scorecardresearch
 

इमरान खान के हैं दो चेहरे! यही है भारत और दुनिया की दुविधा

इमरान खान की दो तरह की छवि रही है. पाकिस्तान के अपने अवाम के लिए उनका अलग चेहरा है, तो भारत और बाकी दुनिया के लिए एक अलग. उनकी यही स्थि‍ति दूसरे देशों के लिए दुविधा पैदा करती है.

Advertisement
X
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान

Advertisement

अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को मिली जीत के बाद देशवासियों को अपने संबोधन में इमरान खान ने पाकिस्तान को बदलने के लिए कई वादे किए. लेकिन भारत के साथ रिश्तों की बात करें तो आतंकवाद और कश्मीर जैसे मसलों पर परंपरागत रुख ही प्रकट किया. असल में इमरान के दो रूप हैं और इसी वजह से भारत तथा बाकी दुनिया के लिए एक दुविधा की स्थ‍िति भी है.

इमरान ने दिया भरोसा

इमरान ने कहा कि भारत अगर सकारात्मक दिशा में एक कदम उठाता है, तो पाकिस्तान दो कदम उठाएगा. उन्होंने कहा, 'भारतीय नेतृत्व यदि तैयार है, तो हम भी भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिए तैयार हैं. लेकिन भारत में कई विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की यह नई सिविल सरकार के आने की योजना सोच-समझ कर इस तरह से रची गई है कि सेना ताकतवर बनी रहे और वह भारत के प्रति अपना शत्रुतापूर्ण व्यवहार बनाए रखे.

Advertisement

भारतीय विशेषज्ञों में संशय

पाकिस्तान पर नजर रखने वाले कई भारतीय सामरिकविद, राजनीति और विदेश नीति के एक्सपर्ट को इसे लेकर संशय ही है कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में कोई बहुत सकारात्मक बदलाव आएगा. हालांकि, इमरान खान ने कहा कि वह इस बारे में सकारात्मक सोच के साथ काम करना चाहते हैं.

दोहरे चेहरे से बना भ्रम

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने यह समझाने की कोशिश की कि इमरान को लेकर भारत को किस तरह के भ्रम का सामना करना पड़ सकता है. शशि थरूर ने कहा, 'इमरान खान के दो चेहरे हैं. एक चेहरा वह है जो उन्होंने पाकिस्तान के मतदाताओं को दिखाया है. दूसरा चेहरा वह है जो लंदन और भारत जैसे दुनिया के अन्य हिस्सों में देखा जाता है, कि वह दोस्ताना, आधुनिक, कॉस्मोपॉलिटन, उदार आदि विशेषताओं वाले हैं.'

तो इमरान खान भी दोहरे मानदंड में फंस गए हैं. एक तरफ उन्हें भारत के साथ रिश्ते सुधारने पर जोर देना है तो दूसरी तरफ, उन्हें पाकिस्तानी सेना के एजेंडे को भी दिमाग में रखना है. पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त जी. पार्थसारथी ने कहा, 'वह सेना के आदमी हैं. वह वही करेंगे जो सेना चाहती है.'  

कश्मीर पर वही पुराना राग

इमरान खान ने कश्मीर को लेकर वही पुराना राग अलापा है, जो वहां के पुराने राजनीतिज्ञ दोहराते रहे हैं. उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्यपूर्ण सच यह है कि कश्मीर मुख्य मसला है. पिछले 30 साल में कश्मीर के लोग वास्तव में पीड़ित हैं. दोनों देशों के नेतृत्व को बैठकर इस मसले को सुलझाना चाहिए.' उन्होंने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का भी मसला उठाया था.

Advertisement

जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'मैं इमरान को बधाई देता हूं. वे भारत से बेहतर रिश्ता चाहते हैं. हम चाहेंगे कि वे जो बोल रहे हैं, उस पर अमल करें.'

पूर्व राजदूत राजीव डोगरा ने कहा, 'कश्मीर को मुख्य एजेंडा बताने का मतलब है कि उनकी सोच नकारात्मक ही है. वह भारत को भी हमेशा कश्मीर पर ही चर्चा करने को मजबूर करेंगे.'

आतंकवाद पर चुप्पी

भारत-पाकिस्तान के रिश्ते में सबसे बड़े रोड़ा बने आतंकवाद के मसले पर इमरान खान की चुप्पी संदेह पैदा करने वाली है. भारत सरकार ने साफ किया है कि 'आतंकवाद और बातचीत' साथ-साथ नहीं हो सकती. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता देवेंदर राणा ने कहा, 'इमरान खान सरकार में छद्म तरीके से तो सेना शामिल रहेगी, लेकिन हमें उम्मीद है कि खान शांति के लिए काम करेंगे.'

व्यापार पर भी की बात

इमरान खान ने भारत के साथ व्यापार बढ़ाने की वकालत की है. लेकिन उन्होंने भारत को सबसे तरजीही देश (MFN) देश देने पर कोई बात नहीं की. सामरिक मामलों के विशेषज्ञ सुशांत सरीन कहते हैं, 'हर सामरिक मामले को सेना ही तय करेगी. अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर उन्हें शायद अकेले ही जूझना होगा.'

Advertisement
Advertisement