिए पार्टी उस ऐलान को लेकर ज्यादा कुछ नहीं बता रही है. लेकिन उसके मुताबिक उस ऐलान की वजह से कई सियासी समीकरण बदल जाएंगे. अभी के लिए इमरान खान की पार्टी मांग कर रही है कि पाकिस्तान में जल्द से जल्द चुनाव करवाए जाएं. पार्टी की तरफ से चुनावी रैलियों का दौर भी शुरू कर दिया गया है.